ETV Bharat / state

MP में सोयाबीन पर सियासत, कांग्रेस के आंदोलन के जवाब में ये है बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक - MP Soyabean Politics - MP SOYABEAN POLITICS

मध्यप्रदेश की सियासत अब सोयाबीन को लेकर गर्माई है. सोयाबीन के सहारे किसानों का वोट बैंक अपनी ओर खींचने के लिए कांग्रेस ने किसान न्याय यात्रा शुरू की है. कांग्रेस ने किसानों के मुद्दों को लेकर पूरे प्रदेश में आंदोलन का विस्तार करने की रणनीति बनाई है. इधर, कांग्रेस को जवाब देते हुए बीजेपी ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी को मंजूरी दे दी है. लेकिन किसान इस घोषणा से खुश नहीं हैं.

MP Soyabean Politics
मंदसौर में किसानों का आंदोलन (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 12, 2024, 6:29 PM IST

Updated : Sep 13, 2024, 2:03 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में अब कांग्रेस ने बीजेपी के सबसे मजबूत वोट बैंक पर सेंधमारी की तैयारी की है. महिलाओं के बाद किसान वोटर्स पर बीजेपी की मजबूत पकड़ है. लेकिन सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ सड़क पर उतरी कांग्रेस अब इसी वोट बैंक के सहारे एमपी में अपनी सूखी जमीन को हराभरा करने की कोशिश में जुट गई है. दिग्विजय सिंह से लेकर जीतू पटवारी तक किसान नेता बनने की दौड़ में हैं. हालांकि बीजेपी इस वोट बैंक को आसानी से नहीं जाने देना चाहती. लिहाजा कांग्रेस की न्याय यात्रा शुरू होते ही केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदी को मंजूरी दे दी. वहीं, कांग्रेस एमएसपी बढ़ाए जाने पर अड़ी है. असल में किसानों की भी मूल मांग यही है.

MP Soyabean Politics
किसान नेताओं के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (ETV BHARAT)

किसान आंदोलन के लिए मंदसौर ही क्यों चुना

कांग्रेस ने किसान न्याय यात्रा के लिए उसी मंदसौर की जमीन को चुना, जहां से किसान गोलीकांड हुआ था. किसान न्याय यात्रा का सबसे बड़ा मुद्दा है सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए. एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मंदसौर से आंदोलन शुरू किया. दूसरे ही दिन मोहन यादव सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा और और 24 घंटे से कम समय में ही केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी को मंजूरी दे दी.

किसान आंदोलन को विस्तार देने की कांग्रेस की रणनीति

कांग्रेस जिस मुद्दे को लेकर मंदसौर से शुरू करके आंदोलन को पूरे प्रदेश में ले जाने की तैयारी कर रही थी, बीजेपी ने इस कोशिश झटका दिया है. क्या शिवराज के इस मास्टर स्ट्रोक से कांग्रेस के आंदोलन की हवा निकल गई है. इस बारे में कांग्रेस के किसान नेता अवनीश भार्गव कहते हैं "मुद्दा एमएमसपी पर खरीदी का है ही नहीं. हमारा मुद्दा है कि एमएसपी बढ़ाई जाए. जो सोयाबीन खराब हुई है उसका मुआवज़ा दिया जाए. न्याय यात्रा तो पूरे प्रदेश में जाएगी. एमएसपी पर खरीद तो किसान की भी मांग नहीं है. किसान चाहते हैं उसकी लागत का खर्चा निकले. चाहे फिर वह मंडी में बिके या सरकार खरीदे. कांग्रेस का आंदोलन रुकने वाला नहीं है. हम किसानों की आवाज बनकर उनकी लड़ाई लड़ते रहेंगे."

किसानों का आरोप -सरकार भ्रमित करने का प्रयास कर रही

सोयाबीन के मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे किसान नेता बीपी धाकड़ कहते हैं "सोयाबीन पर एमएसपी जनवरी से लागू है. लेकिन मुद्दा ये है ही नहीं. सरकार हमें गुमराह कर रही है. असल में मुद्दा ये है कि हमारी लागत भी नहीं निकल पा रही है. न्यूनतम लागत मूल्य ही नहीं मिल पा रही है. हमारी मांग है कि हमारी जो न्यूनतम लागत है, वह निकल आए." एमएसपी पर खरीदी से क्या कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस सवाल के जवाब में धाकड़ कहते हैं "ये सरकार का छलावा है. सोयाबीन पर एमएसपी जनवरी से लागू है. अभी सोयाबीन मंडी में 4200 के करीब बिक रही है. लेकिन उसमें हमारी लागत भी नहीं निकल रही. सरकार झूठ बोल रही है. हमारा सीधा कहना 4892 एमएसपी है और एक हजार रुपए सरकार किसानों को बोनस दे तो 5784 रुपए हो जाएंगे. अब किसान आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा. जब तक हर क्विंटल का 6 हजार हजार नहीं मिल जाता."

ये खबरें भी पढ़ें...

शिवराज सिंह की घोषणा के बाद भी असंतुष्ट सोयाबीन किसान, 6 हजार से कम MSP मंजूर नहीं

कांग्रेस ने मंदसौर से शुरू की किसान न्याय यात्रा, सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6 हजार रु प्रति क्विंटल करने की मांग

किसानों के लिए ऐसे सिरदर्द बना सोयाबीन

  • किसान अगर सोयाबीन लगाता है तो 12 हजार बीघा खर्च आता है.
  • अगर खेती की जमीन किसान की है तो 12 हजार का खर्च. अगर यही जमीन वह लीज पर लेता है तो ये खर्च 15 हजार तक और बढ़ जाता है.
  • एक बीघा में केवल 3 क्विंटल सोयाबीन निकलता है.
  • किसानों की मांग है कि सरकार 4892 रुपये समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद करे.
  • किसानों को एक हजार रुपए का बोनस दिया जाए.
  • इस तरह से किसान को एक क्विटंल पर 6 हजार तक मिल सकेगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश में अब कांग्रेस ने बीजेपी के सबसे मजबूत वोट बैंक पर सेंधमारी की तैयारी की है. महिलाओं के बाद किसान वोटर्स पर बीजेपी की मजबूत पकड़ है. लेकिन सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ सड़क पर उतरी कांग्रेस अब इसी वोट बैंक के सहारे एमपी में अपनी सूखी जमीन को हराभरा करने की कोशिश में जुट गई है. दिग्विजय सिंह से लेकर जीतू पटवारी तक किसान नेता बनने की दौड़ में हैं. हालांकि बीजेपी इस वोट बैंक को आसानी से नहीं जाने देना चाहती. लिहाजा कांग्रेस की न्याय यात्रा शुरू होते ही केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोयाबीन की एमएसपी पर खरीदी को मंजूरी दे दी. वहीं, कांग्रेस एमएसपी बढ़ाए जाने पर अड़ी है. असल में किसानों की भी मूल मांग यही है.

MP Soyabean Politics
किसान नेताओं के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (ETV BHARAT)

किसान आंदोलन के लिए मंदसौर ही क्यों चुना

कांग्रेस ने किसान न्याय यात्रा के लिए उसी मंदसौर की जमीन को चुना, जहां से किसान गोलीकांड हुआ था. किसान न्याय यात्रा का सबसे बड़ा मुद्दा है सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए. एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मंदसौर से आंदोलन शुरू किया. दूसरे ही दिन मोहन यादव सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा और और 24 घंटे से कम समय में ही केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी को मंजूरी दे दी.

किसान आंदोलन को विस्तार देने की कांग्रेस की रणनीति

कांग्रेस जिस मुद्दे को लेकर मंदसौर से शुरू करके आंदोलन को पूरे प्रदेश में ले जाने की तैयारी कर रही थी, बीजेपी ने इस कोशिश झटका दिया है. क्या शिवराज के इस मास्टर स्ट्रोक से कांग्रेस के आंदोलन की हवा निकल गई है. इस बारे में कांग्रेस के किसान नेता अवनीश भार्गव कहते हैं "मुद्दा एमएमसपी पर खरीदी का है ही नहीं. हमारा मुद्दा है कि एमएसपी बढ़ाई जाए. जो सोयाबीन खराब हुई है उसका मुआवज़ा दिया जाए. न्याय यात्रा तो पूरे प्रदेश में जाएगी. एमएसपी पर खरीद तो किसान की भी मांग नहीं है. किसान चाहते हैं उसकी लागत का खर्चा निकले. चाहे फिर वह मंडी में बिके या सरकार खरीदे. कांग्रेस का आंदोलन रुकने वाला नहीं है. हम किसानों की आवाज बनकर उनकी लड़ाई लड़ते रहेंगे."

किसानों का आरोप -सरकार भ्रमित करने का प्रयास कर रही

सोयाबीन के मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे किसान नेता बीपी धाकड़ कहते हैं "सोयाबीन पर एमएसपी जनवरी से लागू है. लेकिन मुद्दा ये है ही नहीं. सरकार हमें गुमराह कर रही है. असल में मुद्दा ये है कि हमारी लागत भी नहीं निकल पा रही है. न्यूनतम लागत मूल्य ही नहीं मिल पा रही है. हमारी मांग है कि हमारी जो न्यूनतम लागत है, वह निकल आए." एमएसपी पर खरीदी से क्या कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस सवाल के जवाब में धाकड़ कहते हैं "ये सरकार का छलावा है. सोयाबीन पर एमएसपी जनवरी से लागू है. अभी सोयाबीन मंडी में 4200 के करीब बिक रही है. लेकिन उसमें हमारी लागत भी नहीं निकल रही. सरकार झूठ बोल रही है. हमारा सीधा कहना 4892 एमएसपी है और एक हजार रुपए सरकार किसानों को बोनस दे तो 5784 रुपए हो जाएंगे. अब किसान आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा. जब तक हर क्विंटल का 6 हजार हजार नहीं मिल जाता."

ये खबरें भी पढ़ें...

शिवराज सिंह की घोषणा के बाद भी असंतुष्ट सोयाबीन किसान, 6 हजार से कम MSP मंजूर नहीं

कांग्रेस ने मंदसौर से शुरू की किसान न्याय यात्रा, सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6 हजार रु प्रति क्विंटल करने की मांग

किसानों के लिए ऐसे सिरदर्द बना सोयाबीन

  • किसान अगर सोयाबीन लगाता है तो 12 हजार बीघा खर्च आता है.
  • अगर खेती की जमीन किसान की है तो 12 हजार का खर्च. अगर यही जमीन वह लीज पर लेता है तो ये खर्च 15 हजार तक और बढ़ जाता है.
  • एक बीघा में केवल 3 क्विंटल सोयाबीन निकलता है.
  • किसानों की मांग है कि सरकार 4892 रुपये समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद करे.
  • किसानों को एक हजार रुपए का बोनस दिया जाए.
  • इस तरह से किसान को एक क्विटंल पर 6 हजार तक मिल सकेगा.
Last Updated : Sep 13, 2024, 2:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.