लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप जो अन्नदाता किसान आज परंपरागत खेती के अलावा अन्य खेती भी कर रहे हैं, उन्हें दोगुने से अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है. जिन किसानों ने सहफसली के साथ औषधीय एवं सगंध औषधीय खेती व बागवानी को बढ़ावा दिया या हर्बल प्रोडक्ट्स को प्रमोट किया है, वह लागत से कई गुना अधिक दाम प्राप्त कर रहे हैं. देश में लगातार किसान तरक्की कर रहे हैं. परंपरागत खेती से किसान लाभान्वित हो रहे हैं. प्रदेश सरकार भी किसानों के लिए कई योजनाएं ला चुकी है. यह बातें बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीएसआईआर-सीमैप द्वारा आयोजित किसान मेले के उद्घाटन के दौरान कहीं.
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सीमैप के मार्गदर्शन में जो किसान मेला आयोजित किया गया है. यह किसानों व अन्नदाताओं के लिए बहुत ही लाभदायक है. यहां आए अन्नदाताओं, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं, विशेषज्ञों का किसान मेले में स्वागत है. सरकार की बहुत सारी योजनाएं किसानों के लिए हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि एवं अन्य योजनाओं के साथ हम वैज्ञानिक शोध और इनोवेशन को जोड़ते हैं तो स्वाभाविक रूप से किसी भी किसान व बागवान संपन्नता की ओर बढ़ेगा. देश के अंदर पहली बार 2018 से अन्नदाता किसान को लागत का डेढ़ गुना दाम उसकी उपज का मिलना शुरू हुआ है.
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
सीएम ने कहा कि मुझे देश की संसद में लंबे समय तक रहने का मौका अवसर प्राप्त हुआ था. उस समय संसद के हर सत्र में किसानों की आत्महत्या का मुद्दा जरूर उठता था. किसान आत्महत्या क्यों करता था? क्योंकि उसे उसके उपज का दाम नहीं मिल पाता था. जिस धरती पर वह मेहनत, मजदूरी और परिश्रम करके अनाज उपजता था उस उपज के लिए किसान को सही बीज नहीं मिलता था. कहीं वैज्ञानिक सलाह नहीं मिलती थी. उसकी कभी जांच नहीं हो पाती थी. सिंचाई की सुविधा नहीं थी. बाजार से जोड़ने का काम नहीं हुआ था. पहली बार एक साथ इन सबको जोड़ने का काम हुआ. यह उत्तर प्रदेशवासियों का सौभाग्य है कि यहां पर एक साथ सीमैप, सीडीआरआई, एनबीआरआई और आईआईटीआर भी है. यह सभी किसानों को वैज्ञानिक सलाह देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. अब सीमैप, सीडीआरआई, एनबीआरआई और आईआईटीआर के निदेशक व वैज्ञानिक सरकारी विभाग में आकर कार्यक्रम कराने की इच्छा जाहिर करते हैं कि वह किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना चाह रहे हैं. वैज्ञानिक विभाग में आकर कहते हैं कि हम किसानों की मदद करना चाहते हैं. हमसे कोई आकर सहयोग मांगे तो हम उन्हें पूरा सहयोग देंगे.
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