लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को सौमित्र वन, कुकरैल नदी तट हरिशंकरी का पौधा लगाकर पौधरोपण अभियान का शुभारंभ किया. इसके पहले सीएम ने इन पौधों को रक्षासूत्र बांधा. इसी के साथ वृक्षारोपण जन अभियान-2024 (पहली जुलाई से 30 सितंबर 2024) के अंतर्गत एक दिन (20 जुलाई) में प्रदेश में 36.50 करोड़ पौधरोपण महा अभियान का शुभारंभ हुआ.
सीएम ने सौमित्र वन के विकास की प्रस्तावित कार्ययोजना का भी प्रेजेंटेशन देखा और इससे जुड़ी लघु फिल्म भी देखी. यह वही जगह जहां पर हाल ही में बड़े पैमाने पर बुलडोजर लगाकर काफी संख्या में मकान ध्वस्त कराए गए थे.
यूपी तोड़ेगा पौधारोपण का रिकॉर्ड: पौधरोपण अभियान की शुरुआत करने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर देशवासियों से 'एक पेड़ मां के नाम' लगाने का आह्वान किया था. पर्यावरणविद् चिंतित हैं, कि दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग जीव सृष्टि के लिए नया संकट खड़ा करने जा रहा है.
यह संकट मनुष्य के स्वार्थ ने प्रदान किया है, इसलिए इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भी मनुष्य पर ही होनी चाहिए. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के संवैधानिक मुखिया के रूप में पीएम मोदी का यह आह्वान हर भारतवासी के लिए मंत्र बनना चाहिए.
सीएम योगी ने कहा, कि यूपी की कुल आबादी 25 करोड़ है. हम 36.50 करोड़ पौधरोपण कर रिकॉर्ड तोड़ने जा रहे हैं. ऐसे में यूपी में आज एक दिन के भीतर हर मातृशक्ति के नाम पर तीन पेड़ लगने जा रहे हैं. सुबह से अब तक लगभग 12 करोड़ पौधे रोपे जा चुके हैं. हमें पौधों को लगाना, बचाना और इसके जरिए पर्यावरण को संरक्षित करना है.
पीएम मोदी के मार्गदर्शन पर पौधरोपण अभियान शुरु: सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, कि 2017 में यूपी में सरकार बनने के बाद पीएम मोदी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में हमने पौधरोपण अभियान प्रारंभ किया. सात वर्ष में भाजपा नेतृत्व की सरकार ने 168 करोड़ पौधरोपण किया. प्रदेश के अंदर थर्ड पार्टी के जरिए इनका सर्वे कराया, तो पता चला कि 75-80 फीसदी पेड़ अभी भी जीवित हैं और अच्छी वाटिका के रूप में स्थापित हैं.
वैश्विक संस्थाएं भी इसे मान्यता दे रही हैं. कार्बन उत्सर्जन से पर्यावरण को क्षति हो रही है. उसके बचाव के लिए किसानों ने पेड़ लगाने के अभियान के साथ अपना पंजीकरण कराया है. वैश्विक संस्थाओं ने उनके कार्यों का निरीक्षण किया.
सीएम योगी ने कहा कि 50 साल पहले कुकरैल नदी निकलते हुए गोमती में मिलती थी. 1984 के बाद भूमाफिया ने अपने स्वार्थ के लिए इसे पाटना शुरू किया, जिससे यह नदी नाला में तब्दील हो गई और बस्तियों के ड्रेनेज को उड़ेलने का माध्यम बन गई.
एक तरफ नदी को मारा गया, तो दूसरी तरफ गोमती नदी को भी प्रदूषित किया गया. लखनऊ में आकर गोमती काली हो गई. प्रदेश सरकार ने तय किया, कि कुकरैल में नाइट सफारी बनाएंगे. सीएम ने कहा, कि इस क्षेत्र के अतिक्रमण को हटाया गया है. जिनकी रजिस्ट्री थी, प्रशासन की मदद से एलडीए ने 3100 परिवारों को एक-एक आवास देकर पुनर्वास किया.
जिन भूमाफिया ने जमीन के धंधे से जुड़कर लोगों को ठगा, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़कर एलडीए ने इसे खाली करवाया. इस अवसर पर महापौर सुषमा खर्कवाल, राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा, बृजलाल, संजय सेठ, विधायक ओपी श्रीवास्तव, डॉ. नीरज बोरा, योगेश शुक्ला, विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा, संतोष सिंह, इंजी. अवनीश सिंह, रामचंद्र प्रधान, अपर मुख्य सचिव (पर्यावरण व वन) मनोज कुमार सिंह आदि मौजूद रहे.