वाराणसी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उदय प्रताप कॉलेज के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन किया. उन्होंने रामनगर के डोमरी इलाके में सतुआ बाबा आश्रम स्थान पर आयोजित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण की कथा का श्रवण किया.
यहां पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह कथा इस बात का सबूत है कि हम जातियों में नहीं बंटे हैं, यहां मौजूद भीड़ यह साफ कर रही है कि हम सनातन धर्म से जुड़े हैं, हम बंटे नहीं हैं और हमारी एकजुटता ही हमारी पहचान है.
सीएम ने श्री काशी विश्वनाथ एवं काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया. मुख्यमंत्री ने षोडषोपचार विधि से बाबा विश्वनाथ का रुद्राभिषेक किया. इसके बाद गंगा द्वार से क्रूज में सवार होकर डोमरी के लिए रवाना हुए. कथा स्थल पर पहुंचते ही मंच पर सतुआ बाबा ने सीएम योगी का स्वागत किया.
पूरे पंडाल में जयघोष होने लगा. डुमरी में गंगा किनारे प्रसिद्ध कथावाचक सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा किए जा रहे शिव पुराण कथा स्थल पर पहुंच कर लगभग 4 लाख श्रद्धालुओं के साथ कथा सुनी. मुख्यमंत्री ने शिवमहापुराण कथा में शामिल होने को लेकर खुशी जाहिर की.
उन्होंने कहा कि गंगा किनारे हो रहे शिव पुराण की कथा को भगवान विश्वनाथ, मां अन्नपुर्णा के साथ ही मां गंगा भी इसका श्रवण कर रही हैं. उन्होंने कथा स्थल पर उमड़ी श्रद्धालुओं के सैलाब को इंगित करते हुए पूछा कि कहां है, जात-पात. कौन कहता है कि हम आपस में बंटे हैं, कहां जातिवाद है, कहां संप्रदाय वाद है, कहां उपासना विधि का विवाद है? हम तो सब एक होकर इस कथा के जरिए राष्ट्रवाद में खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित कर रहे हैं.
एक धर्म योद्धा की तरह, ये कथा इसका एक उदाहरण है. कथा ऐसे लोगों को जवाब है, जो कहते हैं, लोग जातियों में बंटे हुए हैं. इस कथा को सिर्फ भक्त ही नहीं सुन रहे हैं, महादेव भी सुन रहे हैं. बाबा भैरवनाथ, काल भैरव, मां गंगा और अन्नपूर्णा भी सुन रही है. यह सब उन लोगों के मुंह पर एक जवाब है, जो हमें जाति के नाम पर बांट रहे हैं, उनकी आंखों को खोलने के लिए कथा पर्याप्त है. भगवान वेद व्यास ने पुराण और उप पुराणों की रचना की शुरुआत की.
वेद व्यास को भी कहना पड़ा था कि मैं दोनों हाथ उठाकर बोल रहा हूं कि धर्म के मार्ग का अनुसरण करो, क्योंकि धर्म से अर्थ और काम की सिद्धि हो सकती है. मेरी कोई सुनता नहीं. मगर इस पावन कथा ने साबित किया कि देश धर्म की बात सुन रहा है. व्यास पीठ अगर सुनाने को तैयार हैं, तो भक्त सुनने को भी तैयार है. इन कथाओं से राष्ट्रीय एकता को संबल मिलता है, राष्ट्र धर्म को मजबूती मिलती है.
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