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छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की नई रणनीति, जिताऊ कैंडिडेट और सीट को लेकर बनाया समीकरण - Lok Sabha election 2024

छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पटखनी देने के लिए कांग्रेस ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. बीजेपी के गढ़ पर भी कांग्रेस की नजर है. लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने क्या रणनीति तैयार की है. इसे जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट

Lok Sabha election 2024
लोकसभा चुनाव 2024
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 31, 2024, 4:17 PM IST

Updated : Apr 2, 2024, 3:50 PM IST

रायपुर: पूरे देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारक और उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि जनता जनार्दन का आशीर्वाद चुनाव में वोट के रूप में पार्टी को मिल सके. बात अगर छत्तीसगढ़ की करें तो यहां एक ओर बीजेपी प्रदेश के 11 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रही है. तो वहीं, कांग्रेस भी बीजेपी को मात देकर कई सीटों को हथियाने की बात कह रही है.

ऐसे में जब हम छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों के इतिहास पर गौर नजर डालते हैं, तो इनमें से छह सीटें भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है, जहां राज्य के गठन के बाद से कभी भी भाजपा चुनाव नहीं हारी है. भाजपा के इन गढ़ों में कांग्रेस ने इस बार सेंध लगाने की बात कही है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा को उम्मीद है कि भाजपा फिर अपने गढ़ में जीत हासिल करेगी, साथ ही अन्य सीटों पर भी इस बार भाजपा का कब्जा रहेगा.

आइए एक नजर डालते हैं भाजपा के गढ़ रहे 6 लोकसभा सीटों पर: कांकेर, सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, रायपुर और बिलासपुर ये वो 6 सीटें हैं, जिन पर राज्य गठन के बाद से ही भाजपा का कब्जा रहा है. इनमें कांकेर, सरगुजा और रायगढ़ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. जांजगीर-चांपा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जबकि रायपुर और बिलासपुर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.

राजनांदगांव में उपचुनाव में बीजेपी को मिली थी हार: राजनांदगांव लोकसभा सीट की करें तो यहां भाजपा ने साल 2000 में राज्य गठन के बाद से कभी हार का स्वाद नहीं चखा, लेकिन साल 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की थी. छत्तीसगढ़ के मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद भाजपा ने राज्य में विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया. भगवा पार्टी ने 2003 से 2018 तक 15 सालों तक राज्य में शासन किया और साल 2023 के विधानसभा चुनाव में चौथी बार सत्ता में आई. भाजपा ने साल 2004, 2009 और 2014 में 10 लोकसभा सीटें जीतीं. साल 2018 के विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने नौ सीटें जीती थी.

Congress strategy for Lok Sabha in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की नई रणनीति

कांग्रेस ने भाजपा के गढ़ में उतारे दिग्गज उम्मीदवार: कांग्रेस ने भाजपा के छह गढ़ों में सेंध लगाने के लिए एक मौजूदा विधायक, एक मंत्री सहित दो पूर्व विधायकों, दो नए चेहरों और एक अनुभवी नेता पर उम्मीदें लगा रखी हैं. रायपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद सुनील सोनी को हटाकर आठ बार के विधायक और विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली वर्तमान राज्य सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है. वहीं, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुनील सोनी ने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को 3,48,238 वोटों के अंतर से हराया था.रायपुर से कांग्रेस ने इस बार रायपुर से पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा है. विकास उपाध्याय ने साल 2018 में पहली बार रायपुर शहर पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक चुने गए, लेकिन वह साल 2023 का विधानसभा चुनाव हार गए.

इन दिग्गजों के बीच होगा मुकाबला: वहीं, कांकेर लोकसभा सीट पर भी भाजपा ने मौजूदा सांसद मोहन मंडावी को टिकट नहीं दिया है. पूर्व विधायक भोजराज नाग को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है, जो अतीत में पंचायत निकायों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. बीरेश ठाकुर ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांकेर से मंडावी से 6,914 वोटों से हार गए थे. इस सीट पर साल 2014 में बीजेपी के विक्रम मंडावी और साल 2009 और साल 2004 में सोहन पोटाई ने जीत हासिल की थी.इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद गुहाराम अजगले को टिकट न देकर महिला नेता कमलेश जांगड़े को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया को चुनावी मैदान में उतारा है.

सीटवार उम्मीदवारों के दंगल पर नजर: वहीं, सरगुजा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने हर चुनाव में अपना उम्मीदवार बदला और इस सीट पर जीत हासिल की. इस बार सरगुजा सीट पर बीजेपी ने चिंतामणि महाराज को टिकट दिया है. चिंतामणि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. वहीं, कांग्रेस ने सरगुजा सीट पर पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को मैदान में उतारा है. रायगढ़ लोकसभा सीट मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का गृह क्षेत्र है. इस सीट पर साल 2019 में बीजेपी ने गोमती साय को मैदान में उतारा था, जिन्होंने कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया को हराया थी. वहीं, इस बार भाजपा ने राधेश्याम राठिया को यहां से टिकट दिया है. वहीं, कांग्रेस ने मेनका देवी सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बिलासपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक तोखन साहू और कांग्रेस के निवर्तमान विधायक देवेन्द्र यादव के बीच मुकाबला होगा. दोनों दिग्गज नेता है. राजनांदगांव में भाजपा के मौजूदा सांसद संतोष पांडे लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है.

भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने का दावा: इस बारे में प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने दावा किया कि उनकी पार्टी बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाएगी. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ने कहा कि, " बीजेपी के गढ़ रहे सीटों पर हमने मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं. हम लोगों के बीच कांग्रेस की पांच गारंटी और मोदी सरकार की विफलताओं का प्रचार कर रहे हैं.''

कांग्रेस पार्टी डूबती जहाज: वहीं, कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने एक सभा के दौरान कहा था कि, "कांग्रेस एक डूबता जहाज है. राज्य में कांग्रेस एकजुट नहीं हैं. बीजेपी राज्य की सभी 11 सीटों पर जीत हासिल करेगी."

ऐसे में अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव में कितने सीटों पर जीत दर्ज करती है और किस पार्टी पर जनता मेहरबान होती है.

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रायपुर: पूरे देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारक और उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि जनता जनार्दन का आशीर्वाद चुनाव में वोट के रूप में पार्टी को मिल सके. बात अगर छत्तीसगढ़ की करें तो यहां एक ओर बीजेपी प्रदेश के 11 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रही है. तो वहीं, कांग्रेस भी बीजेपी को मात देकर कई सीटों को हथियाने की बात कह रही है.

ऐसे में जब हम छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों के इतिहास पर गौर नजर डालते हैं, तो इनमें से छह सीटें भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है, जहां राज्य के गठन के बाद से कभी भी भाजपा चुनाव नहीं हारी है. भाजपा के इन गढ़ों में कांग्रेस ने इस बार सेंध लगाने की बात कही है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा को उम्मीद है कि भाजपा फिर अपने गढ़ में जीत हासिल करेगी, साथ ही अन्य सीटों पर भी इस बार भाजपा का कब्जा रहेगा.

आइए एक नजर डालते हैं भाजपा के गढ़ रहे 6 लोकसभा सीटों पर: कांकेर, सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, रायपुर और बिलासपुर ये वो 6 सीटें हैं, जिन पर राज्य गठन के बाद से ही भाजपा का कब्जा रहा है. इनमें कांकेर, सरगुजा और रायगढ़ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. जांजगीर-चांपा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जबकि रायपुर और बिलासपुर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.

राजनांदगांव में उपचुनाव में बीजेपी को मिली थी हार: राजनांदगांव लोकसभा सीट की करें तो यहां भाजपा ने साल 2000 में राज्य गठन के बाद से कभी हार का स्वाद नहीं चखा, लेकिन साल 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की थी. छत्तीसगढ़ के मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद भाजपा ने राज्य में विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया. भगवा पार्टी ने 2003 से 2018 तक 15 सालों तक राज्य में शासन किया और साल 2023 के विधानसभा चुनाव में चौथी बार सत्ता में आई. भाजपा ने साल 2004, 2009 और 2014 में 10 लोकसभा सीटें जीतीं. साल 2018 के विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने नौ सीटें जीती थी.

Congress strategy for Lok Sabha in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की नई रणनीति

कांग्रेस ने भाजपा के गढ़ में उतारे दिग्गज उम्मीदवार: कांग्रेस ने भाजपा के छह गढ़ों में सेंध लगाने के लिए एक मौजूदा विधायक, एक मंत्री सहित दो पूर्व विधायकों, दो नए चेहरों और एक अनुभवी नेता पर उम्मीदें लगा रखी हैं. रायपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद सुनील सोनी को हटाकर आठ बार के विधायक और विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली वर्तमान राज्य सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है. वहीं, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुनील सोनी ने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को 3,48,238 वोटों के अंतर से हराया था.रायपुर से कांग्रेस ने इस बार रायपुर से पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा है. विकास उपाध्याय ने साल 2018 में पहली बार रायपुर शहर पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक चुने गए, लेकिन वह साल 2023 का विधानसभा चुनाव हार गए.

इन दिग्गजों के बीच होगा मुकाबला: वहीं, कांकेर लोकसभा सीट पर भी भाजपा ने मौजूदा सांसद मोहन मंडावी को टिकट नहीं दिया है. पूर्व विधायक भोजराज नाग को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है, जो अतीत में पंचायत निकायों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. बीरेश ठाकुर ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांकेर से मंडावी से 6,914 वोटों से हार गए थे. इस सीट पर साल 2014 में बीजेपी के विक्रम मंडावी और साल 2009 और साल 2004 में सोहन पोटाई ने जीत हासिल की थी.इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद गुहाराम अजगले को टिकट न देकर महिला नेता कमलेश जांगड़े को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया को चुनावी मैदान में उतारा है.

सीटवार उम्मीदवारों के दंगल पर नजर: वहीं, सरगुजा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने हर चुनाव में अपना उम्मीदवार बदला और इस सीट पर जीत हासिल की. इस बार सरगुजा सीट पर बीजेपी ने चिंतामणि महाराज को टिकट दिया है. चिंतामणि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. वहीं, कांग्रेस ने सरगुजा सीट पर पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को मैदान में उतारा है. रायगढ़ लोकसभा सीट मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का गृह क्षेत्र है. इस सीट पर साल 2019 में बीजेपी ने गोमती साय को मैदान में उतारा था, जिन्होंने कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया को हराया थी. वहीं, इस बार भाजपा ने राधेश्याम राठिया को यहां से टिकट दिया है. वहीं, कांग्रेस ने मेनका देवी सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बिलासपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक तोखन साहू और कांग्रेस के निवर्तमान विधायक देवेन्द्र यादव के बीच मुकाबला होगा. दोनों दिग्गज नेता है. राजनांदगांव में भाजपा के मौजूदा सांसद संतोष पांडे लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है.

भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने का दावा: इस बारे में प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने दावा किया कि उनकी पार्टी बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाएगी. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ने कहा कि, " बीजेपी के गढ़ रहे सीटों पर हमने मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं. हम लोगों के बीच कांग्रेस की पांच गारंटी और मोदी सरकार की विफलताओं का प्रचार कर रहे हैं.''

कांग्रेस पार्टी डूबती जहाज: वहीं, कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने एक सभा के दौरान कहा था कि, "कांग्रेस एक डूबता जहाज है. राज्य में कांग्रेस एकजुट नहीं हैं. बीजेपी राज्य की सभी 11 सीटों पर जीत हासिल करेगी."

ऐसे में अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव में कितने सीटों पर जीत दर्ज करती है और किस पार्टी पर जनता मेहरबान होती है.

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Last Updated : Apr 2, 2024, 3:50 PM IST
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