बगहा: बिहार के बगहा में बाढ़ से तबाही मची हुई है. इस बीच जलावन के लिए लकड़ी छानने को लेकर बच्चे और युवक गंडक नदी में मौत का स्टंट लगा रहे हैं. प्रतिबंध के बावजूद नदी की तेज धार में लोग छोटी नाव से लकड़ियां छानने से बाज नहीं आ रहे. गंडक नदी में 5 लाख 62 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है. वहीं लोग जान की बाजी लगाकर लकड़ी छानते दिख रहे हैं.
गंडक नदी का विकराल रूप: नेपाल के हिमालय से निकलने वाली गंडक नारायणी नदी का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है. पिछले दो दशकों में गंडक नदी का ऐसा विकराल रूप शायद ही किसी ने देखा हो, क्योंकि नेपाल में भारी बारिश की वजह से नदी में अब तक सर्वाधिक 6 लाख 40 हजार क्यूसेक पानी देवघाट नेपाल द्वारा छोड़ा गया है. लैंड स्लाइड के कारण इस पानी में विशालकाय पेड़ और बड़ी लकड़ियां बहकर आ रही हैं. इन लकड़ियों को छानने के लिए लोग मौत की बाजी तक लगाने को तैयार हैं.
जलावन के लिए मौत का स्टंट: दरअसल, इंडो-नेपाल सीमा के गंडक बराज के पास दर्जनों बच्चे और युवा लकड़ी छानने के लिए मौत का स्टंट लगा रहे हैं. उनको रोकने वाला कोई नहीं है. नदी की तेज धारा में नाबालिग बच्चे भी लकड़ी पकड़ने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं. स्थानीय अजय कुमार झा ने बताया कि ये सभी युवक स्थानीय और नदी के आसपास बसे हुए हैं. जलावन के लिए नदी की तेज धारा में कूदकर लकड़ी छान रहे हैं, जो एक प्रकार से मौत को दावत है.
"जलावन के लिए लकड़िया निकालने वाले सभी युवक स्थानीय हैं. इस तरह उफनाती नदी में छलांग लगाकर लकड़ी छानना मौत को दावत देने के समान है." -अजय कुमार झा, स्थानीय
नाव के परिचालन पर लगा रोक: बता दें कि प्रशासन ने नदी में अप्रत्याशित जलवृद्धि को देखते हुए नावों के परिचालन को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है. इसके बावजूद लोग छोटी नाव पर सवार होकर नदी की बीच धारा से लकड़ी छान रहे हैं. ऐसे में तेज धारा प्रवाह के कारण नाव पलट भी सकती है लेकिन फिर भी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़िया निकाल रहे हैं. वहीं प्रशासन इससे बेखबर है.