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विपक्ष का UCC को लेकर विरोध जारी, पोर्टल पर बढ़ रहे रजिस्ट्रेशन, ये रहे आंकड़े - UCC IN UTTARAKHAND

कांग्रेस का आरोप है कि UCC, समान नहीं असमान नागरिक संहिता है, वहीं पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है.

UCC IN UTTARAKHAND
विपक्ष का UCC को लेकर विरोध जारी (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 21, 2025, 7:31 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में UCC कानून लागू हो गया है लेकिन विपक्ष लगातार इसका विरोध कर रहा है. आलम ये है कि विपक्ष का UCC को लेकर लगातार विरोध जारी है लेकिन रजिस्ट्रेशन करने वालों दिनप्रतिदिन संख्या बढ़ती जा रही है.

बजट सत्र के दौरान पहले दिन से लेकर चौथे दिन भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर दोनों ही दलों में खींचतान होती रही उधर अगर बात करें समान नागरिक संहिता पर लोगों के द्वारा रजिस्ट्रेशन की तो उसकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है.

सबसे अधिक इस काम के लिए हो रहा है रजिस्ट्रेशन: 27 जनवरी के दिन उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ था. शादी के रजिस्ट्रेशन, अपनी वसीयत, लिव इन रिलेशन और तलाक जैसे पहलुओं के रजिस्ट्रेशन के लिए इस कानून और कानून के पोर्टल को बनाया गया है. उत्तराखंड में रहने वाले अब तक 3811 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है यानी 27 जनवरी से लेकर 21 फरवरी तक यह संख्या बताती है कि लोग समान नागरिक संहिता के पोर्टल पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक काजी निजामुद्दीन (SOURCE: ETV BHARAT)

वसीयत से लेकर लिव-इन-रिलेशनशिप के पंजीकरण की बढ़ी संख्या: जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा हंगामा हो रहा था. वह था यूनिफॉर्म सिविल कोड में लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को करवाना. ऐसे में 27 जनवरी से लेकर 21 फरवरी तक चार लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है. हालांकि यह चार लोग किस जनपद या किस मजहब के हैं यह सभी बातें गोपनीय रखी जा रही हैं.

UCC IN UTTARAKHAND
UCC पर कांग्रेस का विरोध (SOURCE: ETV BHARAT)

इतना ही नहीं अपनी वसीयत के लिए भी लोगों ने समान नागरिक संहिता पोर्टल को चुनकर अब तक 47 रजिस्ट्रेशन कराए हैं जिसमें अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी परिवार के अन्य सदस्य को चुनते हुए रजिस्ट्रेशन करवाया गया है. यानी रोजाना औसतन दो लोग वसीयत के रजिस्ट्रेशन के लिए भी समान नागरिक संहिता के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा रहें है.

विपक्ष का लगातार विरोध जारी: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद से कांग्रेस कई पहलुओं पर इसका विरोध भी कर रही है विपक्ष होने के नाते यह विरोध बनता भी है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान पहले दिन ही प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा की मौजूदगी में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विधानसभा का घेराव किया तो वहीं कार्यकर्ताओं को संभालने में पुलिस के हाथ पांव फूल गए. कांग्रेस लगातार समान नागरिक संहिता में लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन का मुद्दा उठा रही है. उनका कहना है कि यह भारत की संस्कृति नहीं है जबकि बीजेपी इसका रजिस्ट्रेशन करवा कर इसे कानूनी वैध कर रही है जो ठीक नहीं है.

कांग्रेस ने कहा ये समान नहीं असमान नागरिक संहिता है: कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक काजी निजामुद्दीन समान नागरिक संहिता को असमान नागरिक संहिता बता रहे है. उनका कहना है की सरकार ने एक वर्ग को इससे नहीं जोड़ा है. अगर ये सही है तो जनजाति को इससे दूर क्यों किया गया है. अगर ये उनके लिए सही नहीं है तो दूसरो के लिए कैसे सही हो सकती है. ये सवाल हम लगातार सरकार से पूछ रहे है. इतना ही नहीं लिव-इन-रिलेशन को लेकर भी विपक्ष हमलावर है. उनका कहना है कि आप इसको कानूनी मान्यता देकर राज्य को और भी खराब दिशा में ले जा रहे है जो सही नहीं है.

ये भी पढ़ें- यूसीसी लिव इन प्रावधान मामला, हाईकोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने रखा पक्ष, 1 अप्रैल को अगली सुनवाई

ये भी पढ़ें- UCC पोर्टल पर डेटा सिक्योरिटी को प्राथमिकता देने के निर्देश, पंजीकरण प्रक्रिया में लाई जाएगी तेजी

देहरादून: उत्तराखंड में UCC कानून लागू हो गया है लेकिन विपक्ष लगातार इसका विरोध कर रहा है. आलम ये है कि विपक्ष का UCC को लेकर लगातार विरोध जारी है लेकिन रजिस्ट्रेशन करने वालों दिनप्रतिदिन संख्या बढ़ती जा रही है.

बजट सत्र के दौरान पहले दिन से लेकर चौथे दिन भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर दोनों ही दलों में खींचतान होती रही उधर अगर बात करें समान नागरिक संहिता पर लोगों के द्वारा रजिस्ट्रेशन की तो उसकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है.

सबसे अधिक इस काम के लिए हो रहा है रजिस्ट्रेशन: 27 जनवरी के दिन उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ था. शादी के रजिस्ट्रेशन, अपनी वसीयत, लिव इन रिलेशन और तलाक जैसे पहलुओं के रजिस्ट्रेशन के लिए इस कानून और कानून के पोर्टल को बनाया गया है. उत्तराखंड में रहने वाले अब तक 3811 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है यानी 27 जनवरी से लेकर 21 फरवरी तक यह संख्या बताती है कि लोग समान नागरिक संहिता के पोर्टल पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक काजी निजामुद्दीन (SOURCE: ETV BHARAT)

वसीयत से लेकर लिव-इन-रिलेशनशिप के पंजीकरण की बढ़ी संख्या: जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा हंगामा हो रहा था. वह था यूनिफॉर्म सिविल कोड में लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को करवाना. ऐसे में 27 जनवरी से लेकर 21 फरवरी तक चार लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है. हालांकि यह चार लोग किस जनपद या किस मजहब के हैं यह सभी बातें गोपनीय रखी जा रही हैं.

UCC IN UTTARAKHAND
UCC पर कांग्रेस का विरोध (SOURCE: ETV BHARAT)

इतना ही नहीं अपनी वसीयत के लिए भी लोगों ने समान नागरिक संहिता पोर्टल को चुनकर अब तक 47 रजिस्ट्रेशन कराए हैं जिसमें अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी परिवार के अन्य सदस्य को चुनते हुए रजिस्ट्रेशन करवाया गया है. यानी रोजाना औसतन दो लोग वसीयत के रजिस्ट्रेशन के लिए भी समान नागरिक संहिता के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा रहें है.

विपक्ष का लगातार विरोध जारी: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद से कांग्रेस कई पहलुओं पर इसका विरोध भी कर रही है विपक्ष होने के नाते यह विरोध बनता भी है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान पहले दिन ही प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा की मौजूदगी में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विधानसभा का घेराव किया तो वहीं कार्यकर्ताओं को संभालने में पुलिस के हाथ पांव फूल गए. कांग्रेस लगातार समान नागरिक संहिता में लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन का मुद्दा उठा रही है. उनका कहना है कि यह भारत की संस्कृति नहीं है जबकि बीजेपी इसका रजिस्ट्रेशन करवा कर इसे कानूनी वैध कर रही है जो ठीक नहीं है.

कांग्रेस ने कहा ये समान नहीं असमान नागरिक संहिता है: कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक काजी निजामुद्दीन समान नागरिक संहिता को असमान नागरिक संहिता बता रहे है. उनका कहना है की सरकार ने एक वर्ग को इससे नहीं जोड़ा है. अगर ये सही है तो जनजाति को इससे दूर क्यों किया गया है. अगर ये उनके लिए सही नहीं है तो दूसरो के लिए कैसे सही हो सकती है. ये सवाल हम लगातार सरकार से पूछ रहे है. इतना ही नहीं लिव-इन-रिलेशन को लेकर भी विपक्ष हमलावर है. उनका कहना है कि आप इसको कानूनी मान्यता देकर राज्य को और भी खराब दिशा में ले जा रहे है जो सही नहीं है.

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