कांकेर: 25 फरवरी को कोयलीबेड़ा के जंगल में सर्चिंग के दौरान जवानों की मुठभेड़ नक्सलियों से हुई. फोर्स ने नक्सलियों को करारा जवाब देते हुए उनको भोमरा और हुरतराई के जंगल में घेर लिया. जवानों की ओर से की गई फायरिंग में तीन नक्सली ढेर हो गए. मुठभेड़ के बाद अब ग्रामीणों का दावा है कि मारे गए तीन लोग नक्सली नहीं बल्कि ग्रामीण हैं. ग्रामीणों ने एनकाउंटर पर सवाल खड़े करते हुए पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि मुठभेड़ की जांच होनी चाहिए. ग्रामीणों के विरोध की सूचना जैसे ही कांग्रेस को मिली वो तुरंत ग्रामीणों के सपोर्ट में उतर आई.
मुठभेड़ पर सवाल, सियासत और बवाल: कोयलीबेड़ा मुठभेड़ को सियासी मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस ने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि बीजेपी की सरकार आते ही फर्जी मुठभेड़ शुरु हो चुकी है. कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि जब इनकी सरकार थी तो ये नक्सली घटनाओं को रोकने में नाकाम रहे. सरकार बदलने के बाद जब नक्सलियों को ढेर किया जा रहा है तो इनको दर्द हो रहा है.
कांग्रेस की जांच टीम में कौन कौन: कांग्रेस की जो जांच टीम कोयलीबेड़ा जाएगी उसको लीड शिशुपाल सोरी करेंगे. पीसीसी चीफ ने उनको जांच की जिम्मेदारी सौंपी है. टीम में पूर्व विधायक संतराम नेताम, शंकर ध्रुवा, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष बीरेश ठाकुर शामिल हैं. जांच टीम में प्रदेश महामंत्री नरेश ठाकुर, रुप सिंह पोटाई, कांकेर जिला अध्यक्ष शुभद्रा सलाम को भी रखा गया है.
कोयलीबेड़ा मुठभेड़ को हम फर्जी मानते हैं. कांग्रेस की सात सदस्यीय टीम जांच के लिए कांकेर जाएगी. हमारी टीम ग्रामीणों से बात करेगी और जो सच्चाई है उसे जनता के सामने लेकर आएगी. बीजेपी की सरकार आने के बाद से फर्जी मुठभेड़ों की संख्या बढ़ी है. कोयलीबेड़ा मुठभेड़ में जिन निर्दोष ग्रामीणों को मारा गया है उसके दोषियों को सजा होनी चाहिए. प्रदेश के गृहमंत्री और और सीएम को इस मुद्दे पर तुरंत इस्तीफा देना चाहिए. - दीपक बैज, पीसीसी चीफ
कांग्रेस की जब सरकार छत्तीसगढ़ में रही नक्सली घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ. सरकार बदलने के बाद हमने नक्सली घटनाओं पर नकेल लगाई है. नक्सलियों को काबू में करने की कोशिश की है. सरकार जब लाल आतंक को लेकर सख्त है तो कांग्रेस को इसपर राजनीति सूझ रही है. कांग्रेस की टीम बेशक कोयलीबेड़ा जाकर अपनी जांच करे. कभी कांग्रेस के मुख्यमंत्री ही कहते थे कि नक्सली हमारे भाई बंधु हैं, हमारी पार्टी को सहयोग करें. कांग्रेस की सरकार में जो गृहमंत्री थे उनके मुंह से एक शब्द तक नहीं निकलता था. - केदार कश्यप, मंत्री
क्या हुआ था 25 फरवरी को: 25 फरवरी की सुबह 8 बजे मुठभेड़ हुई. मुठभेड़ के बाद जवानों की टीम मारे गए नक्सलियों के शव लेकर जिला पुलिस मुख्यालय पहुंची. घटना वाले दिन किसी ने कुछ नहीं कहा. सोमवार 26 फरवरी को मृतकों के परिजन ग्रामीणों के साथ थाने पहुंचे और ये दावा किया मारे गए लोग नक्सली नहीं ग्रामीण थे. ग्रामीणों ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का भी आरोप लगाया. आरोप लगाने के दो दिन बाद यानि 28 फरवरी को ग्रामीण कलेक्टर और एसपी के पास पहुंचे. ग्रामीणों ने शिकायत दर्ज कराई कि फर्जी मुठभेड़ में ग्रामीणों को मारा गया है. अफसरों के पास जब ग्रामीण शिकायत करने पहुंचे तो गवाह भी अपने साथ लेकर पहुंचे. ग्रामीणों का कहना था कि गांव के दो लोग इस बात की गवाही दे रहे हैं कि मुठभेड़ फर्जी थी.
पुलिस का तर्क: कांकेर पुलिस का कहना है कि वो आम दिनों की तरह कोयलीबेड़ा में एरिया डोमिनेशन और सर्चिंग के लिए निकली थी. फोर्स जब भोमार और हुरतराई के जंगल में पहुंची तो घात लगाए नक्सलियों ने उनपर हमला बोल दिया. जवानों ने पोजिशन लेते हुए नक्सलियों को जवाब दिया. जवानों की गोलीबारी में तीन नक्सली मौके पर ही ढेर हो गए. मुठभेड़ स्थल से जवानों ने तीन भरमार बंदूकें भी बरामद की.
बस्तर में चल रहा नक्सल विरोधी अभियान: पूरे बस्तर में इन दिनों नक्सल विरोधी अभियान चलाया जा रहा है. नक्सल विरोधी अभियान के दौरान जवान लगातार नक्सलियों के सेफ जोन में घुस रहे हैं. केंद्रीय गृहमंत्री ने खुद कहा है कि नक्सलवाद पर हमें जल्द से जल्द काबू पाना है. राज्य सरकार की भी कोशिश है कि बस्तर में बारुद की जगह विकास की बयार बहे. जिस तरह से कोयलीबेड़ा मुठभेड़ को फर्जी साबित करने पर कांग्रेस जुट गई है उससे जरूर जवानों का मनोबल कम होगा.