वाराणसी : धर्म नगरी काशी की बात होती है तो घाट व तीर्थ पुरोहितों का जिक्र सहज हो जाता है. काशी आने वाला हर व्यक्ति घाट पर पुरोहितों के जरिए विशेष पूजन अर्चन कराता है, लेकिन इन दोनों घाटों के किनारे रहने वाले तीर्थ पुरोहितों के आजीविका पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. जी हां, काशी के तीर्थ पुरोहित इन दिनों चिंता में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. यह चिंता आगामी दिनों में उनके जीविकोपार्जन के साधन को लेकर है.
बता दें कि, वाराणसी में बढ़ते गंगा के जलस्तर के कारण तराई क्षेत्र में रहने वाले लोगों के ही नहीं बल्कि गंगा घाट पर मौजूद तीर्थ पुरोहित के सामने भी संकट खड़ा कर दिया है. तराई क्षेत्र में रहने वाले लोग जहां अपने लिए आशियाना तलाशने में जुट गए हैं, तो वहीं घाट पर मौजूद तीर्थ पुरोहित अपने लिए रोजगार देख रहे हैं. दरअसल, गंगा के बढ़ते जल स्तर के कारण वाराणसी के घाट जलमग्न हो जाते हैं. ऐसे में तीर्थ पुरोहितों को न पूजा करने के लिए जगह रहती है ना ही उनकी चौकियां लग पाती हैं. बड़ी बात यह है कि, बढ़ते जलस्तर के कारण पर्यटक भी घाटों पर नहीं पहुंच पाते जिस वजह से उनकी जेब पर बड़ा असर पड़ता है.
गंगा के रौद्र रूप से तीर्थ पुरोहितों की आजीविका पर संकट : इस बारे में अस्सी घाट पर मौजूद तीर्थ पुरोहित विकास पांडे (बटुक महाराज) बताते हैं कि, जब-जब गंगा अपने रौद्र रूप में आती है तब तक सबसे पहला असर काशी में मौजूद तीर्थ पुरोहितों के जीवन पर पड़ता है, क्योंकि हमारा आर्थिक सहारा मां गंगा हैं और उनके रौद्र रूप के कारण घाट पर यजमानों का आना बंद हो जाता है. पूजन अर्चन के काम बंद हो जाते हैं, जिस वजह से हम अपना जीविकोपार्जन नहीं कर पाते. यही नहीं हमारे सामने दूसरी विकट स्थिति यह होती है कि हमारे पास रोजगार का कोई दूसरा माध्यम भी नहीं होता, क्योंकि हमारा काम ही तीर्थ पुरोहित का है. पानी बढ़ रहा है इसलिए हमारी चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं.
गर्मी के बाद अब बाढ़ बढ़ा रही चिंता : दूसरे तीर्थ पुरोहित शुभम पाठक बताते हैं कि, जब पानी बढ़ता है तो हमें सबसे ज्यादा परेशानी इस बात की होती है कि हमें बार-बार अपने चौकी का स्थान बदलना पड़ता है और अंततः जब घाट पर पानी भर जाता है तो हमें चौकी लगाने की जगह नहीं मिलती. दो महीने गर्मियों ने हमारे रोजगार पर एक बड़ा असर डाला है. तपन भरी गर्मी के कारण घाट पर यजमान व पर्यटकों का आना ना के बराबर हो गया था और अब बढ़ते जलस्तर के कारण फिर से वही विकट स्थिति सामने नजर आ रही है. अब आगामी 3 महीने तक हमारी रोजी-रोटी पर ऐसे ही संकट रहेगा, जिसने हमें अभी से ही परेशान करना शुरू कर दिया है.
काशी में बढ़ रहा गंगा का जलस्तर : गौरतलब हो कि, काशी में हजारों की संख्या में मौजूद तीर्थ पुरोहितों का जीवन पर्यटक व घाट से संचालित होता है, लेकिन इन दिनों लगातार गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है और इनका जीविकोपार्जन प्रभावित हो रहा है. वर्तमान में एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा आगे बढ़ रही हैं. लगभग 14 घाटों के संपर्क आपस में टूट चुके हैं. गंगा में छोटी नावों के संचालक पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके साथ ही बड़ी नावों पर क्षमता से आधी सवारी न बैठाए जाने का प्रशासन ने निर्देश दिया है. ऐसे में पर्यटकों का आवागमन भी प्रभावित हो रहा है और पुरोहितों के आमदनी पर असर पड़ रहा है.
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