चंपावत: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को अपनी विधानसभा चंपावत के तामली तल्लादेश पहुंचे. यहां सीएम धामी ने दशहरे मेले का शुभारंभ किया. सीएम ने मेले महोत्सवों को सांस्कृतिक धरोहरों को जीवंत रखने के लिए आवश्यक बताया. सीएम ने इस अवसर पर विधानसभा की अनेक विकास योजनाओं की घोषणा की. सीएम ने संस्कृति संरक्षण के लिए लैंड जिहाद, लव जिहाद एवं धर्मांतरण रोकथाम के लिए राज्य हित में कड़े फैसले लेने की बात कही.
महोत्सव का शुभारंभ करते हुए सीएम धामी ने कहा चंपावत व पिथौरागढ़ का क्षेत्र नेपाल से लगा है. उन्होंने कहा कि नेपाल से हमारा रोटी–बेटी का संबंध है. इस क्षेत्र में हमें भारत व नेपाल की संयुक्त संस्कृति की झलक एक मंच पर दिखती है. यह हमारे आपसी मित्रता, प्रेम, भाव का प्रयाय हैं. सीएम ने कहा मेले/महोत्सव हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवन्त करने का कार्य करते हैं. यह नई पीढ़ी को भी हमारी संस्कृति से रूबरू कराने का कार्य करते हैं. हमारी आने वाली पीढ़ी को भी हमें यहां के संस्कृति से जोड़े रखना है.
तामली, चम्पावत में आयोजित दशहरा महोत्सव में सम्मिलित होकर देवतुल्य जनता को संबोधित किया। हमारे मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं, जो न केवल हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं बल्कि परंपराओं और रीति-रिवाजों की समृद्ध विरासत से भी परिचित कराते हैं।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 13, 2024
हमारी सरकार प्रदेश की संस्कृति, सभ्यता… pic.twitter.com/ZWDq5fjEZw
सीएम धामी ने कहा राज्य स्थापना दिवस के दो दिन पूर्व प्रवासी उत्तराखण्डियों को उत्तराखंड बुलाने के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. सम्मेलन में वे लोगों से अपने गांव वापस आने की अपील करेंगे. उन्होंने कहा हमारी सरकार पलायन के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रही है. उत्तराखंड में रोजगार के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. सीएम धामी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी सरकार ने विधानसभा में विधेयक लाकर उत्तराखंड की महिलाओं के हित के लिए 30% आरक्षण देने का काम किया है. नकल विरोधी कानून एवं अतिक्रमण हटाने जैसे कठोर कानून भी हमारी सरकार ने बनाए हैं.सीएम धामी ने कहा उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर समान नागरिकता संहिता (UCC) कानून लागू करेंगे. इसके साथ ही उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा.
तामली, चम्पावत में आयोजित दशहरा महोत्सव में सम्मिलित होकर देवतुल्य जनता को संबोधित किया। हमारे मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं, जो न केवल हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं बल्कि परंपराओं और रीति-रिवाजों की समृद्ध विरासत से भी परिचित कराते हैं।
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