गिरिडीह: कभी 55 प्रतिशत मत लाकर जीतती रही कांग्रेस का गिरिडीह विधानसभा में हाल बुरा हो गया. राज्य गठन के बाद हुए चार चुनाव में महज एक बार ही राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस ने यहां से उम्मीदवार उतारा. 2014 में पार्टी के प्रत्याशी का बुरा हाल रहा. जमानत भी नहीं बची और नोटा से महज कुछ वोट ही अधिक ला सकी. अब एक बार फिर से कांग्रेस ने इस सीट पर दावा ठोंका है. इस बार पार्टी के नेता अजय सिन्हा ऊर्फ मंटू ने पार्टी से टिकट देने की मांग रखी है.
ईटीवी भारत से बातचीत में अजय सिन्हा ने बड़ा दावा किया है. इनका कहना है कि कांग्रेस के वोट से ही झामुमो जीतती रही है. यदि इस सीट पर पार्टी उम्मीदवार दे तो अपने बूते कांग्रेस इस सीट को जीत सकती है. अजय सिन्हा ने नगर निगम चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि पिछली दफा नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस और जेएमएम ने अपना अपना उम्मीदवार उतारा था. उस चुनाव में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे. ऐसे में समझा जा सकता है कि इस सीट पर कांग्रेस मजबूत है.
कौन हैं अजय सिन्हा
अजय कुमार सिन्हा उर्फ मंटू गिरिडीह के प्रसिद्ध अधिवक्ता हैं. जिला अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष के अलावा कांग्रेस प्रदेश कमेटी में सचिव के पद पर भी कार्यरत हैं. सामाजिक कार्य में भी इनकी भागीदारी रहती है. कोरोना काल में भी इनके द्वारा लोगों की मदद की गई. ऐसे में अब इन्होंने टिकट की दावेदारी की है तो चर्चा का भी बाजार गर्म है. अजय सिन्हा कहते हैं कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को सभी बातें बतायी है. बताया है कि कैसे इस सीट को कांग्रेस जीत सकती है. अब जो निर्णय लिया जाएगा उन्हें स्वीकार है.
गिरिडीह विधानसभा सीट के चुनावी आंकड़े की बात करें तो अभी तक 16 बार चुनाव हुआ है. इनमें से पांच दफा कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं. दो दफा झामुमो, चार बार सीपीआई तो तीन बार भाजपा तथा एक दफा जेवीएम के प्रत्याशी जीते हैं. कांग्रेस की टिकट पर सन 1952 में केबी सहाय, 1962 और 1967 में रघुनन्दन राम, 1980 में उर्मिला देवी और 1990 में ज्योतीन्द्र प्रसाद निर्वाचित हुए. इसके बाद कांग्रेस का कद यहां घटता रहा. पार्टी में आपसी मतभेद, विवाद और गठबंधन के कारण कांग्रेस सिमटती गई. पार्टी के समर्थकों का झुकाव गठबंधन के प्रत्याशी की तरफ बढ़ता गया. अब फिर से कांग्रेस खुद को मजबूत बता रही है.
घटता रहा वोट बैंक
बात 1980 से करें तो 80 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने उर्मिला देवी को उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव में उर्मिला को 28997 (55 प्रतिशत) मत मिला और सीपीआई प्रत्याशी चतुरानन मिश्र को 16798 मत से हराया था. 80 के बाद 85 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर से उर्मिला देवी को उम्मीदवार बनाया था लेकिन सीपीआई के ओमी लाल आजाद ने उर्मिला को 5696 मत से पराजित कर दिया था.
ओमी को 19006 (36.79 प्रतिशत) तो उर्मिला को 13310 (25.77 प्रतिशत) मत मिला था. इस तरह से 80 से 85 में कांग्रेस को आधा ही वोट मिल सका. हम बात करें 1990 की तो इस बार कांग्रेस ने ज्योतीन्द्र प्रसाद को उम्मीदवार बनाया. ज्योतिन्द्र पार्टी नेतृत्व के भरोसे पर खरे उतरे और 24391 (35.42 प्रतिशत) मत लाते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सीपीआई के ओमी लाल आजाद को 4047 मत से पराजित कर दिया.
95 में पार्टी ने फिर से ज्योतिन्द्र को प्रत्याशी बनाया. इस बार कांग्रेस की टक्कर भाजपा से हुई. भाजपा के चन्द्रमोहन प्रसाद ने ज्योतीन्द्र प्रसाद को 5264 मत से पराजित कर दिया. 95 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सीएम प्रसाद को 23123 (25.86 प्रतिशत) तो कांग्रेस प्रत्याशी को 17859 (19.97 प्रतिशत) मत ही मिल सका. यहां से इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस का पतन शुरू ही गया.
झारखंड गठन के बाद बुरी हुई स्थिति, 55 से 2 पर पहुंचा वोट प्रतिशत
सन 2000, यह अखंड बिहार का आखिरी विधानसभा चुनाव था. इस बार कांग्रेस ने तीसरी दफा ज्योतीन्द्र प्रसाद को उम्मीदवार बनाया लेकिन ज्योतिन्द्र बीजेपी प्रत्याशी चंद्रमोहन क्या इस चुनाव में निर्भय कुमार शाहबादी से भी नीचे रहे. इस चुनाव में बीजेपी के चन्द्रमोहन प्रसाद को 24772 (27.71 प्रतिशत), दूसरे स्थान पर रहते हुए कड़ी टक्कर देने वाले आरजेडी के निर्भय शाहबादी को 23697 (26.56 प्रतिशत) तो तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के ज्योतिन्द्र प्रसाद को 14804 (16.59 प्रतिशत) मत ही मिला.
2005, झारखंड का पहला विधानसभा चुनाव. इस चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार ही नहीं दिया. 2009 के चुनाव में भी कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं दिया. 2014 में इस सीट पर कांग्रेस ने रुमा सिंह को उतारा. रुमा अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को मात्र 2 प्रतिशत (2998) मत ही मिल सका. 2019 में कांग्रेस महागठबंधन में शामिल हो गई और गिरिडीह सीट झामुमो के पाले में चली गई. 2019 के चुनाव में झामुमो प्रत्याशी सुदिव्य कुमार ने जीत दर्ज करते हुए भाजपा के निर्भय को हराया था.
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