लखनऊ: राजधानी में अब ऑटिज्म ग्रसित बच्चों के इलाज के लिए परिजनों को बड़े संस्थानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. परिजनों को ठाकुरगंज संयुक्त अस्पताल में आसानी से इलाज के साथ स्क्रीनिंग और परामर्श की सुविधा मिलेगी. इसके लिए प्रत्येक शनिवार को अस्पताल में विशेष ओपीडी का संचालन किया जाएगा. अस्पताल प्रशासन की ओर से इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. उम्मीद है अप्रैल के पहले सप्ताह से इसकी शुरुआत हो जाएगी. यह सुविधा देने वाला ठाकुरगंज संयुक्त अस्पताल शहर का पहला अस्पताल होगा.
स्पताल के सीएमएस डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि ऑटिज्म की ओपीडी अस्पताल के मनोचिकित्सक लवकुश की देखरेख में संचालित होगी. बच्चों के लिए व्यायाम के उपकरण भी लवकुश ने ही अस्पताल को निजी खर्च पर उपलब्ध कराए हैं. इसे संचालित करने में डॉ. लवकुश का विशेष योगदान है. डॉ. लवकुश ने बताया कि ऑटिज्म को मेडिकल भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर कहते हैं. यह एक विकास संबंधी डिसॉर्डर है, जिससे बच्चे को बातचीत, पढ़ने-लिखने और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानियां आती हैं. ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है, जिससे बच्चे का दिमाग अन्य लोगों के दिमाग की तुलना में अलग तरीके से काम करता है. ऑटिज्म में अलग-अलग बच्चों को अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन कुछ लक्षण ऐसे हैं, जो लगभग सभी ऑटिज्म का शिकार हुए बच्चों में दिखाई देते हैं. इन्हें शुरुआती लक्षण भी कहा जा सकता है.
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- उम्र होने पर भी नहीं बोलना
सबसे बड़ा लक्षण है कि 3 या 4 साल की उम्र होने पर भी बच्चा बोलना नहीं सीख पाता. कई बार बोलना सिखाने के बाद भी बच्चा एक या दो शब्दों से ज्यादा नहीं सीख पाता. बच्चा कई बार आपकी बातें तो समझ लेता है, लेकिन फिर भी बातों का जवाब नहीं देता.
- नजर न मिलाना
आमतौर पर जब बच्चों से बात की जाती है, तो वे आपकी तरफ देखते हैं. लेकिन ऑटिज्म में बच्चा नजर मिलाने से बचता है. अगर आप बार-बार उसका नाम भी लेते हैं या फिर उसकी तरफ देखकर भी कुछ कहते हैं, तो वह आपकी तरफ नहीं देखता. वह ज्यादातर नजरें मिलाने से बचता है और यहां-वहां देखता रहता है.
- एक ही शब्द बार-बार कहना
ऑटिज्म में बच्चा बोलता नहीं है लेकिन वह बार-बार एक ही शब्द या मुंह में बड़बड़ाता रहता है. कई बार तो उसकी बातें समझ भी नहीं आती है. बच्चा कई बार चिल्लाता है या फिर पूरे-पूरे दिन एक ही शब्द या बात बोलता रहता है.
- कुछ चीजें ही पसंद करना
आमतौर पर बच्चे 3-4 साल की उम्र में खाने की हर चीज देखकर ललचाते हैं लेकिन ऑटिज्म में बच्चे कुछ चीजे ही खाना पसंद करते हैं. खासतौर पर 7 खाने की जगह बच्चे किसी एक बिस्किट, नमकीन या फिर स्नैक्स आइटम खाना ही पसंद करते हैं. वह जबरदस्ती खिलाने पर भी ठीक से खाना नहीं खाते.
- दांत पीसते रहना
कई बच्चे बहुत खुश होने या गुस्सा होने पर दांत पीसते हैं और कूदते-फांदते रहते हैं. वे बिना थके पूरे दिन तक या कई घंटों यही करते रहते हैं.
- रात में नींद नहीं आना
आमतौर पर बच्चे दिन में खेलकर देर रात 10 बजे तक सो जाते हैं लेकिन ऑटिज्म में बच्चा पूरे दिन उछल-कूद करके भी ज्यादा नहीं थकता. रात में नींद आने पर भी जल्दी नहीं सोता. ऐसे बच्चों का स्लीपिंग पैटर्न बहुत अलग होता है. कई बार तो बच्चा सुबह तक जगा रह जाता है.
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