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उत्तराखंड में स्लो EARTHQUAKE बड़े भूकंप की चेतावनी! वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता, वीक जोन की खोज शुरू - Slow earthquake in Uttarakhand

उत्तराखंड में स्लो भूकंप आ रहे हैं, जिससे बड़े भूकंप आने की संभावना बढ़ गई है. उधर, भू- वैज्ञानिकों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं.

SLOW EARTHQUAKE IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में स्लो EARTHQUAKE (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 6, 2024, 5:44 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में महसूस हो रहे छोटे-छोटे भूकंप किसी बड़े भूकंप आने से पहले की चेतावनी हो सकती है, जिसने भू- वैज्ञानिकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. ऐसे में अब वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश में जुट गए हैं कि हिमालय में भूकंप आने का वीक जोन कहां पर है. किस जगह पर धरती के अंदर दबाव ज्यादा बन रहा है. दरअसल, उत्तराखंड को संवेदनशीलता के लिहाज से जोन 4 और 5 में रखा गया है. प्रदेश में भूकंप आने के सिलसिले पर प्रदेश के चार जिले चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ काफी संवेदनशील हैं, क्योंकि इन जिलों में स्लो भूकंप महसूस होते रहे हैं.

उत्तराखंड में 21 जगह पर स्लो भूकंप आ चुके: नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 6 महीने के भीतर प्रदेश भर में 21 जगह पर स्लो भूकंप आ चुके हैं. यह सभी स्लो भूकंप 1.8 मेग्नीट्यूड से लेकर 3.6 मेग्नीट्यूड तक आए हैं. पिछले 6 महीने के भीतर चमोली जिले में 6 बार भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. इसी क्रम में पिथौरागढ़ जिले में 6 बार, उत्तरकाशी जिले में 3 बार, बागेश्वर जिले में दो बार, देहरादून जिले में दो बार, हरिद्वार में एक बार और रुद्रप्रयाग जिले में एक बार भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. ऐसे में भू वैज्ञानिक इस बात को कह रहे हैं कि संवेदनशील स्थानों पर रह रहे लोगों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है.

उत्तराखंड में स्लो EARTHQUAKE बड़े भूकंप की चेतावनी (video- ETV Bharat)

पिछले एक महीने के भीतर चार जगहों पर आए भूकंप: उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है. पिछले एक महीने के भीतर चार जगहों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार 6 सितंबर 2024 को उत्तरकाशी में 3.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप, 17 सितंबर 2024 को चमोली में 1.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप, 20 सितंबर 2024 को चमोली में 2.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप और 2 अक्टूबर 2024 को रुद्रप्रयाग जिले में 2.3 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. नेपाल रीजन की बात करें तो पिथौरागढ़ से लगते हुए नेपाल क्षेत्र में पिछले एक महीने के भीतर पांच बार भूकंप के झटके महसूस हो चुके हैं. 14 सितंबर को 3.8 मैग्नीट्यूड , 18 सितंबर को 3.5 मैग्नीट्यूड , 27 सितंबर को 3.4 मैग्नीट्यूड, 04 अक्टूबर को 2.7 मैग्नीट्यूड और 05 अक्टूबर को 3.0 मैग्नीट्यूड का स्लो भूकंप आया है.

SLOW EARTHQUAKE IN UTTARAKHAND
2000 के बाद से देश- दुनिया में आए बड़े भूकंप (photo- ETV Bharat)

भूकंप के झटकों ने वैज्ञानिकों की बढ़ाई चिंता: प्रदेश के चार पर्वतीय जिले चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग जिले में आए दिन स्लो भूकंप के झटके महसूस होते रहे हैं. इन जिलों में बार-बार आ रहे स्लो भूकंप के झटकों ने वैज्ञानिकों की चिंता बड़ा दी है. यही वजह है कि वैज्ञानिक इन जिलों को बेहद संवेदनशील मानते हुए इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इन क्षेत्रों में कही भी कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. ऐसे में इन संवेदनशील क्षेत्रों में रह रहे लोगो को सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि आगामी संभावित भूकंप से खुद को सुरक्षित रखा जा सके.

बड़े भूकंप आने से पहले छोटे भूकंप आने का बढ़ जाता है सिलसिला: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व डायरेक्टर डॉ. बीआर अरोड़ा ने बताया कि छोटे भूकंप और बड़े भूकंप के बीच का रिश्ता समझना बहुत आसान नहीं है, क्योंकि चार मैग्नीट्यूड के भूकंप में जितनी एनर्जी रिलीज होती है, उससे करीब 32 गुना अधिक एनर्जी 5 मैग्नीट्यूड के भूकंप में रिलीज होती है. मौजूदा समय में जो स्लो भूकंप आ रहे हैं, उसकी संख्या इतनी ज्यादा नहीं है कि ये कहा जा सके कि भूगर्भ से सारी एनर्जी रिलीज हो गई है, जहां बेहतर टेक्नोलॉजी मौजूद है, वहा पर ये पाया गया है कि बड़े भूकंप आने के कुछ साल या कुछ महीने पहले छोटे भूकंप आने का सिलसिला बढ़ जाता है.

भूगर्भ में दबाव बढ़ने से रॉक्स में क्रैक होते हैं पैदा: डॉ. बीआर अरोड़ा ने बताया कि जब भूगर्भ में दबाव बढ़ता है तो इसकी वजह से रॉक्स में क्रैक पैदा हो जाते हैं, जिसके चलते स्लो भूकंप पैदा होते हैं, लेकिन भूगर्भ में मौजूद पानी रॉक्स के क्रैक को भरने लगता है, जिसके चलते छोटे भूकंप आने का सिलसिला रुक तो जाता है, लेकिन फिर अचानक एक बड़ा भूकंप आता है. उन्होंने कहा कि यह भूकंप के पूर्वानुमान का एक टूल है कि अगर किसी क्षेत्र में छोटे-छोटे भूकंप आते हैं और फिर यह छोटे भूकंप आने से बंद हो जाते हैं. ऐसे में बड़े भूकंप के आने की संभावना बन जाती है. चमोली जिले में 1999 और उत्तरकाशी जिले में 1991 में जो भूकंप आए थे, उस दौरान ऐसी प्रवृत्ति देखी गई थी.

उत्तराखंड में पिछले 100 साल के भीतर बहुत कम भूकंप आए: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. एमजी ठक्कर ने बताया कि उत्तराखंड में पिछले 100 साल के भीतर बहुत कम भूकंप आए हैं. यही वजह है कि वैज्ञानिक इस पर अध्ययन कर रहे हैं कि आने वाले समय में कोई बड़ा भूकंप आ सकता है या नहीं, ताकि यह जाना जा सके कि 6 मेग्नीट्यूड से अधिक मेग्नीट्यूड का भूकंप कब दोबारा आ सकता है, इसके लिए फास्ट भूकंप की स्टडी से पता चलता है. हालांकि एनर्जी के पास मेमोरी नहीं होती है, लिहाजा बड़े भूकंप का अनुमान रॉक के स्ट्रैंथ, भूगर्भ में कितनी एनर्जी एकत्र हुई है और रिलीज कहां से हो सकती है, इससे लगाया जा सकता है.

उत्तराखंड रीजन में बड़ा भूकंप आने की संभावना: डॉ. एमजी ठक्कर ने बताया कि वैज्ञानिक इस पर अध्ययन कर रहे हैं कि वीक जोन कौन सा है, जहां से भूगर्भ की एनर्जी रिलीज हो सकती है. यह अध्ययन सिर्फ वाडिया इंस्टीट्यूट नहीं कर रहा है, बल्कि नेशनल जिओफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट समेत विभिन्न इंस्टीट्यूट ने पूरे हिमालय में तमाम जगहों पर अलग-अलग स्टेशन लगाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि एसएमएस सभी के अध्ययन डाटा को एकजुट कर अध्ययन करने के लिए वाडिया इंस्टिट्यूट में डाटा सेंटर बनाया गया है. उत्तराखंड में अगर कोई बड़ा भूकंप आता है तो वह करीब 7 मैग्नीट्यूड तक का आ सकता है. यह सभी scientist community के सालों के अध्ययन के बाद यह कहा जा रहा है कि उत्तराखंड रीजन में बड़ा भूकंप आने की संभावना है.

साल 2000 के बाद से देश- दुनिया में आए बड़े भूकंप

  • साल 2001 में गुजरात में आए 7.7 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 20 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2003 में बैम, ईरान में आए 6.6 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 27 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2004 में सुमात्रा अंडमान, इंडोनेशिया में आए 9.2 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब दो लाख 40 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2005 में मुजफ्फराबाद, पकिस्तान में आए 7.6 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 87 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2008 में सिचुआन, चीन में आए 8.0 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 80 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2010 में कैरीबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ आए 7.0 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 3 लाख 16 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2011 में तोहोकू, जापान में आए 9.1 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 18 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2011 में सिक्किम में आए 6.9 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 120 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2015 में नेपाल में आए 7.8 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 10 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2018 में अलास्का, यूएसए में 7.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था, लेकिन किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी.
  • साल 2021 में कैरीबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ आए 7.2 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 3 हजार लोगों की मौत हुई थी.

आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि उत्तराखंड राज्य भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है, जिसको देखते हुए लगातार काम किया जा रहे हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में तमाम जगहों पर सेंसर लगाए गए हैं, जिसकी रिपोर्ट आती रहती है. इस सेंसर की खास बात यह है कि 5 से अधिक भूकंप आता है तो ये सेंसर वार्निंग देगा. वहीं,अगर कोई भूकंप आता है तो सेंसर अलार्म देगा. उन्होंने कहा कि लोगों के मोबाइल पर भी इसकी जानकारी मिल सकेगी. साथ ही भूकंप आने के 6 सेकंड से 20 सेकंड पहले ही अनुमान लग जाएगा. ऐसे में लोग अपने आपको सुरक्षित कर सकते हैं.

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देहरादून: उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में महसूस हो रहे छोटे-छोटे भूकंप किसी बड़े भूकंप आने से पहले की चेतावनी हो सकती है, जिसने भू- वैज्ञानिकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. ऐसे में अब वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश में जुट गए हैं कि हिमालय में भूकंप आने का वीक जोन कहां पर है. किस जगह पर धरती के अंदर दबाव ज्यादा बन रहा है. दरअसल, उत्तराखंड को संवेदनशीलता के लिहाज से जोन 4 और 5 में रखा गया है. प्रदेश में भूकंप आने के सिलसिले पर प्रदेश के चार जिले चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ काफी संवेदनशील हैं, क्योंकि इन जिलों में स्लो भूकंप महसूस होते रहे हैं.

उत्तराखंड में 21 जगह पर स्लो भूकंप आ चुके: नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 6 महीने के भीतर प्रदेश भर में 21 जगह पर स्लो भूकंप आ चुके हैं. यह सभी स्लो भूकंप 1.8 मेग्नीट्यूड से लेकर 3.6 मेग्नीट्यूड तक आए हैं. पिछले 6 महीने के भीतर चमोली जिले में 6 बार भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. इसी क्रम में पिथौरागढ़ जिले में 6 बार, उत्तरकाशी जिले में 3 बार, बागेश्वर जिले में दो बार, देहरादून जिले में दो बार, हरिद्वार में एक बार और रुद्रप्रयाग जिले में एक बार भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. ऐसे में भू वैज्ञानिक इस बात को कह रहे हैं कि संवेदनशील स्थानों पर रह रहे लोगों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है.

उत्तराखंड में स्लो EARTHQUAKE बड़े भूकंप की चेतावनी (video- ETV Bharat)

पिछले एक महीने के भीतर चार जगहों पर आए भूकंप: उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है. पिछले एक महीने के भीतर चार जगहों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार 6 सितंबर 2024 को उत्तरकाशी में 3.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप, 17 सितंबर 2024 को चमोली में 1.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप, 20 सितंबर 2024 को चमोली में 2.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप और 2 अक्टूबर 2024 को रुद्रप्रयाग जिले में 2.3 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. नेपाल रीजन की बात करें तो पिथौरागढ़ से लगते हुए नेपाल क्षेत्र में पिछले एक महीने के भीतर पांच बार भूकंप के झटके महसूस हो चुके हैं. 14 सितंबर को 3.8 मैग्नीट्यूड , 18 सितंबर को 3.5 मैग्नीट्यूड , 27 सितंबर को 3.4 मैग्नीट्यूड, 04 अक्टूबर को 2.7 मैग्नीट्यूड और 05 अक्टूबर को 3.0 मैग्नीट्यूड का स्लो भूकंप आया है.

SLOW EARTHQUAKE IN UTTARAKHAND
2000 के बाद से देश- दुनिया में आए बड़े भूकंप (photo- ETV Bharat)

भूकंप के झटकों ने वैज्ञानिकों की बढ़ाई चिंता: प्रदेश के चार पर्वतीय जिले चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग जिले में आए दिन स्लो भूकंप के झटके महसूस होते रहे हैं. इन जिलों में बार-बार आ रहे स्लो भूकंप के झटकों ने वैज्ञानिकों की चिंता बड़ा दी है. यही वजह है कि वैज्ञानिक इन जिलों को बेहद संवेदनशील मानते हुए इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इन क्षेत्रों में कही भी कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. ऐसे में इन संवेदनशील क्षेत्रों में रह रहे लोगो को सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि आगामी संभावित भूकंप से खुद को सुरक्षित रखा जा सके.

बड़े भूकंप आने से पहले छोटे भूकंप आने का बढ़ जाता है सिलसिला: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व डायरेक्टर डॉ. बीआर अरोड़ा ने बताया कि छोटे भूकंप और बड़े भूकंप के बीच का रिश्ता समझना बहुत आसान नहीं है, क्योंकि चार मैग्नीट्यूड के भूकंप में जितनी एनर्जी रिलीज होती है, उससे करीब 32 गुना अधिक एनर्जी 5 मैग्नीट्यूड के भूकंप में रिलीज होती है. मौजूदा समय में जो स्लो भूकंप आ रहे हैं, उसकी संख्या इतनी ज्यादा नहीं है कि ये कहा जा सके कि भूगर्भ से सारी एनर्जी रिलीज हो गई है, जहां बेहतर टेक्नोलॉजी मौजूद है, वहा पर ये पाया गया है कि बड़े भूकंप आने के कुछ साल या कुछ महीने पहले छोटे भूकंप आने का सिलसिला बढ़ जाता है.

भूगर्भ में दबाव बढ़ने से रॉक्स में क्रैक होते हैं पैदा: डॉ. बीआर अरोड़ा ने बताया कि जब भूगर्भ में दबाव बढ़ता है तो इसकी वजह से रॉक्स में क्रैक पैदा हो जाते हैं, जिसके चलते स्लो भूकंप पैदा होते हैं, लेकिन भूगर्भ में मौजूद पानी रॉक्स के क्रैक को भरने लगता है, जिसके चलते छोटे भूकंप आने का सिलसिला रुक तो जाता है, लेकिन फिर अचानक एक बड़ा भूकंप आता है. उन्होंने कहा कि यह भूकंप के पूर्वानुमान का एक टूल है कि अगर किसी क्षेत्र में छोटे-छोटे भूकंप आते हैं और फिर यह छोटे भूकंप आने से बंद हो जाते हैं. ऐसे में बड़े भूकंप के आने की संभावना बन जाती है. चमोली जिले में 1999 और उत्तरकाशी जिले में 1991 में जो भूकंप आए थे, उस दौरान ऐसी प्रवृत्ति देखी गई थी.

उत्तराखंड में पिछले 100 साल के भीतर बहुत कम भूकंप आए: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. एमजी ठक्कर ने बताया कि उत्तराखंड में पिछले 100 साल के भीतर बहुत कम भूकंप आए हैं. यही वजह है कि वैज्ञानिक इस पर अध्ययन कर रहे हैं कि आने वाले समय में कोई बड़ा भूकंप आ सकता है या नहीं, ताकि यह जाना जा सके कि 6 मेग्नीट्यूड से अधिक मेग्नीट्यूड का भूकंप कब दोबारा आ सकता है, इसके लिए फास्ट भूकंप की स्टडी से पता चलता है. हालांकि एनर्जी के पास मेमोरी नहीं होती है, लिहाजा बड़े भूकंप का अनुमान रॉक के स्ट्रैंथ, भूगर्भ में कितनी एनर्जी एकत्र हुई है और रिलीज कहां से हो सकती है, इससे लगाया जा सकता है.

उत्तराखंड रीजन में बड़ा भूकंप आने की संभावना: डॉ. एमजी ठक्कर ने बताया कि वैज्ञानिक इस पर अध्ययन कर रहे हैं कि वीक जोन कौन सा है, जहां से भूगर्भ की एनर्जी रिलीज हो सकती है. यह अध्ययन सिर्फ वाडिया इंस्टीट्यूट नहीं कर रहा है, बल्कि नेशनल जिओफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट समेत विभिन्न इंस्टीट्यूट ने पूरे हिमालय में तमाम जगहों पर अलग-अलग स्टेशन लगाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि एसएमएस सभी के अध्ययन डाटा को एकजुट कर अध्ययन करने के लिए वाडिया इंस्टिट्यूट में डाटा सेंटर बनाया गया है. उत्तराखंड में अगर कोई बड़ा भूकंप आता है तो वह करीब 7 मैग्नीट्यूड तक का आ सकता है. यह सभी scientist community के सालों के अध्ययन के बाद यह कहा जा रहा है कि उत्तराखंड रीजन में बड़ा भूकंप आने की संभावना है.

साल 2000 के बाद से देश- दुनिया में आए बड़े भूकंप

  • साल 2001 में गुजरात में आए 7.7 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 20 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2003 में बैम, ईरान में आए 6.6 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 27 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2004 में सुमात्रा अंडमान, इंडोनेशिया में आए 9.2 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब दो लाख 40 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2005 में मुजफ्फराबाद, पकिस्तान में आए 7.6 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 87 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2008 में सिचुआन, चीन में आए 8.0 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 80 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2010 में कैरीबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ आए 7.0 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 3 लाख 16 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2011 में तोहोकू, जापान में आए 9.1 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 18 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2011 में सिक्किम में आए 6.9 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 120 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2015 में नेपाल में आए 7.8 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 10 हजार लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2018 में अलास्का, यूएसए में 7.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था, लेकिन किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी.
  • साल 2021 में कैरीबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ आए 7.2 मैग्नीट्यूड के भूकंप से करीब 3 हजार लोगों की मौत हुई थी.

आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि उत्तराखंड राज्य भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है, जिसको देखते हुए लगातार काम किया जा रहे हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में तमाम जगहों पर सेंसर लगाए गए हैं, जिसकी रिपोर्ट आती रहती है. इस सेंसर की खास बात यह है कि 5 से अधिक भूकंप आता है तो ये सेंसर वार्निंग देगा. वहीं,अगर कोई भूकंप आता है तो सेंसर अलार्म देगा. उन्होंने कहा कि लोगों के मोबाइल पर भी इसकी जानकारी मिल सकेगी. साथ ही भूकंप आने के 6 सेकंड से 20 सेकंड पहले ही अनुमान लग जाएगा. ऐसे में लोग अपने आपको सुरक्षित कर सकते हैं.

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