देहरादून: लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है. उत्तराखंड में पहले चरण के साथ ही 19 अप्रैल को मतदान होना है, जिसके लिए नामांकन की आखिरी तारीख 27 मार्च है, लेकिन कांग्रेस अभीतक दो सीटों हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा सीट पर अपने प्रत्याशी नाम तक फाइनल नहीं कर पाई है. पार्टी की ये स्थित तब है जब देहरादून से लेकर दिल्ली तक 10 मार्च से लेकर 23 मार्च के बीच कांग्रेस की करीब 11 बैठकें हो चुकी है, फिर भी कांग्रेस दो सीटों पर प्रत्याशियों के नाम को लेकर उलझी हुई हैं. ऐसे में कांग्रेस का कार्यकर्ता भी काफी निराश नजर आ रहा है.
उत्तराखंड की राजनीति के बड़े जानकार से लेकर कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता तक भी इस बात को मान रहे है कि कांग्रेस हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा सीट पर प्रत्याशी घोषित करने में जितनी देर करेंगी, पार्टी को चुनाव में उतना ही नुकसान उठाना पड़ेगा. यहां बता दें कि हरिद्वार लोकसभा सीट से बीजेपी ने दमदार उम्मीदवार के तौर पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंर रावत को मैदान में उतारा हैं. वहीं नैनीताल लोकसभा सीट से बीजेपी ने अजय भट्ट को टिकट दिया हैं, जो केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं.
एक दर्जन से अधिक बैठक और नतीजा कुछ नहीं: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट 13 मार्च को जारी की थी. इसी लिस्ट में कांग्रेस ने उत्तराखंड की तीन सीटों गढ़वाल सीट पर गणेश गोदियाल, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से प्रदीप टम्टा और टिहरी से जोत सिंह गुनसोला के नामों की घोषणा की थी, लेकिन दो महत्वपूर्ण सीटों हरिद्वार लोकसभा सीट और नैनीताल लोकसभा सीट पर कांग्रेस अभीतक नाम तय नहीं कर पाई है.
कार्यकर्ता भी सोचने को मजबूर: कांग्रेस का कार्यकर्ता भी ये सोचने पर मजबूर हो गया है कि आखिकार हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा सीट को लेकर पार्टी हाईकमान ऐसा क्या मंथन कर रहा है कि दो नाम अब तक तय नहीं हो पा रहे हैं. नैनीनाल जिले की हल्द्वानी विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश का हाल ही में बयान आया था, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बाराती तैयार है, सिर्फ दूल्हे का ही इंतजार है.
मैदान में उतरने के बचाए दिल्ली में बैठकें कर रहे कांग्रेस के बड़े नेता: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के जिन नेताओं को मैदान में उतरना चाहिए था, वो नेता दिल्ली में हो रही बैठकों में व्यस्त है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत से लेकर यशपाल आर्य और प्रीतम सिंह तक चुनावी मैदान से गायब है. यानी प्रचार-प्रसार में कही दिखाई ही नहीं दे रहे है.
हरिद्वार सीट पर यहां फस रहा पेंच: कांग्रेस के कुछ नेताओं की तरफ से जो जानकारी निकलकर सामने आ रही है, उसके अनुसार तो यहीं कहा जा रहा है कि हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस हाईकमान हरीश रावत को मैदान में उतारना चाहता है, लेकिन हरीश रावत अपनी उम्र और सेहत का हवाला देते हुए अपने बेटे वीरेंद्र रावत को टिकट दिलाने चाहते है, जिसके लिए शायद हाईकमान तैयार नहीं है.
कांग्रेस नहीं लेना चाहती कोई जोखिम: बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान हरिद्वार लोकसभा सीट पर कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता है. इसीलिए पार्टी यहां से कोई बड़ा चेहरा ही चुनावी मैदान में उतारना चाहती है और हरिद्वार में इस समय कांग्रेस के पास हरीश रावत से बड़ा चेहरा कोई नहीं है. वहीं हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत की बात की जाए तो वो ज्यादा सक्रिय नेता नहीं है. वीरेंद्र रावत के पास पूर्व में खालसा कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष रहने के अलावा कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है.
जानकरों की राय: उत्तराखंड की राजनीतिक की बारिकी से समझ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना है कि ये लेटलतीफी ही कांग्रेस के पीछे रहने का बड़ा कारण बनती है. बीजेपी, कांग्रेस से हर मोर्चे पर आगे दिखाई दे देती है. कांग्रेस को जब पहले से ही पता है कि उनके हालात ठीक नहीं है तो उन्हें पहले से ज्यादा एक्टिव रहना चाहिए और फैसले समय से लेने चाहिए थे, ताकी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच किसी तरह का कोई संशय न रहे. हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा सीट पर अब तक नामों की घोषणा न करके पार्टी ने बताया कि कांग्रेस के अंदर कितना ज्यादा कंफ्यूजन है.
भागीरथ शर्मा कहते है कि चुनाव को लेकर कांग्रेस की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस जिले में पार्टी के सबसे ज्यादा विधायक है, वहां अभीतक कांग्रेस की तरफ से कोई चुनावी कार्यालय तक नहीं खोला गया है. चेहरा, बड़े नेताओं की रैलिया और अन्य कार्यक्रम को दूर की बात है. जबकि दूसरी तरफ बीजेपी इन आठ दिनों में 15 से अधिक जनसभा, कार्यकर्ता सम्मेलन, होली मिलन कार्यक्रम और नामांकन की प्रक्रिया तक कर चुकी है.
कांग्रेस का इसी तरह का कुछ हाल नैनीताल लोकसभा सीट पर भी है. यहां बीजेपी प्रत्याशी अजय भट्ट लगातार जनता के बीच है और रैलियां कर रहे है, लेकिन कांगेस यहां अभी तक अपने प्रत्याशी का नाम तक फाइनल नहीं कर पाई है. ये कांग्रेस की दिनोदिन कमजोर होती स्थिति को दिखा रहा है.
कांग्रेस कार्यकर्ता मायूस: कांग्रेस की इस उलझन से पार्टी कार्यकर्ता भी काफी मायूस नजर आ रही है. हरिद्वार से कांग्रेस के नेता वरुण बालियान कहते कि सभी कार्यकर्ता पूरी जोश के साथ चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. पार्टी ने इस सीट पर पूरी मेहनत की है, लेकिन अभी तक किसी भी उम्मीदवार का नाम तय न होना कहीं ना कहीं कार्यकर्ताओं में कन्फ्यूजन पैदा कर रहा है.
बीजेपी ने ली चुटकी: कांग्रेस की इस हालत पर हरिद्वार लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है. कांग्रेस बीजेपी की इस लहर को देखकर डरी हुई है. यही कारण है कि तमाम बैठकों के बाद भी कांग्रेस किसी का नाम तय नहीं कर पा रही है.