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कोल्हान की दो महिला क्षत्रपों के बीच महामुकाबला, सिंहभूम में आमने-सामने गीता कोड़ा और जोबा मांझी, एक्सपर्ट से जानिए ताकत-कमजोरी - Lok Sabha Election 2024

Geeta Koda, Joba Manjhi. सिंहभूम लोकसभा सीट पर राज्य की दो महिला दिग्गजों के बीच महामुकाबला होने जा रहा है. दोनों ही आदिवासी नेताओं की अपने-अपने क्षेत्र में जबरदस्त पकड़ है. ऐसे में ये तो तय है कि यहां पर मुकाबला कांटे का होगा. एक्सपर्ट क्या कहते हैं उनके बारे में इस रिपोर्ट में जानिए.

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आमने-सामने गीता कोड़ा और जोबा मांझी
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 11, 2024, 10:22 PM IST

रांची: लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड के कोल्हान क्षेत्र की सिंहभूम लोकसभा सीट पर अब तस्वीर साफ हो गई है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से कांग्रेस की सांसद रहीं गीता कोड़ा को चुनावी समर में उतारा गया है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हेमंत सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं जोबा मांझी पर दांव चला है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किसकी क्या मजबूती है और कौन कहां पर कमजोर पड़ रहा है.

"हो" जनजाति बहुल क्षेत्र होना गीता कोड़ा की सबसे बड़ी ताकत

सिंहभूम लोकसभा सीट पर 2019 के मोदी लहर में भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गीता कोड़ा ने जीत का परचम लहराया था. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने इस बार कांग्रेस छोड़ कमल का दामन थाम लिया है. भाजपा ने गीता कोड़ा को ही सिंहभूम से टिकट देकर चुनावी रण में उतार दिया है. ऐसे में क्या गीता कोड़ा 2019 की तरह 2024 में जीत के रथ पर सवार हो पाएंगी या नहीं ?

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इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि गीता कोड़ा के पक्ष में सबसे बड़ी बात उनका "हो" जनजाति का होना है. सिंहभूम में करीब 29% आबादी अनुसूचित जनजाति की है जिसमें से अकेले "हो" जनजाति की आबादी 56% के आसपास है. ऐसे में भाजपा का मजबूत संगठन के साथ-साथ कोड़ा दंपती की लोकप्रियता गीता कोड़ा को मजबूती देती है.

संथाल हैं झामुमो की उम्मीदवार जोबा मांझी

झारखंड निर्माण के बाद झामुमो पहली बार सिंहभूम लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रहा है. इसका मतलब यह हरगिज नहीं है कि सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में झामुमो का संगठन नहीं है. दरअसल, गठबंधन की राजनीति में सिंहभूम सीट सहयोगी दलों के खाते में चले जाने की वजह से झामुमो लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पाता था, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान इस क्षेत्र में जेएमएम मजबूती से लड़ता रहा है.

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2019 के विधानसभा चुनाव में भी सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में पड़नेवाली छह विधानसभा सीट में से एक जगरनाथपुर की सीट कांग्रेस ने और बाकी के पांच विधानसभा सीट झामुमो ने जीत ली थी. वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह ने कहा कि संभव है कि कांग्रेस के वर्तमान जगरनाथपुर विधायक सिंकू, गीता कोड़ा से नजदीकी की वजह से लोकसभा चुनाव में झामुमो के लिए एक्टिव रोल नहीं निभाएं लेकिन बाकी के पांच झामुमो विधायक के लिए यहां से जोबा मांझी को जीत दिलाना किसी प्रतिष्ठा से कम नहीं होगी. ऐसे में जोबा मांझी जो खुद मनोहरपुर से झामुमो विधायक हैं, उनकी ताकत अपने विधायक हैं. संथाल की आबादी कम होते हुए भी उनकी दावेदारी को कमजोर नहीं समझा जा सकता.

मनोहरपुर विधानसभा सीट से सिर्फ एक बार हारीं हैं जोबा

बिहार और झारखंड की सरकार में कई बार मंत्री रह चुकीं जोबा मांझी ने वर्ष 1995 से लेकर 2019 तक के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक बार 2009 में हारी हैं. 1995, 2000, 2005, 2014 और 2019 में उन्होंने मनोहरपुर विधानसभा सीट पर प्रतिद्वंद्वी को टिकने नहीं दिया है. लेकिन सिंहभूम लोकसभा सीट पर झामुमो के प्रत्याशी के रूप में ढ़ाई दशक बाद कोई उम्मीदवार मैदान में हैं.

25 मई 2024 को सिंहभूम लोकसभा सीट पर होगा मतदान

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित लोकसभा चुनाव- 2024 आम चुनाव शेड्यूल के अनुसार झारखंड के सिंहभूम लोकसभा सीट के लिए 25 मई को मतदान होगा.

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"हो" जनजाति बहुल क्षेत्र होना गीता कोड़ा की सबसे बड़ी ताकत

सिंहभूम लोकसभा सीट पर 2019 के मोदी लहर में भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गीता कोड़ा ने जीत का परचम लहराया था. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने इस बार कांग्रेस छोड़ कमल का दामन थाम लिया है. भाजपा ने गीता कोड़ा को ही सिंहभूम से टिकट देकर चुनावी रण में उतार दिया है. ऐसे में क्या गीता कोड़ा 2019 की तरह 2024 में जीत के रथ पर सवार हो पाएंगी या नहीं ?

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इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि गीता कोड़ा के पक्ष में सबसे बड़ी बात उनका "हो" जनजाति का होना है. सिंहभूम में करीब 29% आबादी अनुसूचित जनजाति की है जिसमें से अकेले "हो" जनजाति की आबादी 56% के आसपास है. ऐसे में भाजपा का मजबूत संगठन के साथ-साथ कोड़ा दंपती की लोकप्रियता गीता कोड़ा को मजबूती देती है.

संथाल हैं झामुमो की उम्मीदवार जोबा मांझी

झारखंड निर्माण के बाद झामुमो पहली बार सिंहभूम लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रहा है. इसका मतलब यह हरगिज नहीं है कि सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में झामुमो का संगठन नहीं है. दरअसल, गठबंधन की राजनीति में सिंहभूम सीट सहयोगी दलों के खाते में चले जाने की वजह से झामुमो लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पाता था, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान इस क्षेत्र में जेएमएम मजबूती से लड़ता रहा है.

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2019 के विधानसभा चुनाव में भी सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में पड़नेवाली छह विधानसभा सीट में से एक जगरनाथपुर की सीट कांग्रेस ने और बाकी के पांच विधानसभा सीट झामुमो ने जीत ली थी. वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह ने कहा कि संभव है कि कांग्रेस के वर्तमान जगरनाथपुर विधायक सिंकू, गीता कोड़ा से नजदीकी की वजह से लोकसभा चुनाव में झामुमो के लिए एक्टिव रोल नहीं निभाएं लेकिन बाकी के पांच झामुमो विधायक के लिए यहां से जोबा मांझी को जीत दिलाना किसी प्रतिष्ठा से कम नहीं होगी. ऐसे में जोबा मांझी जो खुद मनोहरपुर से झामुमो विधायक हैं, उनकी ताकत अपने विधायक हैं. संथाल की आबादी कम होते हुए भी उनकी दावेदारी को कमजोर नहीं समझा जा सकता.

मनोहरपुर विधानसभा सीट से सिर्फ एक बार हारीं हैं जोबा

बिहार और झारखंड की सरकार में कई बार मंत्री रह चुकीं जोबा मांझी ने वर्ष 1995 से लेकर 2019 तक के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक बार 2009 में हारी हैं. 1995, 2000, 2005, 2014 और 2019 में उन्होंने मनोहरपुर विधानसभा सीट पर प्रतिद्वंद्वी को टिकने नहीं दिया है. लेकिन सिंहभूम लोकसभा सीट पर झामुमो के प्रत्याशी के रूप में ढ़ाई दशक बाद कोई उम्मीदवार मैदान में हैं.

25 मई 2024 को सिंहभूम लोकसभा सीट पर होगा मतदान

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