आगरा : दीवानी स्थित न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड) में आज दोपहर में बहुचर्चित आगरा जामा मस्जिद मामले की सुनवाई होगी. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता और प्रतिपक्षी पक्ष के अधिवक्ता शामिल होंगे. पिछली तारीख पर दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस हुई थी. इसके बाद कोर्ट ने 26 फरवरी सुनवाई की तारीख दी थी. इस मामले में हाईकोर्ट पहले ही लोअर कोर्ट को 6 माह में निपटारा करने का निर्देश दे चुका है.
दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का केस चल रहा है. इसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में वाद दायर करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. एक प्रतिवादी पक्ष की याचिका को अदालत खारिज कर दिया है. प्रतिवादी पक्ष ने जामा मस्जिद के मामले की सुनवाई को अदालत के क्षेत्राधिकार से बाहर बताया था.
कथावाचक का ये है दावा : मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह को आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिया था. अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए. इसके साथ ही जमा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे करके वहां से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाला जाए.
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर आगरा में सनातन जागृति सम्मलेन भी इसको लेकर अपनी बात रख चुके हैं. उन्होंने सनातनियों से एकजुट होकर आंदोलन करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि जब तक जामा मस्जिद से मेरे आराध्य को आगरा से नहीं लेकर जाऊंगा, तब तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा.
एएसआई सर्वे से सच आएगा सामने : श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है. सर्वे रिपोेर्ट से हकीकत सामने आएगी.
शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी ने बनवाई थी जामा मस्जिद : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' का कहना है कि मुगल शहंशाह शाहजहां के 14 संतानें थीं. इसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श,. सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. एक बच्चा और 1 बच्चे पैदा होते ही मर गए थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफा की रकम पांच लाख रुपये से सन 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.
औरंगजेब लाया था विग्रह और पुरावशेष : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वो केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है.
औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.
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