लातेहार: चतरा लोकसभा क्षेत्र हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी हॉट केक बन गया है. चतरा लोकसभा क्षेत्र इंडि गठबंधन के लिए परेशानी का सबब बन गया है. एक तरफ जहां कांग्रेस इस सीट पर अपना दावा कर रही है. उधर, राजद कार्यकर्ता मंत्री सत्यानंद भोक्ता को चतरा लोकसभा सीट से उम्मीदवार भी घोषित करने की बात कर रहे हैं.
दरअसल, चतरा लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस दोनों पार्टियों का अपना-अपना दावा है. राष्ट्रीय जनता दल का कहना है कि यह उसकी पारंपरिक सीट है. गठबंधन धर्म के तहत उन्हें चतरा लोकसभा और पलामू दोनों सीटें मिलनी चाहिए. इस दावे को साकार करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ता मंत्री सत्यानंद भोक्ता को चतरा लोकसभा सीट से उम्मीदवार भी घोषित कर रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ता खुलेआम कह रहे हैं कि सत्यानंद भोक्ता यहां से राष्ट्रीय जनता दल और इंडि गठबंधन के उम्मीदवार होंगे. मंत्री सत्यानंद भोक्ता खुद कई जगहों पर कह चुके हैं कि वे चतरा लोकसभा से चुनाव लड़ने को तैयार हैं.
कांग्रेस का है चतरा लोकसभा सीट पर दावा
इस बीच, कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी भी कांग्रेस और इंडी गठबंधन की ओर से चतरा लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनने की दौड़ में हैं. उन्होंने चतरा लोकसभा सीट को कांग्रेस की सीट बताया है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि चतरा लोकसभा सीट कांग्रेस की पारंपरिक सीट है. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में भी कांग्रेस यहां दूसरे नंबर की पार्टी थी. इसलिए कांग्रेस ही यहां से लोकसभा चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि इंडि गठबंधन के बड़े नेता जल्द ही इस पर फैसला लेंगे और इसकी घोषणा करेंगे.
जब केएन त्रिपाठी से राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ताओं द्वारा चतरा लोकसभा क्षेत्र से मंत्री सत्यानंद भोक्ता को उम्मीदवार बनाने की एकतरफा घोषणा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. सत्यानंद भोक्ता उनके अच्छे दोस्तों में से एक हैं. कांग्रेस और गठबंधन के सभी सहयोगी जल्द ही बैठक कर चतरा लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा करेंगे.
पिछले चुनाव में भी हो चुका है दोस्ताना संघर्ष
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी चतरा लोकसभा सीट पर यूपीए गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के बीच तालमेल नहीं बन पाया था. इस कारण चतरा लोकसभा से कांग्रेस से मनोज यादव और राष्ट्रीय जनता दल से सुभाष यादव चुनाव लड़े. इनमें कांग्रेस के मनोज यादव को करीब डेढ़ लाख वोट मिले, जबकि सुभाष यादव को करीब 83 हजार वोट मिले. दोस्ताना संघर्ष में दोनों प्रत्याशी बुरी तरह हार गये. उम्मीद है कि पिछली हार से सीख लेते हुए इस बार इंडि गठबंधन से सिर्फ एक ही पार्टी का उम्मीदवार मैदान में उतारा जाएगा.
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