रायपुर : डायल 112 को लेकर जिकित्जा हेल्थकेयर कंपनी को छत्तीसगढ़ में टेंडर मिल सकता है. लेकिन टेंडर को लेकर कई तरह के आरोप कंपनी पर लग रहे थे.जिन्हें लेकर कंपनी ने मीडिया के सवालों के जवाब दिए. आपको बता दें कि राजस्थान में सीबीआई जांच, एमपी में सुविधाओं में कमी सहित कुछ अन्य राज्यों में भी उनकी सुविधाओं में खामी की चर्चाएं हैं. इसके अलावा जिकित्जा कंपनी के टर्नओवर को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे थे. कंपनी के सीईओ नरेश जैन ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया.
कई राज्यों में कंपनी दे रही सेवाएं : जिकित्जा कंपनी के सीईओ नरेश जैन ने बताया कि हमने देश के कई राज्यों में 102 , 104 और 108 की सेवाएं दी है. ओड़िशा में लगभग 11 साल से हम सेवाएं दे रहे हैं. मध्य प्रदेश में लगभग 5-6 सालों से सेवाएं दी जा रही है.पंजाब , झारखंड, यूपी ओर केरला सहित राज्यों में 102 और 108 सर्विस दे रहे हैं.4 से 6 महीने पहले डायल 112 का छत्तीसगढ़ में टेंडर हुआ है. जिसमें हम क्वॉलिफाइड हैं , इसमें दो तरह का ऑप्शन होता है, प्रैक्टिकल क्वॉलिफिकेशन और दूसरा फाइनेंशियल अप्रेजल और इसमें सबसे ज्यादा टेक्निकल स्कोर हमें ही मिला है और प्राइज में सबसे लोएस्ट रेट हमारा रहा है. दोनों ही माध्यम में हम खरे उतरे हैं.हमें हाईएस्ट नंबर मिले हैं और हमारी कोशिश होगी जल्दी हम इन सेवाओं को छत्तीसगढ़ में शुरू कर दें.जिससे जनता को इसका लाभ मिल सके.हमारी कोशिश रहेगी इसमें अच्छी सेवाएं जनता को दे सकें.यह कांटेक्ट अगले 5 साल तक का है.
'इस काम के लिए 75 करोड़ का टर्नओवर कंपनी का मांगा गया था. हमारा 500 करोड़ से अधिक का टर्नओवर पिछले 3 साल से है. राजस्थान की बात की जाए जो सीबीआई की बात कही गई है. यह लगभग 10 साल पुराना मामला है. इस मामले में अब तक कोई ट्रायल या अन्य कोई कार्रवाई आगे नहीं हुई है. एक कॉन्ट्रोवर्सी हुई थी उसे शॉर्ट आउट उस समय कर लिया गया था. यह महज आरोप है ,यह प्रूफ नहीं हो पाया है.'' नरेश जैन,सीईओ,ज़िकित्ज़ा हेल्थकेयर लिमिटेड
कंपनी की खामियों पर दिया जवाब : वही कंपनी सर्विस में खामियों के सवाल पर नरेश जैन ने कहा कि हमारे पास सर्टिफिकेट है. बेहतर काम किया गया है, सेवाएं अच्छी दी गई है.हालांकि 5 साल बाद जब टेंडर हुआ तो उस दौरान हमारे रेट ज्यादा थे, इसलिए हमें यह टेंडर नहीं मिला. वहीं अनुभव को लेकर उठे सवाल पर नरेश जैन ने कहा कि हमें जो भी सर्टिफिकेट दिए गए हैं, उसकी डिपार्टमेंट ओर टेंडर की प्रक्रिया करने वालों की ओर से पूरी तरह जांच की गई है. जब वह सही होते हैं इसके बाद ही उसे कंसीडर किया जाता है नहीं तो वह कंसीडर नहीं करते ,जो एक्सपीरियंस होता उसके हिसाब से ही सर्टिफिकेट दिया जाता है.
वहीं टर्नओवर डॉक्यूमेंट में सीए की जगह कंपनी मेंबर के हस्ताक्षर पर नरेश जैन ने कहा कि ऑडिटेड बैलेंस शीट पर सीए करता है, जिस तरह के रिक्वॉयरमेंट कंपनी की ओर से की गई है, उसी अनुसार डॉक्यूमेंट सबमिट किए गए हैं.
बदलेगा 112 का रूप : नरेश जैन के मुताबिक पुराने 5 साल से जो सिस्टम चल रहा है, उसमें अब कई चीजें नई आ गई है.आधुनिक तौर पर उसे तैयार करना है ,और जब आने वाले समय में इस तरीके से यह काम किया जाएगा , दो कमान कॉल सेंटर लगाने पर विचार किया जा रहा है. जिससे एक यदि काम ना करे तो दूसरा कॉल सेंटर चालू रहे, उसमें एडवांस टेक्नोलॉजी की रिक्वॉयरमेंट डाली गई है. यदि यह प्रोजेक्ट इंप्लीमेंट होता है, तो वर्ल्ड टॉप 10 कैटेगरी में आएगा यह हमारा टारगेट है.