सरगुजा : छत्तीसगढ़ में सरगुजा लोकसभा क्षेत्र का चुनाव राज्य बनने के बाद से रोचक रहा है.हर बार कड़ी टक्कर के बाद भी कांग्रेस इस सीट को नहीं जीत सकी है. 2018 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई तो ऐसा लगा कि इसका असर लोकसभा चुनाव में भी होगा.लेकिन ऐसा हो ना सका. चाहे प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता रही हो या ना हो फिर भी बीजेपी ने इस सीट से अपना वर्चस्व खत्म नहीं होने दिया.कई बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में सरगुजा की आठ सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया. लेकिन लोकसभा का चुनाव हार गई.सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम 2019 में आया था.
2018 में विधानसभा जीत के बाद कांग्रेस को लोकसभा में लगा झटका : 2018 में कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई थी. बीजेपी 15 सीटों पर सिमट चुकी थी. सरगुजा संभाग की बात करें तो यहां की 14 की 14 सीटों में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो चुका था.इन्हीं 14 में से 8 विधानसभा सीट सरगुजा लोकसभा सीट के अंतर्गत आती हैं.इस जीत के बाद सभी को लगा कि स्थितियां बदलेंगी.लोकसबा में भी कांग्रेस इस बार अपना खाता खोलेगी.लेकिन जब लोकसभा चुनाव हुए तो परिणाम चौंकाने वाले सामने आए. विधानसभा के उलट लोकसभा में सरगुजा सीट बीजेपी ने 1 लाख 57 हजार के भारी मतों से जीता. विधानसभा चुनाव के महज 6 महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस साढ़े तीन लाख वोटों से पीछे हो गई.
सरगुजा लोकसभा में प्रत्याशी चेहरा बड़ा फैक्टर : मतों का इतना बड़ा ध्रुवीकरण क्या मोदी फैक्टर के कारण था.हमेशा कंवर समाज से लोकसभा प्रत्याशी बनाने वाली बीजेपी ने गोंड समाज की प्रत्याशी रेणुका सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था.इस लोकसभा सीट में सर्वाधिक आबादी गोंड समाज की लोगों की मानी जाती है.इस बार सरगुजा की बात करें तो कांग्रेस ने गोंड समाज से अपना प्रत्याशी बनाया है.पूर्व मंत्री की बेटी शशि सिंह मैदान में हैं.जिनके सामने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए चिंतामणि महाराज हैं.
क्यों बीजेपी का गढ़ बनता गया सरगुजा : छत्तीसगढ़ की सरगुजा कभी कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती थी. लेकिन बदलते वक्त ने कब वोटर्स का मिजाज बदल दिया, खुद कांग्रेस को भी पता ना चला.विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस कभी आगे तो कभी पीछे रही हो,लेकिन जब बात लोकसभा की आती है,तो कांग्रेस दूर-दूर तक नहीं दिखती.छत्तीसगढ़ बनने के बाद तो सरगुजा में स्थिति और भी ज्यादा खराब हुई. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार मनोज गुप्ता ने कहा कि नया राज्य केंद्र में बीजेपी के शासन में बना. राज्य गठन के बाद रेलवे और एनएच की सुविधाएं तेजी से बढ़ी. रेलवे से जुड़े जो भी बड़े काम हुए वो सभी बीजेपी सरकार के समय ही हुए.जिसका नतीजा ये हुआ कि इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बीजेपी के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा. 2003 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को लोकसभा क्षेत्र में आने वाली 8 में से 7 में जीत मिली थी.सीतापुर सीट ही कांग्रेस के पास गई थी. जब 2004 में लोकसभा चुनाव हुए तो उसमें बीजेपी जीती. फिर 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को बराबर चार-चार सीटें मिली. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस को हराया.
''इसी तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 6 सीटें मिली और बीजेपी को 2 सीटों में ही संतोष करना पड़ा. फिर भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी चुनाव जीत गई. 2018 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस ने आठ की आठ सीट जीतीं.आठ सीटों में कांग्रेस की बढ़त दो लाख वोटों से अधिक थी. लेकिन एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट बैंक बीजेपी में स्वीच कर गया. जिसके कारण कांग्रेस सरगुजा लोकसभा सीट को एक लाख संतावन हजार वोट के बड़े अंतर से हार गई.विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में वोटों का अंतर साढ़े तीन लाख का आ गया.'' मनोज गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार
इस बार कौन से मुद्दे हैं हावी ?: 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव में उतरी थी.उस वक्त टीएस सिंहदेव को सीएम बनाने की चर्चा जोरों पर थी.सरगुजा के लोगों ने भी दिल खोलकर कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग की.लेकिन जब टीएस सिंहदेव सीएम नहीं बन सके तो लोगों की उम्मीदें भी टूटी. शायद यही वजह रही होगी कि जब लोकसभा चुनाव हुए तो लोगों ने स्थानीय मुद्दों से ऊपर उठकर बीजेपी के पक्ष में वोट किया. मौजूदा चुनाव में भी मोदी का बड़ा चेहरा और राम मंदिर का फैक्टर गूंज रहा है.
सरगुजा सीट पर जातिगत फैक्टर हमेशा हावी रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस ने ज्यादातर मौकों पर गोंड प्रत्याशी ही मैदान में उतारे हैं. खेलसाय सिंह के रूप में कांग्रेस को सफलता भी मिली है, जब बीजेपी ने 2019 में गोंड प्रत्याशी मैदान में उतारा तो जीत का अंतर डेढ़ लाख पार हो गया. इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को भी करीब 25 हजार वोट मिले. जो गोंगपा के कैडर वोट थे. 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया.जिसके कारण लोकसभा की सभी आठ सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.कांग्रेस अपने प्रत्याशी के भरोसे है, तो बीजेपी मोदी के साथ राममंदिर फैक्टर को भुना रही है.