लखनऊ : केजीएमयू की ओपीडी में इंजेक्शन लगने के कुछ समय बाद डेढ़ माह की मासूम की हालत बिगड़ गई. आनन-फानन में परिवारीजन बच्ची को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे. इलाज के दौरान बच्ची की सांसें थम गईं. बच्ची की मौत के बाद अगले दिन नाराज परिवारीजन शव लेकर ओपीडी पहुंचे. जिसके बाद हंगामा शुरू कर दिया. गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.
जानकारी के मुताबिक, त्रिवेणी नगर साठ फिटा रोड निवासी पवित्र श्रीवास्तव अपनी डेढ़ माह की बच्ची को टीका लगवाने के लिए बुधवार दोपहर केजीएमयू ओपीडी पहुंचे. डॉक्टर की सलाह पर बच्ची को वैक्सीन लग गई. परिवारीजन बच्ची को लेकर घर आ गए. कुछ ही देर बाद बच्ची को उल्टी होने लगी. नाक से खून आने लगा. मासूम की बिगड़ती हालत देख परिवारीजन घबरा गए. आनन-फानन में परिवारीजन बच्ची को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने बच्ची को भर्ती कर लिया. बुधवार रात करीब 11 बजे इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. परिवारीजन शव लेकर घर चले गए.
गुरुवार को सुबह परिवारीजन शव लेकर ओपीडी में डॉक्टर कक्ष में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने डॉक्टर पर गलत व घटिया इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया. जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया. हंगामा की वजह से ओपीडी में अफरा-तफरी मच गई. हंगामे की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची. परिवारीजन व पुलिस के बीच में नोकझोंक शुरू हो गई. पुलिस ने बच्ची का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया. परिवारीजनों ने मुकदमा दर्ज किए जाने के लिए तहरीर दी है.
केजीएमयू प्रवक्ता प्रो. सुधीर सिंह ने कहा कि परिवार वालों का यह आरोप गलत है. एक वायल से कई बच्चों को वैक्सीन दी जाती है, अन्य बच्चों को भी इसी वायल से वैक्सीन दी गई थी. सभी से संपर्क किया गया. किसी भी बच्चे को कोई समस्या नहीं है.
अब अधिक संख्या में ऑटिज्म से पीड़ित हो रहे बच्चे : बच्चों में ऑटिज्म की समस्या बढ़ रही है. इसकी बड़ी वजह अत्याधिक मोबाइल का इस्तेमाल है. पहले 68 बच्चों में एक में ऑटिज्म के लक्षण नजर आते थे. वर्ष 2021 में आईसीएमआर ने एक सर्वे कराया. जिसमें 36 बच्चों में एक में यह संकट आने लगा. यह जानकारी केजीएमयू मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. विवेक अग्रवाल ने दी. वह गुरुवार को केजीएमयू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऑटिज्म पर जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. डॉ. विवेक अग्रवाल ने कहा कि ऑटिज्म के बढ़ते मामलों में कई कारण शामिल हैं. इसमें मोबाइल का अत्याधिक इस्तेमाल भी हो सकता है.