लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 17 लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. अब तक 15 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है. इनमें से कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2022 में लड़ चुके 6 प्रत्याशियों दांव लगाते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय बनारस, देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह, गाजियाबाद से डॉली शर्मा, फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार, मथुरा से मुकेश धनगर, सहारनपुर से इमरान मसूद, फरेंदा विधानसभा से वीरेंद्र चौधरी चुनाव लड़ा था. इनमें से सिर्फ वीरेंद्र सिंह चौधरी चुनाव जीते थे. कांग्रेस ने इन सब पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है.
बता दें कि 2017 के विधानसभा की तुलना में 2022 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन वाला चुनाव रहा था. इस चुनाव में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अजय राय तक अपनी सीट तक हार गए थे. जबकि उस समय पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तमकुहीराज सीट से तीसरे नंबर पर रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस को दूसरी सीट उनके कदावर नेता प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा मोना के प्रतापगढ़ से जीती थी.
गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में प्रदेश के 403 विधानसभा में से 399 सीटों पर जमानत तक नहीं बचा पाई थी. केवल चार सीटें थी जिसमें पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिन 6 प्रत्याशियों को लोकसभा का टिकट दिया है, वह विधानसभा चुनाव में जमानत तक नहीं बचा पाए थे. राजनीतिक विशेषज्ञ और लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय गुप्ता का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस तरह से पूरे उत्तर प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन किया था. वह माहौल अब 2024 में नहीं है. पार्टी ने अपने प्रत्याशियों पर भरोसा जताया हैय उसे कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का फायदा होगाय विशेष तौर पर उन सीटों पर उसे फायदा होता है दिख रहा है जहां पर मुस्लिम निर्णायक वोटर के तौर पर है.
कांग्रेस ने यूपी में 6 विधानसभा प्रत्याशियों पर फिर लगाया लगाया दांव, जानिए क्यों दोबारा भरोसा जताया - Lok Sabha Election 2024
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की 6 सीटों पर 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव में टिकट दिया है. आइए जानते हैं कि कांग्रेस के पीछे इसकी क्या रणनीति है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : May 2, 2024, 8:36 PM IST
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 17 लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. अब तक 15 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है. इनमें से कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2022 में लड़ चुके 6 प्रत्याशियों दांव लगाते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय बनारस, देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह, गाजियाबाद से डॉली शर्मा, फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार, मथुरा से मुकेश धनगर, सहारनपुर से इमरान मसूद, फरेंदा विधानसभा से वीरेंद्र चौधरी चुनाव लड़ा था. इनमें से सिर्फ वीरेंद्र सिंह चौधरी चुनाव जीते थे. कांग्रेस ने इन सब पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है.
बता दें कि 2017 के विधानसभा की तुलना में 2022 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन वाला चुनाव रहा था. इस चुनाव में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अजय राय तक अपनी सीट तक हार गए थे. जबकि उस समय पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तमकुहीराज सीट से तीसरे नंबर पर रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस को दूसरी सीट उनके कदावर नेता प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा मोना के प्रतापगढ़ से जीती थी.
गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में प्रदेश के 403 विधानसभा में से 399 सीटों पर जमानत तक नहीं बचा पाई थी. केवल चार सीटें थी जिसमें पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिन 6 प्रत्याशियों को लोकसभा का टिकट दिया है, वह विधानसभा चुनाव में जमानत तक नहीं बचा पाए थे. राजनीतिक विशेषज्ञ और लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय गुप्ता का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस तरह से पूरे उत्तर प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन किया था. वह माहौल अब 2024 में नहीं है. पार्टी ने अपने प्रत्याशियों पर भरोसा जताया हैय उसे कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का फायदा होगाय विशेष तौर पर उन सीटों पर उसे फायदा होता है दिख रहा है जहां पर मुस्लिम निर्णायक वोटर के तौर पर है.