लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विधानसभा के अंदर उत्तर प्रदेश में निजीकरण के नोएडा व आगरा में दोनों प्रयोगों की तारीफ करते हुए कुछ बातें रखीं. उन्होंने कहा कि नोएडा में बिना सब्सिडी के 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करके चल रही है.
उत्तर प्रदेश की विधानसभा में माननीय ऊर्जा मंत्री जी द्वारा उत्तर प्रदेश के निजीकरण के दोनों प्रयोग एनपीसीएल और टोरेंट पावर की तारीफ पर उपभोक्ता परिषद ने खोला मोर्चा कहां माननीय ऊर्जा मंत्री जी को सच्चाई नहीं पता हम उन्हें बताते हैं निजीकरण के दोनों प्रयोग की सच्चाई।
— avadhesh kumar verma (@uprvup) December 18, 2024
ऊर्जा मंत्री के इस बयान पर उपभोक्ता परिषद ने कहा कि ऊर्जा मंत्री को जानकारी नहीं है कि नोएडा में जो बिजली दर 10% सस्ती हुई, उसके पीछे वजह क्या है. जारी विज्ञप्ति के अनुसार, उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का आरोप है कि नोएडा में कंपनी अपना लाभ छुपाने के लिए अपने प्रबंध निदेशक को 55 लाख रुपया प्रतिमाह सैलरी देता है और औसत बिजली खरीद से ज्यादा उपभोक्ताओं से वसूली करता है, जिसकी वजह से नोएडा में कंपनी 427 करोड़ के सरप्लस में थी. उसके एवज में 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी की गई. टैरिफ आदेश में सभी मामले दर्ज हैं. कोई भी देख सकता है.
जारी विज्ञप्ति के अनुसार, उनका कहना है कि वर्तमान वर्ष में नोएडा में कंपनी लगभग 1082 करोड़ के सरप्लस में है, इसलिए बिजली दरों में 10 प्रतिशत कमी चल रही है. प्रदेश की बिजली कंपनियां जिनके ऊपर विद्युत उपभोक्ताओं का भी वर्तमान में लगभग 33,122 करोड़ सरप्लस है, लेकिन सरकार के दबाव में विद्युत नियामक आयोग ने पांचों बिजली कंपनियों में बिजली दरों में कमी नहीं होने दी. उपभोक्ता परिषद ने आयोग में याचिका भी दाखिल की और कहा कि इस रकम को बराबर करने के लिए एक साथ 40 प्रतिशत या अगले पांच वर्षों तक आठ फीसद बिजली दरों में कमी करके हिसाब बराबर किया जा सकता है. इसके लिए उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री सहित उत्तर प्रदेश सरकार से भी विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत दरों में कमी करने का अनुरोध किया था. नोएडा की तरह पूर्वांचल, दक्षिणांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और केस्को में बिजली दरों में कमी इसलिए नहीं हो पाई, क्योंकि सरकार ने कमी होने नहीं दी.
जारी विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को पता ही होगा कि वर्ष 2024-25 में भी प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 1944 करोड़ सरप्लस निकला. इसके बावजूद बिजली दरों में कमी नहीं की गई. उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में बिजली दरों में कमी के लिए सबसे बड़ा नैतिक दायित्व प्रदेश के ऊर्जा मंत्री का है. उपभोक्ता परिषद ने दायित्व निभाने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. अब विधानसभा में इस तरह की बात रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री को शायद पता नहीं होगा भाजपा की सरकार बनते ही उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वर्ष 2018 में नोएडा में कंपनी के एमडी को नोटिस दी गई थी कि ग्रेटर नोएडा के गांव में कंपनी रोस्टर से भी कम बिजली दे रही है. उसे पता है कि गांव के उपभोक्ता की बिजली दर कम है. यह बात उपभोक्ता परिषद लंबे समय से कहता चला आ रहा है.
जारी विज्ञप्ति के अनुसार, उपभोक्ता परिषद ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि वर्ष 2020 में उपभोक्ता परिषद की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने नोएडा व आगरा में जांच कराई थी. जांच में बडा खुलासा हुआ कि पिछला बकाया जो लगभग 2200 करोड़ है वो वसूलकर आज तक पाॅवर काॅरपोरेशन को नहीं दिया गया. जो 10 साल में 15 प्रतिशत लाइन लाॅस को कम करना था वह कम कर लिया है, लेकिन उसे शो नहीं कर रहा है, जिससे वह लाभ कमा रहा है. इसका खुलासा सीएजी रिपोर्ट में भी हो चुका है.
यह भी पढ़ें : यूपी में होगा बिजली निजीकरण के विरोध में जन आंदोलन, पंचायत में कर्मचारी और भाकियू ने भरी हुंकार - ELECTRICITY PRIVATIZATION IN UP