गोड्डा: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर देश और दुनिया भर में चर्चा हो रही है. 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, लेकिन इस मंदिर निर्माण की पटकथा लिखने की शुरुआत झरखंड के संथाल परगना प्रमंडल के दुमका जिला स्थित मसानजोर गेस्ट हाउस से हुई थी. वैसे तो यह भी माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान झारखंड में भी रुके थे, जो आज दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के सिमडेगा जिला के रामरेखा धाम के रूप में जाना जाता है. जहां आज भी पहाड़ी, गुफा और मंदिर में कई साक्ष्य इस बात को स्थापित करते हैं कि भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ झारखंड आए थे.
सिमडेगा के रामरेखा धाम में आज भी मौजूद हैं कई साक्ष्यः सिमडेगा के रामरेखा धाम में सीता कुंड, सीता चूल्हा समेत कई ऐसे स्थल हैं जो आज भी भगवान राम के झारखंड आने की गवाही दे रहे हैं. इस कारण रामरेखा धाम से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है. ऐसी मान्यता है रामरेखा धाम की गुफाओं में अब भी कई साधु-संत निवास करते हैं. वैसे इसकी प्रसिद्धि प्रपन्नाचार्य जी महाराज राम रेखा बाबा के समय अधिक हुई थी. जिनका महाप्रयाण हुए एक दशक बित चुके हैं. राम वन गमन में इस बात के उल्लेख है कि राम वनवास के दौरान सिमडेगा, गुमला और आसपास के वनवासियों के आतिथ्य को भगवान श्री राम ने स्वीकार किया था. वहीं पास ही गुमला में हनुमान की मां का मंदिर अंजन धाम भी है.
संयुक्त बिहार में आडवाणी का राम रथ रोका गया थाः ये सारी बातें अतीत की हैं, लेकिन जब भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी और महासचिव प्रमोद महाजन राम मंदिर निर्माण के उद्देश्य से राम रथ को लेकर 1990 में निकले थे, तब पहली दफा इस रथ को बिहार में रोका गया था. उस वक्त बिहार में मुख्यमंत्री लालू प्रसाद थे, लेकिन उनकी सरकार में बड़े भागीदार झरखंड के झामुमो के शिबू सोरेन और उनके डिप्टी सूरज मंडल थे. इनकी आपस में इतनी बनती थी कि तीनों ही एक साथ हवाई उड़ान भरते थे. लोग झामुमो नेता शिबू सोरेन और सूरज मंडल को शैडो सीएम भी कहते थे.
आडवाणी को दुमका के मसानजोर डैम के गेस्ट हाउस में रखा गया थाः भाजपा का राम रथ जिसके सारथी लालकृष्ण आडवाणी थे उन्हें आखरिकार 24 अक्टूबर 1990 को बिहार के समस्तीपुर में रोक दिया गया, लेकिन सवाल था कि आखिर गिरफ्तार लालकृष्ण आडवाणी को रखा कहां जाए. क्योंकि तब उत्तर बिहार में रखना राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकती थी और कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती थी, तब लालू के हनुमान बन शिबू सोरेन और सूरज मंडल ने लालू को मार्ग सुझाया था. फिर तय हुआ कि लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन को दुमका में शहर से लगभग 25 किमी दूर मसानजोर डैम गेस्ट हाउस में रखा जाए, जो तत्कालीन बंगाल और बिहार की सीमा पर थी.
गिरफ्तारी के बाद झारखंड में हुआ था बवालः इसके बाद एकाएक दुमका सुर्खियों में आया था. उस वक्त दुमका में भी इस बात की चर्चा होने लगी कि लोगों के विरोध के स्वर उठेंगे. भाजपा के बड़े स्थानीय नेता गोलबंद होने लगे थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने पहले ही सतर्कता दिखाते हुए सबसे पहले श्री राम केशरी को अहले सुबह ही घर से उठा लिया था. बाद में जब कई नेता उनके यहां पहुंचे तो उन्हें निराशा हुई. क्योंकि उनका लीडर ही नजरबंद थे. इसके बाद भाजपा, आरएसएस, वीएचपी आदि संगठन से जुड़े लोगों ने मसानजोर कूच किया, लेकिन मसानजोर से 20 किमी पहले ही उनकी घेराबंदी कर दी गई थी और आखिर निराश उन्हें लौटना पड़ा.
इसे लेकर पाकुड़ के भाजपा विधायक मनिंद्र हांसदा ने भी उपायुक्त कार्यलय के समक्ष गिरफ्तारी के विरोध में धरना दिया था, लेकिन बात नहीं बनी. हालांकि तब इसका प्रभाव सिर्फ शहरी इलाकों में था, लेकिन यह भी तय है इसके बाद भाजपा को इसका फायदा हुआ और 10 साल बाद झरखंड अस्तित्व में आया. तब तक भाजपा की जमीन तैयार हो चुकी थी और पहली सरकार झारखंड में भाजपा के नेतृत्व में बनी.
भगवान राम का झारखंड कनेक्शनः आज जब अयोध्या में राम लला मंदिर का उद्घाटन हो रहा है तो यह बात जानने की जरूरत है कि झारखंड के दक्षिणी छोटानागपुर के सिमडेगा के रामरेखा धाम में भगवान राम त्रेता युग में वनवासी बन आए थे और 1990 में राम रथ के सारथी लालकृष्ण आडवाणी को दुमका के मसानजोर में कैद कर अतिथि बनाया गया था. चाहे सिमडेगा का रामरेखा धाम हो या फिर दुमका का मसानजोर दोनों में काफी समानता है. सिमडेगा में पास ही में केला घाघ डैम और दुमका में है मसानजोर डैम. सिमडेगा का रामरेखा धाम शंख नदी के किनारे अवस्थित है तो वहीं दुमका का मसानजोर डैम मयूराक्षी नदी के तट पर. सिमडेगा छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर और दुमका पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा पर.
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