पटनाः बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता अनिल शर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. पार्टी से इस्तीफा देते ही कांग्रेस के पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं. अनिल शर्मा ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पर जमकर निशान साधा है. लालू यादव पर जमकर निशाना साधा है.
"मैंने अखिल भारतीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. आदरणीय खरगे जी को इस्तीफा का पत्र भेज दिया है. कांग्रेस में कार्यशैली सही नहीं है. वहां किसी का सुना नहीं जाता है. खुद अध्यक्ष फैसला नहीं ले सकते हैं." -अनिल शर्मा, नेता
'खरगे एक बेचारा अध्यक्ष': अनिल शर्मा ने इस्तीफा देने के साथ की कांग्रेस के पत्ते खोलने शुरू कर दिए. उन्होंने कहा कि आम सहमति के नाम पर ब्लॉ से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सोनिया गांधी के कार्यकाल तक चुनाव नहीं हुआ. उन्होंने कांग्रेस के कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि मल्लिकार्जून खरगे एक बेचारा अध्यक्ष हैं. कोई मिलने भी जाता है तो कहते हैं कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी से बात कीजिए. खरगे जी कोई फैसला नहीं ले सकते हैं.
'राहुल गांधी कश्मीर में खोले दुकान': राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी जी ने नारा दिया मोहब्बत की दुकान. उन्होंने कहा कि अगर सम में राहुल गांधी मोहब्बत की दुकान चलाना चाहते हैं तो जाके जम्मू और कश्मीर में लगाएं. जहां रोज आतंक की प्रकाष्ठा है. वहां जाकर लोगों को मोहब्बत सिखाना चाहिए था. अगर एक साल भी कोई आतंकी गतिविधि न हो तो समझ जाएंगे कि राहुल गांधी सफल हो गए. उन्हें अवार्ड मिल जाएगा.
मनिपुर की घटना पर क्या बोले? मनिपुर घटना पर बोले कि राहुल जी को मनिपुर से मुम्बई जाने के बले वहां कैंप करना चाहिए था. दो समुदायों को मोहब्बत से समझाकर शांत कराना चाहिए था कि आपलोग आपस में नहीं लड़ें. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के लिए मोहब्बत की दुकान के अलग मायने हैं.
'सीट शेयरिंग का तरीका गलत': बिहार कांग्रेस पर उन्होंने कहा कि पहले भी लालू यादव के कहने पर सीट शेयरिंग हुई थी. तब कांग्रेस को वोटकटवा पार्टी कहा गया था. उस दौर में राजद के शासन काल को जंगल राज कहा जाता था और हम लोग उसके सहयोग में थे. कांग्रेस ने भी अपराध किया है. क्योंकि सोनिया गांधी ने भी अगर जंगल राज के लिए बिहार के लोगों से क्षमा याचना की होती तो आज बिहार में कांग्रेस की स्थिति बेहतर जरूर होती.
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