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नौनिहाल झेल रहे मानव तस्करी का दंश, बचपन छीन बना दिए जा रहे बाल मजदूर! - Human trafficking

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 2, 2024, 9:08 PM IST

Children becoming victims of human trafficking. झारखंड, मानव तस्करी का दंश झेल रहा है, कारण जो भी हो लेकिन आज भी यहां से नौनिहाल मानव तस्करी के निशाने पर रहते हैं. दूभर, ग्रामीण और नक्सल प्रभावित इलाकों में लोग अपने बच्चों को कैसे बचाएं, आखिर क्या उपाय करें. लोगों के दर्द और आंकड़ों की पड़ताल करती ईटीवी भारत की ये रिपोर्ट.

Children becoming victims of human trafficking in Naxal areas of Palamu
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

पलामूः 2023 में पलामू में बाल मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई में 17 बच्चों को मुक्त करवाया गया. जिसमें में अधिकतर बच्चे मनातू और तरहसी के थे. इसी साल 2024 में जून के अंतिम सप्ताह तक 10 बच्चों को मुक्त करवाया गया. इन सभी को बहला-फुसला कर शहर के बाहर ले जाकर उन्हें बाल मजदूरी की आग में झोंक दिया गया था. ये आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि पलामू के इस इलाके स्थिति कितनी गंभीर है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः पलामू के नक्सल प्रभावित इलाका बन रहा मानव तस्करी का अड्डा (ETV Bharat)

पलामू में मनातू थाना क्षेत्र के दलदलीय का रहने वाले उपेन परहिया आज छह वर्षों से भी अधिक समय से गायब हैं. उपेन परहिया कहां हैं इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. जिस व्यक्ति पर तस्करी का आरोप लगा था वह भी जेल में है लेकिन उपेन परहिया की कोई खबर नहीं है. उपेन परहिया की तरह की कई ऐसे बच्चे हैं जो मानव तस्करी के शिकार हुए हैं. जिन इलाकों से बच्चों की तस्करी की जा रही है, वह इलाका नक्सल प्रभावित माना जाता है. पहले नक्सल संगठन बच्चों को अपने दस्ते में शामिल करते थे, अब मानव तस्कर इस इलाके में बच्चों को निशाना बना रहे हैं. पलामू का मनातू, तरहसी और पांकी का इलाका मानव तस्करी का नया केंद्र बना है.

मेरा बेटा छह वर्षों से गायब है, उनके पास पैसे नहीं है कि अपने बच्चे को ढूंढ सके. वह जंगल गई थी, वापस लौटी तो देखा की बेटा गायब है. बेटे के साथ एक बच्ची भी गई थी, वह वापस लौटी तो पता चला की उनका बेटा साथ में गया था. इलाके का एक मनोज यादव और उसका बहनोई बेटे को ले गया था. उनका बेटा आज भी गायब है. -दुलरिया देवी, उपेन परहिया की माता, दलदलिया (मनातू).

दो वर्ष में 27 बच्चे कराए गये मुक्त

पलामू का नक्सल प्रभावित इलाका मनातू, तरहसी और पांकी बाल मजदूरी और मानव तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है. 2023 में पलामू में बाल मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई में 17 बच्चों को मुक्त करवाया गया. जिसमें में अधिकतर बच्चे मनातू और तरहसी के थे. 2024 में जून के अंतिम सप्ताह तक 10 बच्चों को मुक्त करवाया गया. इनमें सभी बच्चे मनातू , तरहसी और पांकी के इलाके के रहने वाले थे. पांकी, मनातू और तरहसी का इलाका अति नक्सल प्रभावित माना जाता है. कभी इस इलाके के बच्चे नक्सली दस्ते में शामिल हुआ करते थे अब मानव तस्कर बच्चों को निशाना बना रहे है.

चाइल्ड लाइन के माध्यम से एक सर्वे करवाया जाएगा ताकि इलाके में बाल मजदूरों के बारे में जानकारी मिल सके. इलाके के बच्चों को स्कूलों से जोड़ा जाएगा. -प्रकाश कुमार, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी.

सभी लोगों का दायित्व है कि बाल मजदूरी को खत्म किया जाए ताकि बाल मजदूरी को दूर किया जा सके. -एतवारी महतो, जिला श्रम पदाधिकारी.

बाहर के राज्यों में भी बच्चों की गई तस्करी, तीन से पांच हजार दिया जाता है महीना

पलामू के मनातू तरहसी और पांकी के इलाके से बच्चों को राज्य से बाहर तस्करी की जा रही है. 2020 में राजस्थान से एक साथ सात बच्चों को मुक्त कराया गया था. सभी बच्चे पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के जगराहा गांव के रहने वाला थे. सभी बच्चों का राजस्थान के एक फैक्ट्री में बंधक बना कर रखा गया था. बाल मजदूरी के शिकार बच्चों को तीन से पांच हजार रुपए मजदूरी दिया जाता है जबकि 11 से 15 घंटे काम करवाए जाते थे. रेस्क्यू के बाद सभी बच्चे पलामू पहुंचे थे और सभी के पुनर्वास की घोषणा की गई लेकिन बच्चों का सिर्फ नामांकन करके छोड़ दिया गया. रेस्क्यू होने वाले बच्चे आज किस हालत में किसी के पास जानकारी नहीं है.

विधायक ने सवाल उठाया तो प्रशासन ने तस्करी का शिकार नहीं हुए बच्चे

झारखंड विधानसभा के शीतकालीन शत्र में स्थानीय विधायक डॉ. शशि भूषण मेहता ने सरकार से पूछा था कि कितने बच्चे मानव तस्करी का शिकार हुए हैं. इस दौरान सरकार की तरफ से यह बताया गया था कि तस्करी से जुड़ा हुआ एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है और न ही कोई बच्चा तस्करी का शिकार हुआ है. 2023 में बाल मजदूरों के रेस्क्यू से जुड़े आंकड़े जवाब में नहीं दिए गए थे न ही उपेन परहिया का जिक्र किया गया था.

उनके विधानसभा क्षेत्र में खासकर आदिम जनजाति के बच्चों को बड़े-बड़े शहरों में बेच दिया गया है. डाटा सरकार उपलब्ध नहीं करवा रही रही, सरकार इस पर बहस नहीं करवा रही है. सरकार से पूछा कुछ गया था जवाब कुछ मिला है. एक बड़ा गिरोह सक्रिय है. खास कर मनातू के इलाके में. बच्चे गायब हो रहे हैं, इन्हें संरक्षित करने की जरूरत है. -डॉ. शशिभूषण मेहता, पांकी विधायक.

इसे भी पढ़ें- पलामू में दो बाल मजदूरों को कराया गया मुक्त, समोसा-बिरयानी दुकान में काम कर रहे थे नाबालिग - Two Child Laborers Were Freed

इसे भी पढ़ें- साधु की भेष में घूम रहे मानव तस्कर, अच्छे घर की बच्ची को बहला फुसला कर ले जाने की थी तैयारी, ऐसे विफल हुई योजना - Three human traffickers arrested

इसे भी पढ़ें- रांची रेलवे स्टेशन से दो मानव तस्कर गिरफ्तार, एक नाबालिग का किया गया रेस्क्यू - Human trafficking in Ranchi

पलामूः 2023 में पलामू में बाल मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई में 17 बच्चों को मुक्त करवाया गया. जिसमें में अधिकतर बच्चे मनातू और तरहसी के थे. इसी साल 2024 में जून के अंतिम सप्ताह तक 10 बच्चों को मुक्त करवाया गया. इन सभी को बहला-फुसला कर शहर के बाहर ले जाकर उन्हें बाल मजदूरी की आग में झोंक दिया गया था. ये आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि पलामू के इस इलाके स्थिति कितनी गंभीर है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः पलामू के नक्सल प्रभावित इलाका बन रहा मानव तस्करी का अड्डा (ETV Bharat)

पलामू में मनातू थाना क्षेत्र के दलदलीय का रहने वाले उपेन परहिया आज छह वर्षों से भी अधिक समय से गायब हैं. उपेन परहिया कहां हैं इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. जिस व्यक्ति पर तस्करी का आरोप लगा था वह भी जेल में है लेकिन उपेन परहिया की कोई खबर नहीं है. उपेन परहिया की तरह की कई ऐसे बच्चे हैं जो मानव तस्करी के शिकार हुए हैं. जिन इलाकों से बच्चों की तस्करी की जा रही है, वह इलाका नक्सल प्रभावित माना जाता है. पहले नक्सल संगठन बच्चों को अपने दस्ते में शामिल करते थे, अब मानव तस्कर इस इलाके में बच्चों को निशाना बना रहे हैं. पलामू का मनातू, तरहसी और पांकी का इलाका मानव तस्करी का नया केंद्र बना है.

मेरा बेटा छह वर्षों से गायब है, उनके पास पैसे नहीं है कि अपने बच्चे को ढूंढ सके. वह जंगल गई थी, वापस लौटी तो देखा की बेटा गायब है. बेटे के साथ एक बच्ची भी गई थी, वह वापस लौटी तो पता चला की उनका बेटा साथ में गया था. इलाके का एक मनोज यादव और उसका बहनोई बेटे को ले गया था. उनका बेटा आज भी गायब है. -दुलरिया देवी, उपेन परहिया की माता, दलदलिया (मनातू).

दो वर्ष में 27 बच्चे कराए गये मुक्त

पलामू का नक्सल प्रभावित इलाका मनातू, तरहसी और पांकी बाल मजदूरी और मानव तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है. 2023 में पलामू में बाल मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई में 17 बच्चों को मुक्त करवाया गया. जिसमें में अधिकतर बच्चे मनातू और तरहसी के थे. 2024 में जून के अंतिम सप्ताह तक 10 बच्चों को मुक्त करवाया गया. इनमें सभी बच्चे मनातू , तरहसी और पांकी के इलाके के रहने वाले थे. पांकी, मनातू और तरहसी का इलाका अति नक्सल प्रभावित माना जाता है. कभी इस इलाके के बच्चे नक्सली दस्ते में शामिल हुआ करते थे अब मानव तस्कर बच्चों को निशाना बना रहे है.

चाइल्ड लाइन के माध्यम से एक सर्वे करवाया जाएगा ताकि इलाके में बाल मजदूरों के बारे में जानकारी मिल सके. इलाके के बच्चों को स्कूलों से जोड़ा जाएगा. -प्रकाश कुमार, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी.

सभी लोगों का दायित्व है कि बाल मजदूरी को खत्म किया जाए ताकि बाल मजदूरी को दूर किया जा सके. -एतवारी महतो, जिला श्रम पदाधिकारी.

बाहर के राज्यों में भी बच्चों की गई तस्करी, तीन से पांच हजार दिया जाता है महीना

पलामू के मनातू तरहसी और पांकी के इलाके से बच्चों को राज्य से बाहर तस्करी की जा रही है. 2020 में राजस्थान से एक साथ सात बच्चों को मुक्त कराया गया था. सभी बच्चे पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के जगराहा गांव के रहने वाला थे. सभी बच्चों का राजस्थान के एक फैक्ट्री में बंधक बना कर रखा गया था. बाल मजदूरी के शिकार बच्चों को तीन से पांच हजार रुपए मजदूरी दिया जाता है जबकि 11 से 15 घंटे काम करवाए जाते थे. रेस्क्यू के बाद सभी बच्चे पलामू पहुंचे थे और सभी के पुनर्वास की घोषणा की गई लेकिन बच्चों का सिर्फ नामांकन करके छोड़ दिया गया. रेस्क्यू होने वाले बच्चे आज किस हालत में किसी के पास जानकारी नहीं है.

विधायक ने सवाल उठाया तो प्रशासन ने तस्करी का शिकार नहीं हुए बच्चे

झारखंड विधानसभा के शीतकालीन शत्र में स्थानीय विधायक डॉ. शशि भूषण मेहता ने सरकार से पूछा था कि कितने बच्चे मानव तस्करी का शिकार हुए हैं. इस दौरान सरकार की तरफ से यह बताया गया था कि तस्करी से जुड़ा हुआ एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है और न ही कोई बच्चा तस्करी का शिकार हुआ है. 2023 में बाल मजदूरों के रेस्क्यू से जुड़े आंकड़े जवाब में नहीं दिए गए थे न ही उपेन परहिया का जिक्र किया गया था.

उनके विधानसभा क्षेत्र में खासकर आदिम जनजाति के बच्चों को बड़े-बड़े शहरों में बेच दिया गया है. डाटा सरकार उपलब्ध नहीं करवा रही रही, सरकार इस पर बहस नहीं करवा रही है. सरकार से पूछा कुछ गया था जवाब कुछ मिला है. एक बड़ा गिरोह सक्रिय है. खास कर मनातू के इलाके में. बच्चे गायब हो रहे हैं, इन्हें संरक्षित करने की जरूरत है. -डॉ. शशिभूषण मेहता, पांकी विधायक.

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