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केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की घोषणाओं को बनाया हथियार, साधा जमकर निशाना - ASSEMBLY BY ELECTION IN KEDARNATH

केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस लगातार बीजेपी पर निशाना साथ रही है. साथ ही सीएम की घोषणाओं को लेकर विकास पर सवाल उठाए.

Kedarnath Assembly byelection
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में राजनीति हुई तेज (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 13, 2024, 9:24 AM IST

देहरादून: केदारनाथ उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां प्रचार-प्रसार में जुटी हुई हैं. प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस की ओर से प्रत्याशियों का ऐलान किए जाने के बाद से ही उम्मीदवार और पार्टी के तमाम नेता लोगों के बीच जा रहे हैं. उपचुनाव को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने केदार घाटी में की गई घोषणाओं को भी मुद्दा बनाकर भुनाने की कवायत में जुट गई है. कांग्रेस नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जब केदारनाथ विधानसभा सीट से विधायक शैलारानी रावत जीवित थी, उस दौरान वो अपने कामों को लेकर चक्कर काट रही थी. लेकिन उनके निधन के बाद जैसे ही उपचुनाव की बेला नजदीक आई तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ घाटी के लिए घोषणाओं का पिटारा खोल दिया.

इतने मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला: केदारनाथ विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कुल 6 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. जिनके भाग्य का फैसला 23 नवंबर को मतगणना के बाद होगा. लिहाजा यह सभी प्रत्याशी केदारनाथ विधानसभा सीट पर अपने अपने स्तर से मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. केदारनाथ विधानसभा सीट पर कुल 90,540 मतदाता हैं, जिसमें 44,765 पुरुष मतदाता और 45,775 महिला मतदाता शामिल हैं. इसके साथ ही इस विधानसभा सीट पर कुल 2949 सर्विस वोटर हैं जिनमें 2921 पुरुष मतदाता और 28 महिला मतदाता शामिल हैं. कुल सामान्य मतदाताओं में से 1092 दिव्यांग मतदाता हैं. 85 साल से अधिक उम्र के 641 मतदाता हैं. इसके साथ ही 18 से 19 उम्र के कुल 2441 मतदाता है.

केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी को घेर रही कांग्रेस (Video-ETV Bharat)

कांग्रेस के लिए जीत करेगी संजीवनी का काम: केदारनाथ उपचुनाव को जीतना भाजपा के लिए नाक का सवाल बना हुआ है, क्योंकि हाल ही में हुए दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं थे. बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी. इसी क्रम में, केदारनाथ उपचुनाव की जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी. क्योंकि दो उपचुनाव में पहले ही कांग्रेस जीत दर्ज कर चुकी है. ऐसे में अगर कांग्रेस केदारनाथ विधानसभा सीट के इस उपचुनाव को भी जीत लेती है तो ये कांग्रेस के लिए बड़ी संजीवनी साबित होगी. यही वजह है कि कांग्रेस किसी भी मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहती. हर मुद्दे को भाजपा के खिलाफ हथियार बनाकर प्रचार-प्रसार कर रही है.

सीएम धामी ने की तमाम घोषणाएं: केदारनाथ उपचुनाव के तारीखों का ऐलान होने से पहले ही राज्य सरकार ने केदार घाटी के लिए तमाम विकास कार्यों को वित्तीय स्वीकृति दी गई थी. यही नहीं तात्कालिक विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद ही सीएम धामी ने केदारनाथ क्षेत्र के लिए विकास का पिटारा खोल दिया. जिसके तहत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारघाटी के लिए करीब 39 घोषणाएं की हैं. साथ ही सड़कों के निर्माण और उसके पुनर्निर्माण को लेकर करोड़ों रुपए की वित्तीय स्वीकृति की गई है. सीएम धामी की ओर से की गई तमाम घोषणाओं ने मोरखण्डा नदी पर पुल का निर्माण, आपदाग्रस्त ग्राम सभा किणझाणी का विस्थापन, सांणेश्वर मंदिर सिल्ला बमड़ गांव (अगस्तमुनि) का सौन्दर्गीकरण का कार्य, पठालीधार (अगस्तमुनि) में खेल मैदान का निर्माण, अगस्तमुनि राजकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय में ऑडिटोरियम का निर्माण समय अन्य घोषणाएं शामिल है.

कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने बताया कि भाजपा का कथन है कि केदारनाथ घाटी में उन्होंने बहुत काम किया है. ऐसे में जब इन 7 सालों के भीतर भाजपा ने केदारघाटी में तमाम काम किए हैं तो फिर आचार संहिता से पहले तमाम घोषणाएं और वित्तीय स्वीकृति करने की क्या जरूरत पड़ी. असलियत इसी में छपी है कि शैलारानी रावत के विधायक रहते हुए उनकी याचना के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं पसीजे, लेकिन अब जब उनकी कुर्सी पर आन पड़ी तो वित्तीय स्वीकृतियां जारी की गई. ये सच्चाई है जिसको केदारनाथ की जनता अच्छे से समझ चुकी है.

बीजेपी ने किया बचाव: पूरे मामले पर भाजपा विधायक विनोद चमोली ने कहा कि आचार संहिता लगने से पहले जितनी भी घोषणाएं और वित्तीय स्वीकृतियां की गई है वो पहले से ही पाइपलाइन में थी. जब तक केदारनाथ विधानसभा सीट से विधायक शैलारानी रावत जीवित थी तब तक वो इसको आगे बढ़ा रही थी. लेकिन विधायक के निधन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन कामों को अपने हाथों में लेकर आगे बढ़ने का काम किया हैं. ऐसे में इसका स्वागत होना चाहिए कि भाजपा सरकार केदारनाथ के कामों को आगे बढ़ा रही है. लिहाजा इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

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देहरादून: केदारनाथ उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां प्रचार-प्रसार में जुटी हुई हैं. प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस की ओर से प्रत्याशियों का ऐलान किए जाने के बाद से ही उम्मीदवार और पार्टी के तमाम नेता लोगों के बीच जा रहे हैं. उपचुनाव को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने केदार घाटी में की गई घोषणाओं को भी मुद्दा बनाकर भुनाने की कवायत में जुट गई है. कांग्रेस नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जब केदारनाथ विधानसभा सीट से विधायक शैलारानी रावत जीवित थी, उस दौरान वो अपने कामों को लेकर चक्कर काट रही थी. लेकिन उनके निधन के बाद जैसे ही उपचुनाव की बेला नजदीक आई तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ घाटी के लिए घोषणाओं का पिटारा खोल दिया.

इतने मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला: केदारनाथ विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कुल 6 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. जिनके भाग्य का फैसला 23 नवंबर को मतगणना के बाद होगा. लिहाजा यह सभी प्रत्याशी केदारनाथ विधानसभा सीट पर अपने अपने स्तर से मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. केदारनाथ विधानसभा सीट पर कुल 90,540 मतदाता हैं, जिसमें 44,765 पुरुष मतदाता और 45,775 महिला मतदाता शामिल हैं. इसके साथ ही इस विधानसभा सीट पर कुल 2949 सर्विस वोटर हैं जिनमें 2921 पुरुष मतदाता और 28 महिला मतदाता शामिल हैं. कुल सामान्य मतदाताओं में से 1092 दिव्यांग मतदाता हैं. 85 साल से अधिक उम्र के 641 मतदाता हैं. इसके साथ ही 18 से 19 उम्र के कुल 2441 मतदाता है.

केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी को घेर रही कांग्रेस (Video-ETV Bharat)

कांग्रेस के लिए जीत करेगी संजीवनी का काम: केदारनाथ उपचुनाव को जीतना भाजपा के लिए नाक का सवाल बना हुआ है, क्योंकि हाल ही में हुए दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं थे. बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी. इसी क्रम में, केदारनाथ उपचुनाव की जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी. क्योंकि दो उपचुनाव में पहले ही कांग्रेस जीत दर्ज कर चुकी है. ऐसे में अगर कांग्रेस केदारनाथ विधानसभा सीट के इस उपचुनाव को भी जीत लेती है तो ये कांग्रेस के लिए बड़ी संजीवनी साबित होगी. यही वजह है कि कांग्रेस किसी भी मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहती. हर मुद्दे को भाजपा के खिलाफ हथियार बनाकर प्रचार-प्रसार कर रही है.

सीएम धामी ने की तमाम घोषणाएं: केदारनाथ उपचुनाव के तारीखों का ऐलान होने से पहले ही राज्य सरकार ने केदार घाटी के लिए तमाम विकास कार्यों को वित्तीय स्वीकृति दी गई थी. यही नहीं तात्कालिक विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद ही सीएम धामी ने केदारनाथ क्षेत्र के लिए विकास का पिटारा खोल दिया. जिसके तहत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारघाटी के लिए करीब 39 घोषणाएं की हैं. साथ ही सड़कों के निर्माण और उसके पुनर्निर्माण को लेकर करोड़ों रुपए की वित्तीय स्वीकृति की गई है. सीएम धामी की ओर से की गई तमाम घोषणाओं ने मोरखण्डा नदी पर पुल का निर्माण, आपदाग्रस्त ग्राम सभा किणझाणी का विस्थापन, सांणेश्वर मंदिर सिल्ला बमड़ गांव (अगस्तमुनि) का सौन्दर्गीकरण का कार्य, पठालीधार (अगस्तमुनि) में खेल मैदान का निर्माण, अगस्तमुनि राजकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय में ऑडिटोरियम का निर्माण समय अन्य घोषणाएं शामिल है.

कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने बताया कि भाजपा का कथन है कि केदारनाथ घाटी में उन्होंने बहुत काम किया है. ऐसे में जब इन 7 सालों के भीतर भाजपा ने केदारघाटी में तमाम काम किए हैं तो फिर आचार संहिता से पहले तमाम घोषणाएं और वित्तीय स्वीकृति करने की क्या जरूरत पड़ी. असलियत इसी में छपी है कि शैलारानी रावत के विधायक रहते हुए उनकी याचना के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं पसीजे, लेकिन अब जब उनकी कुर्सी पर आन पड़ी तो वित्तीय स्वीकृतियां जारी की गई. ये सच्चाई है जिसको केदारनाथ की जनता अच्छे से समझ चुकी है.

बीजेपी ने किया बचाव: पूरे मामले पर भाजपा विधायक विनोद चमोली ने कहा कि आचार संहिता लगने से पहले जितनी भी घोषणाएं और वित्तीय स्वीकृतियां की गई है वो पहले से ही पाइपलाइन में थी. जब तक केदारनाथ विधानसभा सीट से विधायक शैलारानी रावत जीवित थी तब तक वो इसको आगे बढ़ा रही थी. लेकिन विधायक के निधन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन कामों को अपने हाथों में लेकर आगे बढ़ने का काम किया हैं. ऐसे में इसका स्वागत होना चाहिए कि भाजपा सरकार केदारनाथ के कामों को आगे बढ़ा रही है. लिहाजा इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

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