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सीएम भजनलाल ने जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए मांगी माफी, कहा- यह आत्मशुद्धि और मानसिक शांति का जरिया - Collective Forgiveness Festival - COLLECTIVE FORGIVENESS FESTIVAL

Collective Forgiveness Festival, जैन समाज की ओर से रविवार को जयपुर के महावीर स्कूल में सामूहिक क्षमावाणी पर्व का आयोजन किया गया. इसमें शामिल हुए राज्य के सीएम भजनलाल शर्मा ने क्षमायाचना को आत्मशुद्धि और मानसिक शांति का जरिया बताया. उन्होंने खुद भी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना की.

Collective Forgiveness Festival
सीएम भजनलाल शर्मा (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 22, 2024, 3:46 PM IST

जयपुर : जैन समाज की ओर से रविवार को जयपुर के महावीर स्कूल में सामूहिक क्षमावाणी पर्व का आयोजन किया गया. इसमें शामिल हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने क्षमायाचना को आत्मशुद्धि और मानसिक शांति का जरिया बताया. उन्होंने खुद भी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना की. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि आचार्य शशांक सागर महाराज की वाणी में अद्भुत तेज और ओज है. वे समाज और देश को रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं. दसलक्षण और सामूहिक क्षमावाणी पर्व आध्यात्मिक शुद्धिकरण का पर्व है. साथ ही समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का भी अहसास करवाता है.

जैन धर्म में क्षमायाचना से आत्मशुद्धि होती है. व्यक्ति अपनी गलतियों को स्वीकार कर उनके लिए क्षमा मांगता है. क्षमा याचना से संबंधों में सुधार होता है और मानसिक शांति मिलती है. क्योंकि क्षमायाचना से गलतियों के बोझ से मुक्ति मिलती है. कार्यक्रम में जयपुर शहर सांसद मंजू शर्मा, मालवीय नगर विधायक कालीचरण सराफ, जयपुर ग्रेटर नगर निगम के उप महापौर पुनीत कर्णावट और सुनील कोठारी भी मौजूद रहे.

इसे भी पढ़ें - अधिकारियों को सीएम भजनलाल की नसीहत, कहा- घड़ी की सुई देखकर न करें काम - CM Advice To Officials

क्षमा से आती है समाज में सद्भावना : सीएम ने कहा कि यह व्यक्ति को अपने कर्मों के परिणाम को स्वीकार करने और उन्हें शुद्ध करने का अवसर देती है. क्षमायाचना से समाज में सद्भावना फैलाती है. यह दूसरों को यह महसूस करवाती है कि आप उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं. जैन समाज क्षमा याचना के महत्व को बढ़ावा देता है. अपने सदस्यों को आत्मशुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद प्रदान करता है. गलती होना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है. लेकिन उस गलती को स्वीकार करते हुए क्षमा मांग लेना बहुत बड़ा मानवीय गुण भी है.

क्षमा वीरस्य भूषणम : उन्होंने कहा कि इसके अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगने के साथ ही सामने वाले को क्षमा करना भी बहुत बड़ी बात होती है. यह काम कोई वीर ही कर सकता है. इसलिए कहा गया है, क्षमा वीरस्य भूषणम. क्षमावाणी के अवसर पर सीएम ने भी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगी. उन्होंने कहा कि जैन धर्म पूरे विश्व को शांति और सद्भाव से रहने का संदेश देता है. जब गलतियों के लिए क्षमा मांग ली जाती है तो अपने आप ही सारे गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं.

इसे भी पढ़ें - खनिज नीति के लिए सरकार ने मांगे सुझाव, जानें कैसे सरकार तक पहुंचाएं आपनी बात - Mineral Policy 2024

समाज सेवा में अग्रणी रहता है जैन समाज : सीएम भजनलाल ने कहा कि राजस्थान का जैन समाज सदियों से अपने धार्मिक, सामाजिक और लोक कल्याण के कामों के लिए पहचाना जाता है. शिक्षा हो या स्वास्थ्य सेवाएं या फिर गरीब-जरूरतमंद की सहायता करने की बात हो. जैन समाज इन कामों में हमेशा अग्रणी रहता है. जैन समाज के अनेक ट्रस्ट और संगठन आज भी राजस्थान के अनेकों हिस्सों में अस्पताल, स्कूल, धर्मशालाओं का संचालन करते हैं. वो हमेशा समाज के हर वर्ग का सहयोग करते हैं.

मानवता के प्रेरणा स्रोत हैं दसलक्षण पर्व : उन्होंने कहा कि जैन धर्म के दसलक्षण पर्व मानवता के प्रेरणा का स्रोत भी हैं. दसलक्षण न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाते हैं बल्कि सामाजिक सामंजस्य और शांति की नींव भी रखते हैं. इससे न केवल हम अपने जीवन को शुद्ध करते हैं बल्कि समाज और देश को भी सुखी और समृद्ध बनाने का काम करते हैं. जैन धर्म की दीक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. जितनी पहले थी.

मानसिक और वाचिक हिंसा से दूर रहने की प्रेरणा : उन्होंने कहा कि अहिंसा का सिद्धांत केवल शारीरिक हिंसा से बचने की बात नहीं करता है बल्कि मानसिक और वाचिक हिंसा से भी दूर रहने की प्रेरणा देता है. यह सिखाता है कि दूसरों के प्रति करुणा और संवेदना का भाव रखना चाहिए. जैन समाज ने इन मूल्यों को अपने जीवन में उतारकर समाज के भले के लिए काम किया है. हमारी संस्कृति और परंपराएं हमें सिखाती हैं कि क्षमा सबसे बड़ा आभूषण है. यही क्षमावाणी हमें अपने भीतर की दृढ़ता, वैर भाव को त्यागने का अवसर प्रदान करता है.

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जैन संतों को दिया सीएम आवास आने का न्यौता : उन्होंने कहा कि सीएम बनते ही उन्होंने यह आदेश दिया था कि जो भी संत-मुनि आते हैं. उन्हें राज्य अतिथि का सम्मान मिलेगा. उन्होंने उपस्थित जैन संतों को अक्टूबर महीने में मुख्यमंत्री आवास आने का आग्रह करते हुए कहा कि जिसके घर में संतों के चरण पड़ते हैं. वो बहुत भाग्यशाली होता है. वे बोले- हमारी संस्कृति और विचार हमारे ऋषि मुनियों की देन है. आने वाली युवा पीढ़ी के मन में इन विचारों को समाहित करना बहुत आवश्यक है. संतों के बताए रास्ते पर चलकर ही हम जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं.

युवा पीढ़ी को आध्यात्म से जोड़ना जरूरी : सीएम ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि उठो, जागो और दुनिया पर छा जाओ. आने वाली पीढ़ी को हमें अपने आध्यात्म से जोड़ते हुए ऋषि-मुनियों के बताए रास्ते पर चलना है. हम इससे वसुधैव कुटुंबकम की भावना को भी पूरा करेंगे. स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी हमारी होगी और हम यह बदलाव भी धीरे-धीरे देख रहे हैं. जितना सम्मान हमारे ऋषि-मुनियों का भारत में होता है. उतना ही सम्मान दुनिया के हर कोने में होता है.

जयपुर : जैन समाज की ओर से रविवार को जयपुर के महावीर स्कूल में सामूहिक क्षमावाणी पर्व का आयोजन किया गया. इसमें शामिल हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने क्षमायाचना को आत्मशुद्धि और मानसिक शांति का जरिया बताया. उन्होंने खुद भी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना की. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि आचार्य शशांक सागर महाराज की वाणी में अद्भुत तेज और ओज है. वे समाज और देश को रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं. दसलक्षण और सामूहिक क्षमावाणी पर्व आध्यात्मिक शुद्धिकरण का पर्व है. साथ ही समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का भी अहसास करवाता है.

जैन धर्म में क्षमायाचना से आत्मशुद्धि होती है. व्यक्ति अपनी गलतियों को स्वीकार कर उनके लिए क्षमा मांगता है. क्षमा याचना से संबंधों में सुधार होता है और मानसिक शांति मिलती है. क्योंकि क्षमायाचना से गलतियों के बोझ से मुक्ति मिलती है. कार्यक्रम में जयपुर शहर सांसद मंजू शर्मा, मालवीय नगर विधायक कालीचरण सराफ, जयपुर ग्रेटर नगर निगम के उप महापौर पुनीत कर्णावट और सुनील कोठारी भी मौजूद रहे.

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क्षमा से आती है समाज में सद्भावना : सीएम ने कहा कि यह व्यक्ति को अपने कर्मों के परिणाम को स्वीकार करने और उन्हें शुद्ध करने का अवसर देती है. क्षमायाचना से समाज में सद्भावना फैलाती है. यह दूसरों को यह महसूस करवाती है कि आप उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं. जैन समाज क्षमा याचना के महत्व को बढ़ावा देता है. अपने सदस्यों को आत्मशुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद प्रदान करता है. गलती होना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है. लेकिन उस गलती को स्वीकार करते हुए क्षमा मांग लेना बहुत बड़ा मानवीय गुण भी है.

क्षमा वीरस्य भूषणम : उन्होंने कहा कि इसके अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगने के साथ ही सामने वाले को क्षमा करना भी बहुत बड़ी बात होती है. यह काम कोई वीर ही कर सकता है. इसलिए कहा गया है, क्षमा वीरस्य भूषणम. क्षमावाणी के अवसर पर सीएम ने भी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगी. उन्होंने कहा कि जैन धर्म पूरे विश्व को शांति और सद्भाव से रहने का संदेश देता है. जब गलतियों के लिए क्षमा मांग ली जाती है तो अपने आप ही सारे गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं.

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समाज सेवा में अग्रणी रहता है जैन समाज : सीएम भजनलाल ने कहा कि राजस्थान का जैन समाज सदियों से अपने धार्मिक, सामाजिक और लोक कल्याण के कामों के लिए पहचाना जाता है. शिक्षा हो या स्वास्थ्य सेवाएं या फिर गरीब-जरूरतमंद की सहायता करने की बात हो. जैन समाज इन कामों में हमेशा अग्रणी रहता है. जैन समाज के अनेक ट्रस्ट और संगठन आज भी राजस्थान के अनेकों हिस्सों में अस्पताल, स्कूल, धर्मशालाओं का संचालन करते हैं. वो हमेशा समाज के हर वर्ग का सहयोग करते हैं.

मानवता के प्रेरणा स्रोत हैं दसलक्षण पर्व : उन्होंने कहा कि जैन धर्म के दसलक्षण पर्व मानवता के प्रेरणा का स्रोत भी हैं. दसलक्षण न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाते हैं बल्कि सामाजिक सामंजस्य और शांति की नींव भी रखते हैं. इससे न केवल हम अपने जीवन को शुद्ध करते हैं बल्कि समाज और देश को भी सुखी और समृद्ध बनाने का काम करते हैं. जैन धर्म की दीक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. जितनी पहले थी.

मानसिक और वाचिक हिंसा से दूर रहने की प्रेरणा : उन्होंने कहा कि अहिंसा का सिद्धांत केवल शारीरिक हिंसा से बचने की बात नहीं करता है बल्कि मानसिक और वाचिक हिंसा से भी दूर रहने की प्रेरणा देता है. यह सिखाता है कि दूसरों के प्रति करुणा और संवेदना का भाव रखना चाहिए. जैन समाज ने इन मूल्यों को अपने जीवन में उतारकर समाज के भले के लिए काम किया है. हमारी संस्कृति और परंपराएं हमें सिखाती हैं कि क्षमा सबसे बड़ा आभूषण है. यही क्षमावाणी हमें अपने भीतर की दृढ़ता, वैर भाव को त्यागने का अवसर प्रदान करता है.

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जैन संतों को दिया सीएम आवास आने का न्यौता : उन्होंने कहा कि सीएम बनते ही उन्होंने यह आदेश दिया था कि जो भी संत-मुनि आते हैं. उन्हें राज्य अतिथि का सम्मान मिलेगा. उन्होंने उपस्थित जैन संतों को अक्टूबर महीने में मुख्यमंत्री आवास आने का आग्रह करते हुए कहा कि जिसके घर में संतों के चरण पड़ते हैं. वो बहुत भाग्यशाली होता है. वे बोले- हमारी संस्कृति और विचार हमारे ऋषि मुनियों की देन है. आने वाली युवा पीढ़ी के मन में इन विचारों को समाहित करना बहुत आवश्यक है. संतों के बताए रास्ते पर चलकर ही हम जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं.

युवा पीढ़ी को आध्यात्म से जोड़ना जरूरी : सीएम ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि उठो, जागो और दुनिया पर छा जाओ. आने वाली पीढ़ी को हमें अपने आध्यात्म से जोड़ते हुए ऋषि-मुनियों के बताए रास्ते पर चलना है. हम इससे वसुधैव कुटुंबकम की भावना को भी पूरा करेंगे. स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी हमारी होगी और हम यह बदलाव भी धीरे-धीरे देख रहे हैं. जितना सम्मान हमारे ऋषि-मुनियों का भारत में होता है. उतना ही सम्मान दुनिया के हर कोने में होता है.

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