जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार फरवरी के दूसरे सप्ताह में अपना दूसरा पूर्ण बजट पेश कर सकती है. इसे लेकर वित्त विभाग ने तैयारी तेज कर दी है. पहले ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए और अब वन टू वन संवाद के जरिए सुझाव आमंत्रित किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को पहली बैठक में कर्मचारी संगठनों को आमंत्रित किया गया. मुख्यमंत्री कार्यालय के कन्वेंशन सेंटर में हुई इस प्री बजट बैठक में सीएम भजन लाल और वित्त मंत्री दीया कुमारी को प्रदेश के सभी छोटे-बड़े कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि अपनी समस्याओं के साथ आगामी बजट को लेकर अपने सुझाव दिए.
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि वेतन विसंगतियों के निराकरण के लिए खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में बनी वेतन विसंगति परीक्षण समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए. पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) में राज्य कर्मचारियों की जमा NPS कटौती की राशि को कर्मचारियों के GPF खातों में जमा कराया जाए. इसके अलावा आश्वासित करियर प्रति (ACP) का परिलाभ 9, 18 व 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर पदोन्नति पद के समान दिया जाए.
कर्मचारी संगठनों से निरंतर करें संवाद: अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश महावीर शर्मा ने कहा कि सरकार प्रत्येक विभाग अध्यक्ष और मंत्रियों को निर्देशित करें कि अपने विभाग के कर्मचारी संगठनों से निरंतर संवाद में रहे. विगत 1 वर्ष में सीएम हमसे दूसरी बार संवाद कर रहे है, लेकिन एक भी विभागाध्यक्ष या विभाग के मंत्री ने किसी कर्मचारी संगठनों से बैठकर संवाद नहीं किया. दूसरी महत्वपूर्ण मांग है कि कर्मचारियों का एनपीएस में काटी गई राशि लगभग 53 हजार करोड़ रुपए जीपीएफ खातों में जमा कराई जाए, इसका बजट में स्पष्ट प्रावधान किया जाए. हमारी तीसरी और सर्वाधिक महत्वपूर्ण मांग है कि समस्त कर्मचारियों को पदोन्नति के समान अवसर उपलब्ध करवाए जाए.
प्रदेश स्तरीय वेतन आयोग गठित हो: शर्मा ने कहा कि इसके साथ दक्षिण भारत के राज्य केरल, कर्नाटक और तेलंगाना आदि की तरह राजस्थान में भी प्रदेश स्तरीय वेतन आयोग का गठन किया जाए. प्रत्येक 5 वर्ष पर राज्य के कर्मचारियों के वेतनमानों की समीक्षा कर उनसे महंगाई दर के अनुपात में वृद्धि की जाए. इसके अलावा स्थानांतरण नीति जारी हो. समस्त संविदा कार्मिकों को शीघ्र नियमित किया जाए. भविष्य में नियमित पदों पर संविदा कर्मियों की नियुक्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.
शिक्षा के क्षेत्र में डिमांड: राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग में 5 वर्षों से डीपीसी और पदोन्नति लंबित चल रही है.पदोन्नति पाना शिक्षकों का अधिकार है, लेकिन समय पर पदोन्नति नहीं होने से वे उसी पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं. सरकार द्वारा उन्हें वित्तीय लाभ तो मिल जाता है, लेकिन पदोन्नति पद नहीं मिल पाती, जिसकी समाज में अति आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों को पढ़ने के लिए विशेष शिक्षक उपलब्ध नहीं है. सामान्य शिक्षकों की भर्ती के लिए तो पद निकले, लेकिन इन विशेष बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए.
पारदर्शी तबादला नीति बने: उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग का बड़ा ज्वलंत मुद्दा शिक्षकों का तबादला नहीं होना है. तृतीय श्रेणी से लेकर उच्च पदों के स्थानांतरण नहीं हो रहे हैं. सरकार को एक पारदर्शी स्थानांतरण नीति लाए और तृतीय श्रेणी शिक्षकों को भी इसमें शामिल किया जाए. सरकार हर वर्ष तृतीय श्रेणी श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और व्याख्याताओं की भर्ती निकाले.