भोपाल: कांग्रेस के पूर्व मंत्री और मध्य प्रदेश में पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रियव्रत सिंह दिल्ली विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका में होंगे. प्रियव्रत को कांग्रेस हाईकमान ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में वॉर रुम का चैयरमेन बनाया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की सहमति के बाद उनके नाम पर सहमति दी गई है. मध्य प्रदेश कांग्रेस की युवा पीढ़ी में से हैं प्रियव्रत सिंह और उनको दी गई जवाबदारी इस बात का संकेत है कि कांग्रेस अब युवा पीढ़ी को अहम जवाबदारी देकर आगे बढ़ा रही है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रियव्रत को अहम जवाबदारी
दिल्ली विधानसभा में जब आम आदमी पार्टी ने चुनावी तैयारियों के लिहाज से जमीनी कसरत को अंजाम देना शुरू कर दिया है. तब एक्शन मोड में आई कांग्रेस ने भी इस चुनाव के लिहाज से अपने सिपहसालारों को तैनात कर रही है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह को दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण जवाबदारी सौंपी गई है.
कांग्रेस के वार रूम के चैयरमेन बने
प्रियव्रत दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वार रूम के चैयरमेन बनाए गए हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर देखें तो ये प्रियव्रत को कांग्रेस ने अहम जवाबदारी सौंपी है. वहां के चुनाव में रणनीति बनाने के साथ उसके अमल की पूरी जवाबदारी प्रियव्रत की होगी. मुकाबले में खड़ी पार्टियों को काउंटर करने का काम भी इसी वार रूम के जरिए होगा. पार्टी के वरिष्ठ नेता के के मिश्रा कहते हैं, ये मध्य प्रदेश कांग्रेस संगठन के लिए फक्र की बात है कि हमारे नेताओं को दूसरे राज्यों में अहम जवाबदारी सौंपी जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रियव्रत सिंह अवश्य ही हाईकमान की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे.
राजनतीतिक दलों में जरुरी हो गए हैं वॉर रुम
राजनीतिक दलों में पिछले कुछ चुनाव से वार रुम का चलन शुरु हुआ है. असल में ये ही वो जगह होती है जहां से पार्टियां पूरे चुनाव में कैम्पैन की दिशा तय करती हैं. किस मुद्दे को उठाना है. किस पर डिफेंस लेना है. चुनावी डाटा से लेकर सोशल मीडिया पर कैम्पेन तक. स्टार प्रचारकों की सभाओं से लेकर जातिगत समीकरण के आधार पर नेताओं के दौरे तक सब इन्हीं वार रूम में तय होते हैं.
कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे हैं प्रियव्रत
प्रियव्रत सिंह की गिनती एमपी के युवा नेताओं में होती है. राजगढ़ जिले के खिलचीपुर से पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह का राजनीतिक सफर पंचायत स्तर से शुरू हुआ था. लेकिन जिला पंचायत से सीधे वे विधायक बने और लगातार तीन बार 2003 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में विधायक रहे. हांलाकि 2023 में वे इस सीट से चुनाव हार गए. राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते कांग्रेस के इस निर्णय को इस तरह से देखा जाना चाहिए.