लखनऊ: 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की 100वीं जयंती है. अटल बिहारी वाजपेई का लखनऊ से बहुत खास नाता था. एक पत्रकार से लेकर प्रधानमंत्री तक अटल बिहारी वाजपेई ने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाया था. उनके समूह जयंती के मौके पर उनके साथ रहे कुछ नेता उनकी यादों में खोए हुए हैं.
टंडन परिवार के साथ अटल जी का अटूट रिश्ताः मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का 2020 में निधन हो गया था. लालजी टंडन का राजनीतिक करियर पार्षद बनने से शुरू हुआ था. उनके राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए. उनके पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से बहुत करीबी संबंध थे. लालजी टंडन अटलजी को खुद कहते थे कि वह उनके दोस्त, पिता और भाई सब थे.
1952, 1957 और 1962 तक लगातार तीन चुनाव में मिली हार ने अटल जी का दिल लखनऊ से खट्टा कर दिया था. 1991 में उन्होंने यहां से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. जब लालजी टंजन ने वजह पूछी तो उन्होंने हंसते हुए कहा था कि अभी भी कुछ बताने को बचा है क्या? लालजी टंडन ने उन्हें चुनाव लड़ने की जरूरत बताई और इसके साथ ही उन्हें भरोसा दिया कि लखनऊ अब उनके साथ है.
वह सिर्फ नामांकन भरने के लिए आएं, बाकी चुनाव हम पर छोड़ दें. अटल जी तैयार हो गए और वह यह चुनाव जीते भी. लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में लखनऊ में हुआ था. अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन आरएसएस से जुड़ गए थे. उन्होंने स्नातक कालीचरण डिग्री कॉलेज लखनऊ से किया. लालजी टंडन की 26 फरवरी शादी 1958 में कृष्णा टंडन के साथ हुआ.
लालजी टंडन के तीन बेटे हैं, एक बेटा गोपालजी टंडन योगी सरकार में मंत्री थे. वह भी दिवंगत हो चुके हैं. पूरे परिवार से पूर्व प्रधानमंत्री के अटूट संबंध थे. लखनऊ में उनकी आंख और कान लालजी टंडन ही थे. वे कई बार प्रधानमंत्री रहते हुए भी पूरा दिन टंडन आवास पर ही रहते थे.
बीजेपी की महानगर टीम को देते थे पूरा सम्मान: बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई से उनका संपर्क साल 1991 में पहली बार हुआ था. इसके बाद लगातार उनके चुनाव में अलग-अलग जिम्मेदारियां मिलती रहीं.
वह अधूरे वाक्य से पूरी बात करते थे. उनके इशारे ही काफी होते थे. फिर बताते हैं कि लखनऊ के विकास को लेकर अटल जी का विजन जबरदस्त था. लखनऊ का चारों ओर डेवलपमेंट हुआ था. जो आज भी दिखाई देता है.
कल्याण सिंह और अटल जी के किस्साः लंबे समय तक अटल जी के सहयोगी रहे बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी बताते हैं कि एक महत्वपूर्ण घटना अटल जी के साथ रहते हुए घटी थी. पूर्व कल्याण सिंह किन्ही कारणवश पार्टी छोड़ कर चले गए थे और उन्होंने अटल जी के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग किया था जो कि उनके बारे में नहीं किया जाना चाहिए था.
अटल जी का जन्मदिन की पूर्व संध्या पर लखनऊ में लाल जी टंडन के निवास पर एक सहभोज का कार्यक्रम रखा गया था. उसमें सभी लखनऊ के गणमान्य नागरिकों को और सभी कार्यकर्ताओं को वार्ड स्तर तक के बुलाया गया था. उस दिन सुबह-सुबह शिवकुमार जी ने अटल जी से कहा कि कल्याण सिंह जी आपसे मिलना चाहते हैं. टंडन जी से उन्होंने संपर्क किया है.
अटल जी ने पूछा कौन मिलना चाहता है. शिवकुमार बोले हैं कल्याण सिंह समय मांग रहे हैं. अटल जी ने एक क्षण में ही कह दिया कि उनको शाम के सार्वजनिक सहभोज कार्यक्रम में बुलाओ. शाम को कल्याण सिंह वहां पहुंच गए. अटल जी जैसे ही आए कल्याण सिंह ने उनका अभिवादन किया. अटल जी उनको लेकर के सभी कार्यकर्ताओं सामने आ गए और नारे लगने लगे.
कल्याण सिंह ने मिठाई के डिब्बे से मलाई गिलौरी निकाल कर उन्हें खिलाने का प्रयास किया. अटल जी ने संकेत से ही पूछा क्या कल्याण सिंह जी मैं यह गिलोरी खा लूं. कल्याण सिंह जी बोले अटल जी आप खा लीजिए. अटल जी ने दोबारा पूछा खा लूं, कल्याण सिंह बिल्कुल ही द्रवित अभिभूत हो गए थे. उन्होंने कहा अटल जी आप खा लीजिए.
लखनऊ में अटल जी के दो थे रामः लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नजदीकी दो राम थे. एक राम कुमार अग्रवाल जो कि कभी लखनऊ के डिप्टी मेयर रहे थे. दूसरे तीन बार के लखनऊ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक रामकुमार शुक्ला. यह दोनों ही अटल बिहारी बाजपेई के बहुत नजदीकी रहे जो, जिनका भी हमेशा सम्मान करते रहे.
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