रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए गठित तीन सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी ने राज्य की 81 विधानसभा सीट पर संभावित उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ऐसे में सवाल यह उठने लगे हैं कि झारखंड में जब कांग्रेस को इंडिया ब्लॉक के तहत चुनाव लड़ना है. प्रदेश प्रभारी पूर्व में 33 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा भी जता चुके हैं. ऐसे में 81 विधानसभा सीट के लिए चुनाव लड़ने को इच्छुक कांग्रेसजनों से आवेदन क्यों मंगाए जा रहे हैं?
कांग्रेस आलाकमान के मन में कुछ और भी चल रहा है? क्या गठबंधन नहीं बन पाने की संभावित स्थिति को ध्यान में रखकर कांग्रेस वैकल्पिक तैयारी को मुकम्मल करना चाहती है या फिर अपने सभी 81 विधानसभा सीट से आवेदन मंगाकर कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं और संभावित उम्मीदवारों के उत्साह को बनाये रखने के लिए उनकी स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू की है? ये तमाम प्रश्न हैं. जिसका जवाब जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की.
कहीं गठबंधन नहीं हो पाने की स्थिति की तैयारी तो नहीं?
वर्तमान में झारखंड में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के साथ महागठबंधन में हैं. 2019 में झामुमो को 43, कांग्रेस को 31 और राजद को 07 सीटें मिली थीं. इस बार झामुमो 2019 से अधिक सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुका है तो कांग्रेस 33 और राजद 22 सीटों की दावेदारी कर रहा है. ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू, इससे इनकार भी नहीं करते. जगदीश साहू कहते भी हैं कि अगर दुर्भाग्य से भी गठबंधन नहीं बन पाता है तो अचानक कोई परेशानी न हो इसलिए कांग्रेस सभी 81 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है.
'बार्गेनिंग के लिए कांग्रेस 81 सीटों पर उम्मीदवारी चयन की प्रक्रिया शुरू की है'
कांग्रेस द्वारा राज्य की सभी 81 विधानसभा सीट पर उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू करने पर भाजपा से राज्यसभा सांसद ने कटाक्ष किया है. राज्यसभा सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश कहते हैं कि कांग्रेस के डीएनए में बार्गेनिंग है. झारखंड निर्माण के आंदोलन के दौरान भी इन लोगों ने आंदोलन को खरीदने बेचने का काम किया था. इसलिए कांग्रेस ने यह कवायद शुरू की है ताकि अपने सहयोगी दलों को बार्गेन कर सके.
हमारी कवायद से गठबंधन को भी होगा लाभ- कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता कहते हैं कि गठबंधन नहीं होने की स्थिति की बात कहते हों लेकिन झारखंड कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी और प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा इससे इत्तेफाक नहीं रखते. वे कहते हैं कि हमारी 81 विधानसभा सीट पर चुनावी तैयारी का लाभ सहयोगी दलों को भी मिलेगा. लेकिन इस बात का जवाब उनके पास भी नहीं कि सहयोगी दलों को सहयोग करने के लिए 81 विधानसभा सीट के लिए आवेदन मांगने और फिर उम्मीदवारों के स्क्रीनिंग की जरूरत क्या है. उन्होंने भाजपा राज्य सभा सांसद दीपक प्रकाश के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बार्गेनिंग की राजनीति भाजपा करती है. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान आजसू को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था. अब जदयू और लोजपा से बार्गेनिंग के लिए उन्हें तैयार रहना है.
क्या कहते हैं कांग्रेस की राजनीति के जानकार
झारखंड कांग्रेस की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि कांग्रेस के सभी 81 विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार चयन के लिए आवेदन मांगने के पीछे की वजह कई है. पहला तो यह कि किसी भी आपात समय में पार्टी को अपना हर विधानसभा सीट पर सर्वाधिक योग्य उम्मीदवारों की सूची तैयार रहे, इसकी यह कवायद है. इसके साथ साथ जिन जिन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के सहयोगी दलों को चुनाव लड़ना है, वहां का संगठन भी उत्साहित रहे, एक्टिव रहे यह भी एक वजह हो सकता है. वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि इन कवायदों की वजह से नुकसान यह हो सकता है कि जहां जहां से बड़ी संख्या में कांग्रेसजनों ने उम्मीदार बनने के लिए उत्साह दिखाया है. वह सीट गठबंधन में सहयोगी दल के खाते में चले जाने से ठीक चुनाव के समय वे हतोत्साहित न हो जाये.