जयपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघ चालक मोहन भागवत के ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले बयान पर अब सियासत तेज हो गई है. राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के देश में जनसंख्या बढ़ाने को लेकर दिए गए बयान को बेतुका बताया है. जूली ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से सवाल किया है कि क्या वे भागवत के इस बयान से सहमत हैं ? इस पर उन्होंने मुख्यमंत्री से उनकी राय भी साफ करने की मांग की है.
टीकाराम जूली ने सोमवार को बयान जारी कर कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को देश की स्थितियों का कोई संज्ञान नहीं है. भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस का सिर्फ अपने कट्टरवादी एजेंडे पर ही ध्यान केंद्रित है."
महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा-स्वास्थ्य की चुनौतियां : जूली ने कहा, " वो देश में जनसंख्या वृद्धि के कारण बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य की चुनौतियों को लेकर अनभिज्ञ हैं. देश में जनसंख्या वृद्धि की वजह से कृषि भूमि घट रही है. जल संकट बढ़ रहा है. वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है. देश खाद्य आपूर्ति के सवालों से जूझ रहा है. देश के प्राकृतिक संसाधनों पर भी जनसंख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी से अतिरिक्त भार पड़ रहा है."
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देश की जनसंख्या चीन से ज्यादा : जूली ने कहा कि भारत में वर्ष 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में वर्ष 2023 में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या चीन से ज्यादा हो गई है. इस रिपोर्ट में भारत की आबादी 142 करोड़ 86 लाख दर्शाई गई है, जो चीन की आबादी से 29 लाख अधिक है. जूली ने कहा कि मोहन भागवत का बयान देश में आर्थिक, सामाजिक विसंगति बढ़ाने वाला और नई समस्याओं को जन्म देने वाला है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को इस बयान पर अपना नजरिया स्पष्ट करना चाहिए.
आरएसएस किधर लेकर जाना चाहता है देश को ? : जूली ने कहा कि नेशनल कमीशन ऑफ पॉपुलेशन के अनुसार भारत की आबादी वर्ष 2036 तक 152 करोड़ को पार कर जाएगी. ऐसे में आज देश के सामने बुनियादी सवाल यह है कि क्या देश में जनसंख्या वृद्धि के मुकाबले भूमि, आवास, फसल, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, परिवहन और पर्यावरण संतुलन आदि के अवसर और संसाधन उपलब्ध हैं ? उन्होंने कहा कि चीन अपने देश में आबादी पर नियंत्रण करके महाशक्ति बन रहा है. आरएसएस देश को किधर ले जाना चाहता है?
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जूली बोले कि मोहन भागवत का कहना कि जनसंख्या दर कम होने से समाज नष्ट हो जाता है. ये बहुत ही विसंगति पूर्ण बयान है. बेहतर होता कि भागवत देश में गरीबी मिटाने, बेरोजगारी दूर करने को लेकर अपना नजरिया स्पष्ट करते. यह बयान महिलाओं पर दबाव बनाने वाला भी है. क्या भागवत महिलाओं को तीन संतान को जन्म देने के लिए बाध्य करना चाहते हैं ?, जबकि देश में गरीबी से जूझ रही करोड़ों महिलाएं शारीरिक रूप से कमजोर हैं. दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग की महिलाओं और बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या के रूप में उभरा है.
ज्वलंत समस्याओं पर आरएसएस चुप : जूली ने कहा कि आरएसएस का ध्यान जनसंख्या बढ़ाने की ओर तो चला गया, लेकिन देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, जल संकट, कृषि संकट, आर्थिक मंदी, गांवों से पलायन, देश में वायु प्रदूषण आदि की ओर आरएसएस का कभी ध्यान नहीं जाता है. वहीं, देश में सामाजिक सद्भाव और अमन -चैन को नष्ट करने वाली ताजा घटनाओं पर भी आरएसएस प्रमुख मौन हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.