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सड़क नहीं होने से स्कूल गांव से 3 किलोमीटर दूर शिफ्ट, 10 साल से बच्चे कर रहे मीलों का सफर

School Demand In Sheikhpura: शेखपुरा के गांव में स्कूल नहीं रहने से बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. बच्चे पैदल लंबी दूरी तय कर शिक्षा लेने के लिए नहर को पार कर दूसरे गांव जाते हैं, ऐसे में उनकी जान पर भी खतरा बना रहता है.

शेखपुरा में स्कूल की मांग
शेखपुरा में स्कूल की मांग
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 4, 2024, 12:30 PM IST

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शेखपुरा: बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए साक्षर बनना आसान काम नहीं है. सरकार विकास के लाख दावे कर ले, शिक्षा विभाग व्यवस्था सुधारने की हजार कोशिश कर ले, लेकिन कुछ जिलों से आई तस्वीर ये साबित करने के लिए काफी है कि प्रदेश में शिक्षा की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है. मामला शेखपुरा जिले का है, जहां आज भी बच्चे पगडंडियों के सहारे स्कूल जाते हैं.

लंबी दूरी तय कर स्कूल जाते हैं बच्चे: दरअसल जिले के अरियरी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत एफनी पंचायत के बहादुरपुर गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. बच्चे शिक्षा के लिए पैदल 3 किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाते हैं. जिससे परिजनों को चिंता सताए रहती है.

गांव में स्कूल जाने के लिए सड़क नहीं: ग्रामीणों ने बताया कि बहादुरपुर गांव से स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं थी. स्कूल जाने में शिक्षकों और बच्चों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. इसी मुश्किल को दूर करने के लिए शिक्षकों ने षडयंत्र रचकर छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिलाने की बात कही और स्कूल को दूसरे जगह शिफ्ट करने के आवेदन पर हस्ताक्षर करवा लिया. इसके बाद यहां के विद्यालय को बायबीघा में स्थानांतरित कर दिया गया. जिस वजह से पिछले 10 साल से बच्चों को 3 किलोमीटर दूरी तय कर विद्यालय जाना पड़ता है.

"मौसम चाहे कोई भी हो, बच्चे स्कूल जाने के लिए हर बाधा का मुकाबला करते हैं. गांव से बाहर दूसरे गांव में पढ़ने के लिए बच्चों को नहर पार कर पैदल 3 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है. गांव में स्कूल होता तो उन्हें परेशानी नहीं होती." -बालेश्वर महतो, ग्रामीण

गांव के स्कूल की स्थिति जर्जर: बता दें कि प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर की स्थिति जर्जर हालत में पहुंच चुकी है. यहां के विद्यालय के नए भवन के निर्माण की मांग काफी समय से ग्रामीण कर रहे हैं, लेकिन इस योजना को धरातल पर नहीं उतारा जा सका है. योजना, विभाग के फाइलों में दबकर रह गई है. प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर के लगभग डेढ़ सौ बच्चे दूसरे विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. कई बच्चे तो अब निजी विद्यालयों का सहारा ले रहे हैं. बहादुरपुर से बायबीघा की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है. यहां तक पहुंचने के लिए बच्चों को नहर के ऊपर पगडंडी के सहारे 3 किलोमीटर जाना पड़ता है, जिस कारण अभिभावक रोजाना चिंता में रहते हैं.

स्कूल की मांग कर रहे ग्रामिण: प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर के नए भवन के निर्माण के लिए ग्रामीण लगातार मांग कर रहे हैं. इसकी जानकारी देते हुए स्थानीय ग्रामीण सहदेव महतो, शिवनंदन चौरसिया, विलास पासवान, अनिल मांझी, जितेंद्र कुमार सहित अन्य ने बताया कि गांव में लगभग दो से तीन बीघा गैर मजरूआ जमीन पड़ी हुई है. यहां स्कूल का निर्माण आराम से किया जा सकता है, ताकि बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में कोई परेशानी ना हो. लेकिन इस मामले में कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन इस दिशा में कोई कारगर पहल नहीं की जा सकी है.

ये भी पढ़ें: कटिहार में भरभरा कर गिर पड़ा स्कूल का जर्जर भवन, मलबा में दबने से दो मजदूर की मौत, एक जख्मी

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शेखपुरा: बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए साक्षर बनना आसान काम नहीं है. सरकार विकास के लाख दावे कर ले, शिक्षा विभाग व्यवस्था सुधारने की हजार कोशिश कर ले, लेकिन कुछ जिलों से आई तस्वीर ये साबित करने के लिए काफी है कि प्रदेश में शिक्षा की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है. मामला शेखपुरा जिले का है, जहां आज भी बच्चे पगडंडियों के सहारे स्कूल जाते हैं.

लंबी दूरी तय कर स्कूल जाते हैं बच्चे: दरअसल जिले के अरियरी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत एफनी पंचायत के बहादुरपुर गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. बच्चे शिक्षा के लिए पैदल 3 किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाते हैं. जिससे परिजनों को चिंता सताए रहती है.

गांव में स्कूल जाने के लिए सड़क नहीं: ग्रामीणों ने बताया कि बहादुरपुर गांव से स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं थी. स्कूल जाने में शिक्षकों और बच्चों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. इसी मुश्किल को दूर करने के लिए शिक्षकों ने षडयंत्र रचकर छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिलाने की बात कही और स्कूल को दूसरे जगह शिफ्ट करने के आवेदन पर हस्ताक्षर करवा लिया. इसके बाद यहां के विद्यालय को बायबीघा में स्थानांतरित कर दिया गया. जिस वजह से पिछले 10 साल से बच्चों को 3 किलोमीटर दूरी तय कर विद्यालय जाना पड़ता है.

"मौसम चाहे कोई भी हो, बच्चे स्कूल जाने के लिए हर बाधा का मुकाबला करते हैं. गांव से बाहर दूसरे गांव में पढ़ने के लिए बच्चों को नहर पार कर पैदल 3 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है. गांव में स्कूल होता तो उन्हें परेशानी नहीं होती." -बालेश्वर महतो, ग्रामीण

गांव के स्कूल की स्थिति जर्जर: बता दें कि प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर की स्थिति जर्जर हालत में पहुंच चुकी है. यहां के विद्यालय के नए भवन के निर्माण की मांग काफी समय से ग्रामीण कर रहे हैं, लेकिन इस योजना को धरातल पर नहीं उतारा जा सका है. योजना, विभाग के फाइलों में दबकर रह गई है. प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर के लगभग डेढ़ सौ बच्चे दूसरे विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. कई बच्चे तो अब निजी विद्यालयों का सहारा ले रहे हैं. बहादुरपुर से बायबीघा की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है. यहां तक पहुंचने के लिए बच्चों को नहर के ऊपर पगडंडी के सहारे 3 किलोमीटर जाना पड़ता है, जिस कारण अभिभावक रोजाना चिंता में रहते हैं.

स्कूल की मांग कर रहे ग्रामिण: प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर के नए भवन के निर्माण के लिए ग्रामीण लगातार मांग कर रहे हैं. इसकी जानकारी देते हुए स्थानीय ग्रामीण सहदेव महतो, शिवनंदन चौरसिया, विलास पासवान, अनिल मांझी, जितेंद्र कुमार सहित अन्य ने बताया कि गांव में लगभग दो से तीन बीघा गैर मजरूआ जमीन पड़ी हुई है. यहां स्कूल का निर्माण आराम से किया जा सकता है, ताकि बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में कोई परेशानी ना हो. लेकिन इस मामले में कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन इस दिशा में कोई कारगर पहल नहीं की जा सकी है.

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