जींद: पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के संघर्ष के साथी और उत्तर मध्य हरियाणा विकास संगठन के अध्यक्ष शिवनारायण शर्मा और संगठन की महिला विंग की अध्यक्ष वृंदा शर्मा ने बीरेंद्र सिंह का साथ छोड दिया है. साथ ही उन्होंने अब कांग्रेस को भी अलविदा कह दिया है. निर्णय लेते समय शिवनारायण शर्मा की आंखों से आंसू बह निकले. शिवनारायण शर्मा की गिनती बीरेंद्र सिंह के विश्वास पात्रों में होती थी.
बीरेंद्र सिंह का जवाब शोभनीय नहीं था : उन्होंने कहा कि 35 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह डूमरखां को अपना नेता माना. उन्होंने अपनी बेटी वृंदा शर्मा की टिकट के लिए पैरवी करने को कहा तो उनका जवाब शोभनीय नहीं था. टिकट सभी को मिल नहीं सकता लेकिन गत 27 अगस्त में जींद न्याय रैली में महिलाओं की भीड़ को देख कर वृंदा को लेकर बीरेंद्र सिंह पैरवी नहीं कर सके. उन्होंने कटू भाषा का प्रयोग किया.
उनके रूखे व्यवहार से आहत हुई भावनाएं : उन्होंने कहा कि बीरेंद्र सिंह के व्यवहार से उनके साथ वृंदा की पैरवी के लिए पहुंचे लोग भी हैरान थे. उन्होंने कहा कि 35 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने पूर्व सीएम बंसीलाल के साथ भी काम किया है. पिछले बीस साल से बीरेंद्र सिंह के साथ रहे थे. अब उन्होंने अपनी बेटी वृंदा शर्मा को पॉलिटिक्स में आगे बढ़ाने का निर्णय लिया. वो टिकट को लेकर बीरेंद्र सिंह से उचाना और दिल्ली में भी मिले थे. उसकी बेटी के बारे में किसी नेता से मिलवाने की बजाय उन्होंने रूखा व्यवहार किया. बीरेंद्र सिह के व्यवहार से उनकी और उनके समर्थकों की भावनाएं आहत हुई है. अब वे अपने संगठन के साथ बीरेंद्र सिंह और कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं. आगामी राजनीतिक रणनीति अपने संगठन के साथ बनाएंगे.