कुल्लू: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कुल्लू जिले की बंजार घाटी के तांदी गांव में अग्निकांड से प्रभावित घटनास्थल का दौरा किया. इस दौरान सीएम सुक्खू ने यहां राहत कार्यों का भी जायजा लिया और प्रभावित परिवारों से भी मिले. इस मौके पर उन्होंने अधिकारियों को राहत कार्यों में युद्ध स्तर पर तेजी लाने के निर्देश दिए.
इस दौरान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किराए के मकान में रहने वाले लोगों को 5000 रुपये प्रति माह की दर से 6 माह तक किराया देने की घोषणा की. वहीं, पुनः घर न बनने की स्थिति में आगामी 6 माह के लिए 5000 रुपये प्रतिमाह किराया देने और पशुशालाएं बनाने के लिए 50,000 रुपये देने की घोषणा का भी ऐलान किया.
आज कुल्लू जिले की बंजार घाटी के गांव तांदी में आग लगने से प्रभावित घटनास्थल का दौरा कर राहत कार्यों का जायजा लिया तथा प्रभावित परिवारों से मुलाकात की।
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) January 13, 2025
अधिकारियों को निर्देश दिए कि राहत कार्यों में युद्ध स्तर पर तेजी लाई जाए।
किराए के मकान में रहने वाले लोगों को 5000 रुपये… pic.twitter.com/omqYkzDyJC
सीएम सुक्खू ने पूर्ण रूप से जल चुके घर और जो घर अब रहने योग्य नहीं रहे हैं, ऐसे घरों के निर्माण के लिए 7 लाख रुपये की सहायता राशि, मुफ्त बिजली और पानी का कनेक्शन, घर बनाने के लिए नियमानुसार लकड़ी मुहैया करवाने और जिन घरों का सामान जल गया है, उन घरों के लिए आवश्यक सामान, बर्तन, कपड़े आदि देने की घोषणा भी की.
इस मौके पर सीएम सुक्खू ने गांव में पक्की सड़क बनाने के लिए 75 लाख रुपये और गांव तक पहुंचने के लिए 4 किलोमीटर लंबी सड़क की मरम्मत के लिए 4 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी की. वहीं, मुख्यमंत्री ने बंजार में अग्निशमन केंद्र खोलने की भी घोषणा की. सीएम ने कम वोल्टेज की समस्या के समाधान के लिए सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने की संभावनाओं को तलाशने का आश्वासन भी दिया.
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी इलाकों में काठकुनी शैली के मकान अपनी भव्यता व सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं. लेकिन इन दिनों सर्दियों के मौसम में यह मकान आग की भेंट पर चढ़ रहे हैं. ऐसे में सैकड़ों लोग बेघर भी हो रहे हैं. काठकुनी शैली के मकान में सर्दियों के लिए लोगों द्वारा एकत्र की गई सूखी घास भी अग्निकांड में घी का काम कर रही है. ऐसे में करोड़ों रुपए की लागत से बने मकान आग के कारण पल भर में स्वाह हो रहे हैं और जिसकी वजह से बेघर हुए लोग सर्दी में ठिठुरने के लिए मजबूर हैं.
हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों की बात करें तो बीते माह ही शिमला जिला के रोहड़ू में भयंकर अग्निकांड की घटना सामने आई थी. वहीं, जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार के तांदी में भी आगजनी से 115 लोग बेघर हो गए थे. ऐसे में तांदी गांव में हुई आगजनी की घटना से 10 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ और आज यहां लोग होमस्टे और दूसरों के घरों में शरण लिए हुए हैं. काठकुनी पहाड़ों की एक प्राचीन शैली है, जिसमें लकड़ी और पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में अग्निकांड के दौरान यह लाक्षागृह की तरह पल भर में जलकर भस्म हो जाते हैं और लोगों की कमाई भी नष्ट हो जाती है.
जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार के तांदी गांव की बात करें तो 1 जनवरी को यहां पर भयंकर अग्निकांड पेश आया और 35 परिवारों के 100 से अधिक सदस्य बेघर हो गए. ऐसे में देवता का भंडार भी इसकी चपेट में आ गया. लोग अपनी जान बचाकर घरों से बाहर निकले. लेकिन अपनी संपत्ति को बचाने में वह लोग नाकाम रहे. ग्रामीण क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान लोग अपने पशुओं के लिए सूखी घास का भंडारण करते हैं और बिजली के शॉर्ट सर्किट या फिर घास में लगी आग के कारण हादसे पेश आते हैं. ऐसे में अब प्रशासन भी लोगों से आग्रह करता है कि वह अपने घरों से दूर ही सूखी घास व लकड़ी का भंडारण करें. ताकि इस तरह की आगजनी से लोगों का बचाव हो सके.
जिला कुल्लू में 1 जनवरी के बाद जहां मनाली विधानसभा क्षेत्र के बरुआ में मकान में आग लगी. वहीं, बंजार विधानसभा क्षेत्र के जीभी के समय भी अढ़ाई मंजिल का मकान इसकी चपेट में आया. इसके अलावा सैंज घाटी के खाईन गांव में भी अढ़ाई मंजिल मकान जलकर राख हो गया. इसके अलावा शिमला जिला के रामपुर में भी एक मकान जलकर राख हो गया और रोहड़ू में भी एक मकान जलने से लाखों रुपए का नुकसान हुआ. इसके अलावा 23 दिसंबर को भी ठियोग में आग से 15 कमरों का मकान जलकर राख हो गया था. ऐसे में 15 दिनों के भीतर करोड़ों रुपए की संपत्ति जलकर नष्ट हो गई और सैकड़ों लोग आज खुले आसमान के तले सर्द रातें गुजारने को मजबूर हो गए हैं.
जिला कुल्लू के पर्यावरणविद् गुमान सिंह, राजेंद्र सिंह और भावना चौहान ने कहा, "पहाड़ों में सैकड़ों साल से काठकुनी शैली में ही मकान का निर्माण किया जाता है. क्योंकि इसके निर्माण में लकड़ी व पत्थर का प्रयोग होता है, जो पहाड़ों पर प्रचुर मात्रा में होते हैं. पहाड़ी इलाकों में सड़के ना होने के चलते भी लोग इन मकान को तरजीह देते हैं. क्योंकि सड़कें ना होने के चलते लोग ईंट सीमेंट भी अपने गंतव्य स्थल तक नहीं पहुंच पाते हैं. लेकिन आज इन मकानों में आग लगने के चलते करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है. ऐसे में लोगों को इस शैली के मकान के साथ ही पानी के बड़े टैंक का भी निर्माण करना चाहिए. ताकि आगजनी की घटना में तुरंत इस पर काबू पाया जा सके. इसके अलावा अपने घरों से सूखी घास व लकड़ी को भी दूर रखना चाहिए. ताकि लोगों की कमाई आज के कारण नष्ट ना हो सके".
ये भी पढ़ें: हिमाचल के डिपुओं को राशन का आवंटन, जानें फरवरी माह में कितना मिलेगा आटा और चावल