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बीमा के 90 लाख रुपये हड़पने के लिए भिखारी को जिंदा जलाया, 18 साल बाद खुला राज, साजिशकर्ता गिरफ्तार - conspiracy for insurance money

ट्रैवलिंग कारोबार में घाटा होने के बाद बीमा राशि हासिल (Conspiracy for Insurance Money) करने के लिए व्यापारी ने अपनी मौत की साजिश रचकर रकम हासिल कर ली. इस साजिश में एक बेकसूर भिखारी को जिंदा जला दिया. जानिए पुलिस ने कैसे किया खुलासा....

बीमा राशि के लिए जालसाजी करने वाला गिरफ्तार.
बीमा राशि के लिए जालसाजी करने वाला गिरफ्तार. (Photo Credit-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 27, 2024, 10:38 PM IST

Updated : Jun 27, 2024, 10:59 PM IST

आगरा: आगरा में 18 साल पहले खंभे से टकराकर कार में लगी आग हादसा नहीं, सोची समझी साजिश थी. जिसे दनकौर के व्यापारी अनिल मलिक ने 90 लाख की बीमा पॉलिसी की राशि हड़पने के लिए पिता और साथियों के साथ रची थी. बीते साल जब अनिल को गुजरात की अहमदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो ये चौंकाने वाला खुलासा सामने आया. कार में एक भिखारी को बिठाकर आग लगाई गई थी. हालांकि अभी तक कार में जिंदा जले शख्स की जानकारी नहीं हो पाई है. पुलिस ने इस मामले में फरार आरोपी रामवीर को गिरफ्तार किया है.

बीमा के 90 लाख रुपये हासिल के लिए रची गहरी साजिश.
बीमा के 90 लाख रुपये हासिल के लिए रची गहरी साजिश. (Photo Credit-Etv Bharat)

मामला 30 जून 2006 का है. रकाबगंज थाना क्षेत्र के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के पास खंभे में टकराकर आगे लगने से चालक की मौत का मुकदमा दर्ज हुआ था. जिसमें कार की ड्राइविंग सीट पर एक लाश मिली थी. तब चालक की पहचान गौतमबुद्ध नगर के गांव पारसौल निवासी अनिल मलिक (39) के रूप में की गई थी. उसके पिता विजयपाल सिंह ने शव की शिनाख्त की थी. नबंवर 2023 में अहमदाबाद पुलिस ने गोपनीय सूचना के आधार पर राजकुमार चौधरी उर्फ अनिल मलिक को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया. पूछताछ में खुलासा हुआ कि साशिज के तहत कई बीमा पॉलिसी की गईं. इन्हीं बीमा पॉलिसी की रकम हड़पने के लिए साजिश रची गई थी. योजना के तहत एक भिखारी को कार में बिठाकर आग लगा दी थी.

पूछताछ में आरोपी अनिल मलिक ने बताया था कि जून 2004 में एक बीमा पाॅलिसी ली थी. ट्रैवल्स का कारेाबार किया, जिसमें घाटा हो गया. कर्ज भी हो गया. इसके बाद बीमा की रकम हड़पने के लिए पिता विजयपाल, अभय सिंह और रामवीर के साथ मिलकर योजना बनाई गई. जिसके तहत ही एक पुरानी कार खरीदी. वर्ष 2006 में कार से सभी आगरा आए. यहां पर ट्रेन में भीख मांगने वाले युवक को खाना खिलाने के बहाने अपने साथ होटल में ले गए. वहां पर उसके खाने में नशीला पदार्थ मिला दिया. जिसे खाकर भिखारी बेहोश हो गया. इसके बाद उसे कार में बैठा लिया गया. इसके बाद कार को खंभे से टकरा कर उससे उतर गए और कार में आग लगा दी.



नाम बदला, लाइसेंस-आधार कार्ड बनवाए

जेल गए विजयपाल ने पुलिस की पूछताछ में खुलासा किया था कि मैंने अगले दिन कार में मिले शव की पहचान अपने बेटा अनिल मलिक के रूप में की थी. पोस्टमार्टम कराकर शव अपने पैतृक गांव पारसौल में अंतिम संस्कार भी करा दिया. इसके बाद बीमा पाने के लिए दावा किया. जिससे उसे बीमा कपंनी से 90 लाख रुपये मिले. बीमा की रकम मिलते ही अपना हिस्सा लेकर अनिल अहमदाबाद में रहने लगा. इसके बाद वह कभी पैतृक गांव नहीं आया.

विजयपाल भी गांव छोडकर गाजियाबाद में रहने लगा था. अहमदाबाद में अनिल मलिक ने अपना नाम राजकुमार चौधरी रख लिया. इसी नाम से लाइसेंस और आधार कार्ड भी बनवाए. अहमदाबाद में ऑटो रिक्शा और कार खरीद ली और वहीं शादी भी कर ली. जब अहमदाबाद पुलिस ने अनिल मलिक उर्फ राजकुमार चौधरी को गिरफ्तार किया तो पूछताछ में उसने आगरा में एक भिखारी की हत्या करने की बात भी कबूली. जिस पर अहमदाबाद पुलिस ने आगरा पुलिस को सूचना दी थी.



आगरा पुलिस ने लिखा था मुकदमा : अहमदाबाद पुलिस की सूचना पर आगरा के रकबागंज थाना पुलिस ने अज्ञात भिखारी की हत्या का मुकदमा जिंदा मिले व्यापारी अनिल मलिक, विजपाल सिंह, रामवीर सिंह और अभय सिंह के खिलाफ दर्ज किया था. जिसकी छानबीन में खुलासा हुआ कि आरोपी अभियुक्त रामवीर सिंह भी अनिल के मौत के दस्तावेज और पूरे षड़यंत्र में शामिल था. हालांकि रकाबगंज क्षेत्र में हुई घटना में मरने वाले भिखारी का खुलासा नहीं हुआ है. रकाबगंज थाना प्रभारी निरीक्षक शैली राणा ने बताया कि फरार अभियुक्त रामवीर सिंह निवासी पारसौल, दनकौर, गौतमबुद्ध नगर को गिरफ्तार किया है. रामवीर ने ही व्यापारी अनिल मलिक की मौत के फर्जी दस्तावेज बनाए थे. उससे पूछताछ की जा रही है.

यह भी पढ़ें : टूटेंगे सभी रिकॉर्ड, भारत का सबसे बड़ा IPO लाने की तैयारी में दक्षिण कोरियाई कंपनी, LIC को छोड़ेगा पीछे - Hyundai Motor India IPO

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आगरा: आगरा में 18 साल पहले खंभे से टकराकर कार में लगी आग हादसा नहीं, सोची समझी साजिश थी. जिसे दनकौर के व्यापारी अनिल मलिक ने 90 लाख की बीमा पॉलिसी की राशि हड़पने के लिए पिता और साथियों के साथ रची थी. बीते साल जब अनिल को गुजरात की अहमदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो ये चौंकाने वाला खुलासा सामने आया. कार में एक भिखारी को बिठाकर आग लगाई गई थी. हालांकि अभी तक कार में जिंदा जले शख्स की जानकारी नहीं हो पाई है. पुलिस ने इस मामले में फरार आरोपी रामवीर को गिरफ्तार किया है.

बीमा के 90 लाख रुपये हासिल के लिए रची गहरी साजिश.
बीमा के 90 लाख रुपये हासिल के लिए रची गहरी साजिश. (Photo Credit-Etv Bharat)

मामला 30 जून 2006 का है. रकाबगंज थाना क्षेत्र के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के पास खंभे में टकराकर आगे लगने से चालक की मौत का मुकदमा दर्ज हुआ था. जिसमें कार की ड्राइविंग सीट पर एक लाश मिली थी. तब चालक की पहचान गौतमबुद्ध नगर के गांव पारसौल निवासी अनिल मलिक (39) के रूप में की गई थी. उसके पिता विजयपाल सिंह ने शव की शिनाख्त की थी. नबंवर 2023 में अहमदाबाद पुलिस ने गोपनीय सूचना के आधार पर राजकुमार चौधरी उर्फ अनिल मलिक को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया. पूछताछ में खुलासा हुआ कि साशिज के तहत कई बीमा पॉलिसी की गईं. इन्हीं बीमा पॉलिसी की रकम हड़पने के लिए साजिश रची गई थी. योजना के तहत एक भिखारी को कार में बिठाकर आग लगा दी थी.

पूछताछ में आरोपी अनिल मलिक ने बताया था कि जून 2004 में एक बीमा पाॅलिसी ली थी. ट्रैवल्स का कारेाबार किया, जिसमें घाटा हो गया. कर्ज भी हो गया. इसके बाद बीमा की रकम हड़पने के लिए पिता विजयपाल, अभय सिंह और रामवीर के साथ मिलकर योजना बनाई गई. जिसके तहत ही एक पुरानी कार खरीदी. वर्ष 2006 में कार से सभी आगरा आए. यहां पर ट्रेन में भीख मांगने वाले युवक को खाना खिलाने के बहाने अपने साथ होटल में ले गए. वहां पर उसके खाने में नशीला पदार्थ मिला दिया. जिसे खाकर भिखारी बेहोश हो गया. इसके बाद उसे कार में बैठा लिया गया. इसके बाद कार को खंभे से टकरा कर उससे उतर गए और कार में आग लगा दी.



नाम बदला, लाइसेंस-आधार कार्ड बनवाए

जेल गए विजयपाल ने पुलिस की पूछताछ में खुलासा किया था कि मैंने अगले दिन कार में मिले शव की पहचान अपने बेटा अनिल मलिक के रूप में की थी. पोस्टमार्टम कराकर शव अपने पैतृक गांव पारसौल में अंतिम संस्कार भी करा दिया. इसके बाद बीमा पाने के लिए दावा किया. जिससे उसे बीमा कपंनी से 90 लाख रुपये मिले. बीमा की रकम मिलते ही अपना हिस्सा लेकर अनिल अहमदाबाद में रहने लगा. इसके बाद वह कभी पैतृक गांव नहीं आया.

विजयपाल भी गांव छोडकर गाजियाबाद में रहने लगा था. अहमदाबाद में अनिल मलिक ने अपना नाम राजकुमार चौधरी रख लिया. इसी नाम से लाइसेंस और आधार कार्ड भी बनवाए. अहमदाबाद में ऑटो रिक्शा और कार खरीद ली और वहीं शादी भी कर ली. जब अहमदाबाद पुलिस ने अनिल मलिक उर्फ राजकुमार चौधरी को गिरफ्तार किया तो पूछताछ में उसने आगरा में एक भिखारी की हत्या करने की बात भी कबूली. जिस पर अहमदाबाद पुलिस ने आगरा पुलिस को सूचना दी थी.



आगरा पुलिस ने लिखा था मुकदमा : अहमदाबाद पुलिस की सूचना पर आगरा के रकबागंज थाना पुलिस ने अज्ञात भिखारी की हत्या का मुकदमा जिंदा मिले व्यापारी अनिल मलिक, विजपाल सिंह, रामवीर सिंह और अभय सिंह के खिलाफ दर्ज किया था. जिसकी छानबीन में खुलासा हुआ कि आरोपी अभियुक्त रामवीर सिंह भी अनिल के मौत के दस्तावेज और पूरे षड़यंत्र में शामिल था. हालांकि रकाबगंज क्षेत्र में हुई घटना में मरने वाले भिखारी का खुलासा नहीं हुआ है. रकाबगंज थाना प्रभारी निरीक्षक शैली राणा ने बताया कि फरार अभियुक्त रामवीर सिंह निवासी पारसौल, दनकौर, गौतमबुद्ध नगर को गिरफ्तार किया है. रामवीर ने ही व्यापारी अनिल मलिक की मौत के फर्जी दस्तावेज बनाए थे. उससे पूछताछ की जा रही है.

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Last Updated : Jun 27, 2024, 10:59 PM IST
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