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सी कैटेगिरी वाला शहर हुआ वीरान, भीड़ से गुलजार रहने वाली गलियां आज हैं सुनसान - Chirmiri becoming deserted - CHIRMIRI BECOMING DESERTED

Chirmiri Becoming Deserted छत्तीसगढ़ का मिनी इंडिया आज वीरान है.इस क्षेत्र की गिनती कभी बड़े शहरों में हुआ करती थी.लेकिन आज यहां के लोग दूसरे शहर और राज्यों में पलायन कर रहे हैं.आईए जानते हैं पलायन की सबसे बड़ी वजह क्या है.

Chirmiri becoming deserted
सी कैटेगिरी का दर्जा प्राप्त शहर हुआ वीरान (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 23, 2024, 1:36 PM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ का मिनी इंडिया कहा जाने वाला नगर आज वीरान होता जा रहा है.आजाद भारत में 70 से 80 दशक के बीच इस क्षेत्र में 12 कोल माइंस खुले थे. इन खदानों में काम करने के लिए पूरे देश से लोग इस जगह पर इकट्ठा हुए.जिनकी आबादी डेढ़ लाख के आसपास थी.ऐसा माना जा रहा था कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में लोगों की भीड़ बढ़ेगी.लेकिन हुआ इसका ठीक उलटा. जैसे-जैसे इस क्षेत्र से कोयला खत्म होता गया, खदानें बंद हुई.जिसके कारण लोगों का पलायन होना शुरु हुआ.आज हालात ये है कि इस क्षेत्र में सिर्फ 2 माइंस चल रहीं हैं. वहीं जनसंख्या की बात करें तो ये घटकर 60 हजार रह गई है.इस क्षेत्र का नाम है चिरमिरी. आईए जानते हैं आखिर कैसे एक भरा पूरा शहर होता गया वीरान.

employment causes migration
वीरान पड़ी गलियां और दुकान (ETV Bharat Chhattisgarh)
employment causes migration
बंद हुईं कई कोयला खदानें (ETV Bharat Chhattisgarh)

1930 में खुली पहली खदान : 1930 में निजी कंपनियों के स्वामित्व में हुआ करता था. 1932 में चिरमिरी के कई क्षेत्रों में निजी खदानें खुली. 1942 में न्यू चिरमिरी, 1945 में प्योर चिरमिरी कॉलरी, 1946 में नॉर्थ चिरमिरी कॉलरी, फिर पोंड्री हिल, वेस्ट चिरमिरी समेत कोरिया कॉलरी खुली.जनसंख्या की बात करें,एक वक्त चिरमिरी छत्तीसगढ़ का दसवां बड़ा शहर बन गया था. जिसमें 1 हजार पुरुषों की तुलना में 925 महिलाएं थीं. चिरमिरी को काले हीरे की नगरी मिनी इंडिया के नाम से भी ख्याति मिली.लेकिन बंद हो रही कोयला खदान और लोगों के पलायन ने इस शहर के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

employment causes migration
बाजारों में पसरा रहता है सन्नाटा (ETV Bharat Chhattisgarh)
employment causes migration
ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग नहीं रहे (ETV Bharat Chhattisgarh)

70 हजार की जनसंख्या में सिमटी चिरमिरी : चिरमिरी आज 60 से 70 हजार की आबादी में आकर सिमट गया है. इसका बड़ा कारण यहां कोल के अलावा कोई दूसरे उद्योग का ना होना.यदि यहां खदानों के साथ कोई दूसरा उद्योग होता तो शायद चिरमिरी की इतनी बुरी दुर्दशा नहीं होती. लोग इसी जगह पर रुकते और दूसरे उद्योग धंधों से जुड़कर रोजगार करते.

employment causes migration
एसईसीएल की कॉलोनियां हुईं उजाड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

दूसरे शहर जाना है मजबूरी : कोल खदानों में काम करने वाले लोग जब रिटायर होते हैं,तो वो अपने गांव या दूसरे शहर में कूच कर जाते हैं.क्योंकि उनके बच्चों की पढ़ाई से लेकर रोजगार का बड़ा सवाल खड़ा होता है.इसलिए सभी दूसरी जगह पलायन कर जाते हैं. चिरमिरी की जनसंख्या घटती जा रही है. जो गलियां कभी गुलजार हुआ करती थी,वो आज वीरान हैं.लोग अपने भविष्य को लेकर चिरमिरी में रिटायरमेंट के बाद भी नहीं रहना चाहते.

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ का मिनी इंडिया कहा जाने वाला नगर आज वीरान होता जा रहा है.आजाद भारत में 70 से 80 दशक के बीच इस क्षेत्र में 12 कोल माइंस खुले थे. इन खदानों में काम करने के लिए पूरे देश से लोग इस जगह पर इकट्ठा हुए.जिनकी आबादी डेढ़ लाख के आसपास थी.ऐसा माना जा रहा था कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में लोगों की भीड़ बढ़ेगी.लेकिन हुआ इसका ठीक उलटा. जैसे-जैसे इस क्षेत्र से कोयला खत्म होता गया, खदानें बंद हुई.जिसके कारण लोगों का पलायन होना शुरु हुआ.आज हालात ये है कि इस क्षेत्र में सिर्फ 2 माइंस चल रहीं हैं. वहीं जनसंख्या की बात करें तो ये घटकर 60 हजार रह गई है.इस क्षेत्र का नाम है चिरमिरी. आईए जानते हैं आखिर कैसे एक भरा पूरा शहर होता गया वीरान.

employment causes migration
वीरान पड़ी गलियां और दुकान (ETV Bharat Chhattisgarh)
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बंद हुईं कई कोयला खदानें (ETV Bharat Chhattisgarh)

1930 में खुली पहली खदान : 1930 में निजी कंपनियों के स्वामित्व में हुआ करता था. 1932 में चिरमिरी के कई क्षेत्रों में निजी खदानें खुली. 1942 में न्यू चिरमिरी, 1945 में प्योर चिरमिरी कॉलरी, 1946 में नॉर्थ चिरमिरी कॉलरी, फिर पोंड्री हिल, वेस्ट चिरमिरी समेत कोरिया कॉलरी खुली.जनसंख्या की बात करें,एक वक्त चिरमिरी छत्तीसगढ़ का दसवां बड़ा शहर बन गया था. जिसमें 1 हजार पुरुषों की तुलना में 925 महिलाएं थीं. चिरमिरी को काले हीरे की नगरी मिनी इंडिया के नाम से भी ख्याति मिली.लेकिन बंद हो रही कोयला खदान और लोगों के पलायन ने इस शहर के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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बाजारों में पसरा रहता है सन्नाटा (ETV Bharat Chhattisgarh)
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ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग नहीं रहे (ETV Bharat Chhattisgarh)

70 हजार की जनसंख्या में सिमटी चिरमिरी : चिरमिरी आज 60 से 70 हजार की आबादी में आकर सिमट गया है. इसका बड़ा कारण यहां कोल के अलावा कोई दूसरे उद्योग का ना होना.यदि यहां खदानों के साथ कोई दूसरा उद्योग होता तो शायद चिरमिरी की इतनी बुरी दुर्दशा नहीं होती. लोग इसी जगह पर रुकते और दूसरे उद्योग धंधों से जुड़कर रोजगार करते.

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एसईसीएल की कॉलोनियां हुईं उजाड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

दूसरे शहर जाना है मजबूरी : कोल खदानों में काम करने वाले लोग जब रिटायर होते हैं,तो वो अपने गांव या दूसरे शहर में कूच कर जाते हैं.क्योंकि उनके बच्चों की पढ़ाई से लेकर रोजगार का बड़ा सवाल खड़ा होता है.इसलिए सभी दूसरी जगह पलायन कर जाते हैं. चिरमिरी की जनसंख्या घटती जा रही है. जो गलियां कभी गुलजार हुआ करती थी,वो आज वीरान हैं.लोग अपने भविष्य को लेकर चिरमिरी में रिटायरमेंट के बाद भी नहीं रहना चाहते.

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