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VIDEO: 46 इंच के संतोष को कभी सर्कस वाले आ गए थे लेने, अब PHD कर लिख दीं सात किताबें - SUCCESS STORY OF 46 INCHES SANTOSH

लखनऊ में रहने वाले डॉक्टर संतोष की हाइट महज 46.45 इंच हैं लेकिन हौसला इतना बुलंद है कि जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, सुनिए उन्हीं की जुबानी सफलता की कहानी

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हाइट जिंदगी में नहीं बनी बाधा (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 13, 2024, 9:05 PM IST

Updated : Sep 13, 2024, 9:27 PM IST

संतोष का है महज 46.45 इंच का कद (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के रहने वाले डॉक्टर संतोष की लंबाई मात्र 46.45 इंच है, बचपन से ही आसपास को लोगों के तानों को सुनकर उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति को इतना दृढ़ कर लिया कि आगे जिंदगी में आने वाली हर बाधा को पार करते चले गए. बचपन में सर्कस वाले उन्होंने अपनी कंपनी में नौकरी का ऑफर देकर ले जाने के लिए घर पहुंच गए. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार पढ़ाई के लक्ष्य को पूरा करते रहे. कई विषयों से मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद फिर पीएचडी की उसके बाद अब तक सात किताबे लिख चुके हैं. आगे पढ़ाई का सफर उनका जारी है. हाइट कम रहने से रोजमर्रा के कामों में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

लखनऊ के विनीत खंड में रहने वाले संतोष कुमार मूल रूप से चंदौली जिले के रहने वाले हैं. संतोष बताते है कि जब उनका जन्म हुआ था उस दिन सूर्य ग्रहण पड़ा था. धीरे धीरे जब मेरी उम्र बढ़ी तो परिवार वालों ने देखा कि उनके शरीर का विकास नहीं हो रहा है. डॉक्टर को दिखाया गया लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकला. ऐसे में एक दिन उनके चंदौली स्थित गांव में कुछ लोग उन्हें सर्कस में ले जाने के लिए आ गए. लेकिन उनके पापा ने साफ इंकार कर दिया और फिर उन्हें इस बात की आजादी दी कि उन्हें जीवन में जो करना है वो करो.

डॉक्टर संतोष ने बताया कि, उनकी उम्र तो बढ़ रही थी लेकिन शरीर 46.45 इंच पर आकर रुक गया. उनकी पढ़ाई के प्रति रूचि थी, ऐसे में बीएसएनवी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान जब उन्हें केमस्ट्री विषय लेना था तब मेरिट लिस्ट में नाम होने के बाद भी उन्हें विषय नहीं दिया गया. वो भी इसलिए क्योंकि उनकी लम्बाई छोटी थी और केमस्ट्री की लैब में बेंच ऊंची थी. जिसके बाद वो एक महीने तक प्रिंसिपल के ऑफिस के बाहर खड़े रहे. आखिर में मुझसे एक हालफनामा लेकर सब्जेक्ट दिया गया.

संतोष ने इंटर के बाद बीएससी और एमएससी किया. इसके बाद उन्होंने क्लाइमेट चेंज विषय से पीएचडी की और फिर पीडीएफ, यह उनकी पहली उपलब्धि थी जब किसी बौने व्यक्ति ने पीएचडी और पीडीएफ किया था. संतोष अब तक 7 किताबें लिख चुके है. इतना ही नहीं ICSSR के साथ काम करने के अलावा अपनी ही तरह बौने लोगों के उत्थान के लिए काम कर रहे.

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी ने किसानों को दी बड़ी सौगात, 7 कृषि परियोजनाओं को मिली मंजूरी - Modi govt decisions for farmers

यह भी पढ़ें: AMU के यूनानी चिकित्सा संकाय 8 विभागों को मिला तोहफा, एमडी छात्रों को मिलेगा स्टाईपेंड - Aligarh Muslim University

संतोष का है महज 46.45 इंच का कद (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के रहने वाले डॉक्टर संतोष की लंबाई मात्र 46.45 इंच है, बचपन से ही आसपास को लोगों के तानों को सुनकर उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति को इतना दृढ़ कर लिया कि आगे जिंदगी में आने वाली हर बाधा को पार करते चले गए. बचपन में सर्कस वाले उन्होंने अपनी कंपनी में नौकरी का ऑफर देकर ले जाने के लिए घर पहुंच गए. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार पढ़ाई के लक्ष्य को पूरा करते रहे. कई विषयों से मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद फिर पीएचडी की उसके बाद अब तक सात किताबे लिख चुके हैं. आगे पढ़ाई का सफर उनका जारी है. हाइट कम रहने से रोजमर्रा के कामों में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

लखनऊ के विनीत खंड में रहने वाले संतोष कुमार मूल रूप से चंदौली जिले के रहने वाले हैं. संतोष बताते है कि जब उनका जन्म हुआ था उस दिन सूर्य ग्रहण पड़ा था. धीरे धीरे जब मेरी उम्र बढ़ी तो परिवार वालों ने देखा कि उनके शरीर का विकास नहीं हो रहा है. डॉक्टर को दिखाया गया लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकला. ऐसे में एक दिन उनके चंदौली स्थित गांव में कुछ लोग उन्हें सर्कस में ले जाने के लिए आ गए. लेकिन उनके पापा ने साफ इंकार कर दिया और फिर उन्हें इस बात की आजादी दी कि उन्हें जीवन में जो करना है वो करो.

डॉक्टर संतोष ने बताया कि, उनकी उम्र तो बढ़ रही थी लेकिन शरीर 46.45 इंच पर आकर रुक गया. उनकी पढ़ाई के प्रति रूचि थी, ऐसे में बीएसएनवी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान जब उन्हें केमस्ट्री विषय लेना था तब मेरिट लिस्ट में नाम होने के बाद भी उन्हें विषय नहीं दिया गया. वो भी इसलिए क्योंकि उनकी लम्बाई छोटी थी और केमस्ट्री की लैब में बेंच ऊंची थी. जिसके बाद वो एक महीने तक प्रिंसिपल के ऑफिस के बाहर खड़े रहे. आखिर में मुझसे एक हालफनामा लेकर सब्जेक्ट दिया गया.

संतोष ने इंटर के बाद बीएससी और एमएससी किया. इसके बाद उन्होंने क्लाइमेट चेंज विषय से पीएचडी की और फिर पीडीएफ, यह उनकी पहली उपलब्धि थी जब किसी बौने व्यक्ति ने पीएचडी और पीडीएफ किया था. संतोष अब तक 7 किताबें लिख चुके है. इतना ही नहीं ICSSR के साथ काम करने के अलावा अपनी ही तरह बौने लोगों के उत्थान के लिए काम कर रहे.

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Last Updated : Sep 13, 2024, 9:27 PM IST
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