प्रयागराज : भारतीय जनता पार्टी पर राम के नाम पर वोट मांगने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस भी राम के नाम पर वोट मांग चुकी है. 35 साल पहले राम नाम से अरुण गोविल से वोट मंगवाने का कांग्रेस का फार्मूला फेल हो गया था. अरुण गोविल ने यह नारा भी दिया था कि भगवान राम का नाम लो कांग्रेस को वोट दो. उसके बावजूद इलाहाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील शास्त्री को हार का मुंह देखना पड़ा था. प्रत्याशी एक लाख से अधिक वोट से हार गए थे.
साल 1988 में प्रयागराज की इलाहाबाद लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. उस वक्त कांग्रेस से सांसद रहे अमिताभ बच्चन के इस्तीफा देने से यह सीट खाली हुई थी. इसके बाद 1988 में उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस के टिकट पर पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री को कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित किया था.
सुनील शास्त्री को टक्कर देने के लिए विश्वनाथ प्रताप सिंह चुनाव मैदान में उतरे थे. उस वक्त विश्वनाथ प्रताप सिंह कांग्रेस को भ्रष्टाचार और बोफोर्स घोटाले जैसे आरोप लगाकर घेरने में लगे थे. इसके बाद कांग्रेस ने चुनावी नैया पार करने के लिए राम का सहारा लिया था. हालांकि कांग्रेस को उस चुनाव में राम नाम की बैसाखी से बेड़ा पार नहीं करवा सकी थी.
राम नाम का लिया था सहारा, फिर भी हारे चुनाव : 1988 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस की तरफ से उस वक्त टीवी पर आने वाले रामायण धारावाहिक में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल ने भी चुनाव प्रचार किया था. अरुण गोविल कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शास्त्री के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित उन्हें जिताने की अपील कर रहे थे. उनकी जनसभा सिविल लाइंस के पीडी टंडन पार्क में हुई थी.
जिस वक्त अरुण गोविल जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे, वहां पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था. पार्क के चारों तरफ के रास्ते लोगों की भीड़ से खचाखच भर गए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभय बताते हैं कि उस वक्त जितनी भीड़ जुटी हुई थी. उतनी भीड़ उससे पहले उस वक्त जुटी थी जब सुभाष चंद्र बोस वहां पहुंचे थे. लाखों लोगों की भीड़ अरुण गोविल को देखने पहुंची थी.
![lok sabha election 2024](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-03-2024/up-pra-03-arun-govil-photo-byte-7209586_28032024190516_2803f_1711632916_592.jpg)
भीड़ ने राम मानकर अरुण गोविल का दर्शन जरूर किया, उनके भाषण को जरूर सुना था. लेकिन उन सबके बावजूद भीड़ ने अरुण गोविल की अपील पर कांग्रेस उम्मीदवार को वोट नहीं दिया. इस कारण एक लाख से ज्यादा वोट से कांग्रेस उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था.
तीन घंटे के प्रचार में जुटी थी लाखों की भीड़ : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्याम कृष्ण पांडेय ने बताया कि 1988 में जिस दिन अरुण गोविल का कार्यक्रम होना था उस दिन दोपहर में 12 बजे सूचना मिली. जानकारी दी गई कि अरुण गोविल की जनसभा पीडी टंडन पार्क में होनी है. इतने कम समय में सभा को करवाने से कई नेताओं ने हाथ खड़ा कर दिया था.
![lok sabha election 2024](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-03-2024/up-pra-03-arun-govil-photo-byte-7209586_28032024190516_2803f_1711632916_726.jpg)
इसके बाद आला नेताओं ने श्याम कृष्ण पांडेय को बुलाकर उन्हें जनसभा की जिम्मेदारी दी. इसके बाद श्याम कृष्ण पांडेय ने चुनाव के लिए बनाए गए 40 चुनाव कार्यालय के जरिए इस सभा को सफल बनाने की योजना बनाई. उसी के तहत सभी चुनाव कार्यालय में लगे लाउडस्पीकर के जरिए एनाउंसमेंट करवाया कि 5 बजे रामायण धारावाहिक के राम अरुण गोविल जनसभा को संबोधित करने प्रयागराज आ रहे हैं.
इसके बाद अरुण गोविल की एक झलक पाने और उन्हें सुनने के लिए लोगों की भीड़ जनसभा स्थल पर पहुंच गई. आज के समय में कांग्रेस के तमाम नेता भाजपा को यह कहकर कोसते हैं कि पार्टी राम नाम का सहारा ले रही है. कांग्रेस के नेता यही काम करीब 35 साल पहले कर चुके हैं.
1988 के उस उपचुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुनील शास्त्री को करारी शिकस्त दी थी. वीपी सिंह को 2 लाख 2 हजार 996 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील शास्त्री को 92 हजार 245 वोट ही मिले थे. बसपा के संस्थापक रहे कांशीराम को उस चुनाव में 69 हजार 517 वोट मिले थे. निर्दलीय हरि शंकर को 2 हजार 67 और एल शर्मा 1 हजार 917 वोट मिले थे.
यह भी पढ़ें : मुख्तार अंसारी के पास करोड़ों का बैंक बैलेंस, जानिए कौन होगा उसकी संपत्ति का वारिस