लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन एल. वेंकेटश्वर लू ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश स्तरीय बैठक में चालक-परिचालकों को यात्रियों से अच्छा व्यवहार के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद रोडवेज के कंडक्टर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. बुधवार को परिचालक ने एक दिव्यांग यात्री से न केवल अभद्र व्यवहार किया बल्कि उसका दिव्यांग प्रमाण पत्र मानने से इंकार कर उसे टिकट खरीदने के लिए मजबूर कर दिया. टिकट के लिए भुगतान की धनराशि में बचे हुए पैसे भी यात्री को वापस नहीं किये. लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
कंडक्टर ने दिव्यांग सर्टिफिकेट मानने से किया इंकार
अमेठी के कैथनपुरवा निवासी दिव्यांग यात्री प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने परिचालक पर अभद्रता का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि बुधवार को बारिश में भीगते हुए चारबाग बस स्टेशन पहुंचे. जहां से उन्हें हैदरगढ़ जाना था. यहां पर एक बस जगदीशपुर होते हुए हैदरगढ़ जा रही थी. वह इस बस में चढ़ गए. टिकट खरीदने की बात पर परिचालक ने उन्हें ले जाने से इंकार किया. इसके बाद वह बस संख्या यूपी 33 एटी 5497 पर जाकर बैठ गए. चारबाग डिपो से सुल्तानपुर जा रही यह बस आधे घंटे बाद बस स्टेशन से रवाना हुई. रास्ते में जब कंडक्टर ने टिकट बनाना शुरू किया तो उन्होंने अपना दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया. इस पर परिचालक ने कहा कि यह सब नहीं चलेगा. हरहहाल में टिकट लेना पड़ेगा. परिचालक अभद्रता करने पर आमादा हो गया. अभद्र भाषा का प्रयोग किया. इसके बाद 100 रुपए देकर टिकट लिया. उसने मुझे 98 रुपए का टिकट दिया. बाद में जब मैं बस से उतर गया तो परिचालक ने बचे हुए दो रुपये मांगने के बाद भी नहीं लौटाए.
जांच के बाद कंडक्टर पर होगी कार्रवाई
लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी का कहना है कि 40 फीसद से अधिक दिव्यांगता होने पर दिव्यांग को नि:शुल्क सफर की सुविधा दी जाती है. जो भी परिचालक दिव्यांगों को सफर कराने में आना-कानी करने या उन्हें जबरन टिकट खरीदने को मजबूर करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. हर वर्ष बड़ी संख्या में दिव्यांग हमारी बसों में सफर करते हैं. दिव्यांग यात्रियों की यात्रा बस में नि:शुल्क है. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी. परिचालक अगर जिम्मेदार होगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. दिव्यांग यात्रियों का ब्यौरा देने पर दिव्यांग विभाग से उनके किराये का भुगतान रोडवेज को मिल जाता है. अगर दिव्यांगों को भी लोड फैक्टर में शामिल किया जाये तो चालक-परिचालक उन्हें रोडवेज बसों में सफर कराने से नहीं कतरायेंगे. इससे जहां दिव्यांगों का सफर आसान होगा वहीं परिचालकों को भी राहत मिलेगी.