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बिजली बोर्ड प्रबंधन को सीएम सुक्खू ने दिए ये निर्देश, संयुक्त मोर्चा ने रखी अपनी मांगे

बिजली बोर्ड कर्मचारी व अभियंता के संयुक्त मोर्चा की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ वार्ता हुई है.

CM SUKHVINDER SINGH SUKHU
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारियों और सरकार के बीच लंबे समय से टकराव की स्थिति बनी हुई है. वहीं, अब ये टकराव दूर होने की संभावना नजर आने लगी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर जॉइंट फ्रंट को बुधवार को वार्ता के लिए बुलाया, लेकिन संयुक्त मोर्चा के अधिकतर पदाधिकारी शिमला से बाहर थे. जिसके कारण मुख्यमंत्री की बुलाई गई इस बैठक में संयुक्त मोर्चा के संयोजक इंजीनियर लोकेश ठाकुर व सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ही शामिल हुए. ये बैठक मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में आयोजित हुई, जो करीब आधा घंटा चली. इस बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिजली बोर्ड प्रबंधन को वार्ता के दौरान रखे गए मुद्दों पर 11 नवंबर को संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सरकार के पास पक्ष रखने के भी निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री के साथ इन मुद्दों पर हुई चर्चा

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर ज्वाइंट फ्रंट के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. इसमें संयुक्त मोर्चा ने बिजली बोर्ड में समाप्त किए गए इंजीनियरों के 51 पदों के फैसले पर पुनर्विचार करने, बिजली बोर्ड से निकाले गए 81 आउटसोर्स ड्राइवरों की सेवाएं जारी रखने को लेकर चर्चा की. संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बिजली बोर्ड में इन पदों को समाप्त करना प्रबंधन का एकतरफा फैसला है. जिससे बिजली बोर्ड की कार्यप्रणाली प्रभावित होगी. वहीं, जिन कार्यालयों में गाड़ियां उपलब्ध हैं, वहां भी ड्राइवरों की छंटनी की गई है. ऐसे में इन फैसलों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. इसी तरह से कर्मचारी नेताओं ने बिजली बोर्ड में ओपीएस को लागू करने जैसे मुद्दों पर अपना पक्ष रखा. संयुक्त मोर्चा ने बिजली बोर्ड में खाली पड़े पदों को जल्द भरने की मांग रखी. संयुक्त मोर्चा ने कहा कि स्टाफ के अभाव में कर्मचारी भारी तनाव में कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा पदों को न भरे जाने से उपभोक्ताओं को दी जा रही सेवाएं भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं.

कुल्लू में होगी रैली

संयुक्त मोर्चा ने बिजली बोर्ड के ट्रांसमिशन व जनरेशन की संपत्तियों को इससे अलग करने (पुनर्गठन) की मुहिम का विरोध किया है. संयुक्त मोर्चा के मुताबिक बिजली बोर्ड के वर्ष 2010 से पहले बने ट्रांसमिशन, जनरेशन, वितरण के ढांचे को एकीकृत रखने से प्रदेश की जनता को सस्ती बिजली के रूप में लाभ मिल रहा है. ऐसे में बिजली बोर्ड के ढांचे को विघटित करने से प्रदेश की जनता को बिजली महंगी दरों पर मिलेगी. वहीं, बिजली बोर्ड के मोर्चा ने 7 नवंबर को कुल्लू जिले में विभिन्न मुद्दों पर अधिवेशन व रैली रखी है. जो अभी भी निर्धारित समय पर ही होगी. जिसमें सैंकड़ों कर्मचारी, अभियंता व पेंशनर भाग लेंगे. हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर जॉइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बिजली बोर्ड संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों को 11 नवंबर को बैठक करने के निर्देश दिए हैं.

ये भी पढ़ें: घाटे में फंसे पर्यटन निगम ने सरकारी विभागों से लेने हैं ₹4.13 करोड़, HC ने कहा-48 घंटे के भीतर भुगतान की मांग करे निगम

ये भी पढ़ें: हिमाचल की कांग्रेस कमेटी हुई भंग, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दी मंजूरी

शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारियों और सरकार के बीच लंबे समय से टकराव की स्थिति बनी हुई है. वहीं, अब ये टकराव दूर होने की संभावना नजर आने लगी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर जॉइंट फ्रंट को बुधवार को वार्ता के लिए बुलाया, लेकिन संयुक्त मोर्चा के अधिकतर पदाधिकारी शिमला से बाहर थे. जिसके कारण मुख्यमंत्री की बुलाई गई इस बैठक में संयुक्त मोर्चा के संयोजक इंजीनियर लोकेश ठाकुर व सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ही शामिल हुए. ये बैठक मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में आयोजित हुई, जो करीब आधा घंटा चली. इस बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिजली बोर्ड प्रबंधन को वार्ता के दौरान रखे गए मुद्दों पर 11 नवंबर को संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सरकार के पास पक्ष रखने के भी निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री के साथ इन मुद्दों पर हुई चर्चा

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर ज्वाइंट फ्रंट के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. इसमें संयुक्त मोर्चा ने बिजली बोर्ड में समाप्त किए गए इंजीनियरों के 51 पदों के फैसले पर पुनर्विचार करने, बिजली बोर्ड से निकाले गए 81 आउटसोर्स ड्राइवरों की सेवाएं जारी रखने को लेकर चर्चा की. संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बिजली बोर्ड में इन पदों को समाप्त करना प्रबंधन का एकतरफा फैसला है. जिससे बिजली बोर्ड की कार्यप्रणाली प्रभावित होगी. वहीं, जिन कार्यालयों में गाड़ियां उपलब्ध हैं, वहां भी ड्राइवरों की छंटनी की गई है. ऐसे में इन फैसलों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. इसी तरह से कर्मचारी नेताओं ने बिजली बोर्ड में ओपीएस को लागू करने जैसे मुद्दों पर अपना पक्ष रखा. संयुक्त मोर्चा ने बिजली बोर्ड में खाली पड़े पदों को जल्द भरने की मांग रखी. संयुक्त मोर्चा ने कहा कि स्टाफ के अभाव में कर्मचारी भारी तनाव में कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा पदों को न भरे जाने से उपभोक्ताओं को दी जा रही सेवाएं भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं.

कुल्लू में होगी रैली

संयुक्त मोर्चा ने बिजली बोर्ड के ट्रांसमिशन व जनरेशन की संपत्तियों को इससे अलग करने (पुनर्गठन) की मुहिम का विरोध किया है. संयुक्त मोर्चा के मुताबिक बिजली बोर्ड के वर्ष 2010 से पहले बने ट्रांसमिशन, जनरेशन, वितरण के ढांचे को एकीकृत रखने से प्रदेश की जनता को सस्ती बिजली के रूप में लाभ मिल रहा है. ऐसे में बिजली बोर्ड के ढांचे को विघटित करने से प्रदेश की जनता को बिजली महंगी दरों पर मिलेगी. वहीं, बिजली बोर्ड के मोर्चा ने 7 नवंबर को कुल्लू जिले में विभिन्न मुद्दों पर अधिवेशन व रैली रखी है. जो अभी भी निर्धारित समय पर ही होगी. जिसमें सैंकड़ों कर्मचारी, अभियंता व पेंशनर भाग लेंगे. हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर जॉइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बिजली बोर्ड संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों को 11 नवंबर को बैठक करने के निर्देश दिए हैं.

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