लखनऊ: केजीएमयू एक पिता और परिवार गरीबी के आगे लाचार दिखा. ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई लेकिन शव घर ले जाने के लिए पैसे नहीं थे. काफी मिन्नतों के बाद भी पीड़ित परिवार की किसी ने मदद नहीं की. इसके बाद परिवारीजनों ने आसपास के लोग और स्वयंसेवी संस्था से चंदा मांगा. तब जाकर शव वाहन के लिए रुपये एकत्र हुए और बच्चे का डेड बॉडी घर ले जा सके.
सेप्टिकसीमिया और मलेरिया से हुई मौतः जानकारी के मुताबिक, सीतापुर मछरेहटा के जैतपुर गांव निवासी किसान अंकित के बेटे अर्पित (तीन) को तेज बुखार हुआ. पहले तो परिवारीजनों ने स्थानीय अस्पताल में बच्चे को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इलाज के बावजूद बच्चे की हालत बिगड़ती ही चली गई. इसके बाद बेहोशी की हालत में 22 नवबंर की रात परिवारीजन अर्पित को लेकर केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचे. यहां बच्चे को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया. डॉक्टरों ने जांच में पाया कि बच्चे को सेप्टिकसीमिया व मलेरिया समेत दूसरी समस्याएं हैं. फेफड़े में भी संक्रमण हो चुका था. इलाज के दौरान मंगलवार रात की मासूम बच्चे की मौत हो गई.
डॉक्टर्स और अधिकारियों का नहीं पसीजा दिलः बच्चे मौत होने के बाद शव ले जाने के परिवारीजनों के पास रुपये नहीं थे. परिवारीजनों ने ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों, अधिकारियों समेत अन्य लोगों से मदद की गुहार लगाई. सरकारी शव वाहन के लिए गुजारिश की, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा. इसके बाद थक हारकर परिवारीजनों ने आसपास अन्य तीमारदारों से आपबीती सुनाई. कुछ लोगों ने चंद रुपए की मदद की. इसी बीच चंदारानी जैन चैरिटेबल ट्रस्ट के सिद्धार्थ जैन को जानकारी हुई. उन्होंने आर्थिक मदद कर वाहन मुहैया कराया. तब जाकर परिवारीजन मासूम का शव ले जा सके.
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि हमें इसकी कोई भी जानकारी नहीं है और न केजीएमयू प्रशासन के पास अभी तक कोई शिकायत आई है. मेडिकल संस्थान में एंबुलेंस उपलब्ध हैं. अगर हमारे पास कोई शिकायत आएगी तो इस पर कार्रवाई जरूर करेंगे.