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जीरो रिस्क एरिया में ड्रोन कॉरिडोर बनाने पर फोकस, प्रौद्योगिकी संस्थानों से अनुबंध के निर्देश

Uttarakhand Drone Policy देहरादून स्थित सचिवालय में आज मुख्य सचिव एसएस संधू ने ड्रोन पॉलिसी को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य रूप से मौजूद रहे. मीटिंग में सीएम ने जीरो रिस्क एरिया पर फोकस करने की बात कही.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 23, 2024, 5:37 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ड्रोन पॉलिसी लाने के बाद अब ड्रोन कॉरिडोर बनाने पर फोकस कर रही है. इसके लिए राज्य सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि जो जीरो रिस्क एरिया है, वहां पर ड्रोन कॉरिडोर बनाया जाए. दरअसल, मंगलवार को मुख्य सचिव एसएस संधू ने सचिवालय में ड्रोन पॉलिसी को लेकर संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि ड्रोन क्षेत्र में इनोवेटिव तरीका अपनाने की जरूरत है. इसके लिए देश के प्रौद्योगिकी संस्थानों से सहयोग लेने के लिए अनुबंध किए जाएं.

जीरो रिस्क एरिया पर फोकस करने की जरूरत: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य मोस्ट हेलीकॉप्टर फ्रेंडली स्टेट है. जिससे प्रदेश में हेली सेवाओं के काफी अधिक फायदे हैं. ऐसे में हवाई दुर्घटनाओं की संभावनाओं को देखते हुए ड्रोन फ्लाइंग के लिए अधिकांश प्रतिबंधित क्षेत्र भी हैं. लिहाजा, प्रदेश में ड्रोन कॉरिडोर बनाए जाने के लिए जीरो रिस्क एरिया पर फोकस करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पिटकुल और यूपीसीएल की बहुत सी हाईटेंशन और लो टेंशन लाइन भी हैं, जिसको देखते हुए यूपीसीएल और पिटकुल से बातचीत कर समन्वय बनाया जाए.

ये भी पढ़ें: 7 फरवरी को गौचर में होगा मातृशक्ति सम्मेलन, सीएम धामी करेंगे शिरकत

ड्रोन पॉलिसी का अधिक प्रचार-प्रसार करने का आदेश: उत्तराखंड सरकार ने ड्रोन पॉलिसी बना तो दी है, लेकिन अभी तक ड्रोन के क्षेत्र में निवेश के लिए ड्रोन पॉलिसी को बहुत ज्यादा हाईलाइट नहीं किया गया है. जिसके चलते मुख्य सचिव ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए कि ड्रोन के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिए जाने को लेकर ड्रोन पॉलिसी का अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए. साथ ही प्रदेश के युवाओं को ड्रोन के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिए जाने और रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर भी काम करने की जरूरत है. इसके लिए प्रदेश के सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में ड्रोन संबंधित तमाम कोर्स भी कराए जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: उच्च शिक्षा विभाग को मिलेंगे आठ सहायक लेखाकार, सीएम धामी बांटेंगे नियुक्ति पत्र

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ड्रोन पॉलिसी लाने के बाद अब ड्रोन कॉरिडोर बनाने पर फोकस कर रही है. इसके लिए राज्य सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि जो जीरो रिस्क एरिया है, वहां पर ड्रोन कॉरिडोर बनाया जाए. दरअसल, मंगलवार को मुख्य सचिव एसएस संधू ने सचिवालय में ड्रोन पॉलिसी को लेकर संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि ड्रोन क्षेत्र में इनोवेटिव तरीका अपनाने की जरूरत है. इसके लिए देश के प्रौद्योगिकी संस्थानों से सहयोग लेने के लिए अनुबंध किए जाएं.

जीरो रिस्क एरिया पर फोकस करने की जरूरत: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य मोस्ट हेलीकॉप्टर फ्रेंडली स्टेट है. जिससे प्रदेश में हेली सेवाओं के काफी अधिक फायदे हैं. ऐसे में हवाई दुर्घटनाओं की संभावनाओं को देखते हुए ड्रोन फ्लाइंग के लिए अधिकांश प्रतिबंधित क्षेत्र भी हैं. लिहाजा, प्रदेश में ड्रोन कॉरिडोर बनाए जाने के लिए जीरो रिस्क एरिया पर फोकस करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पिटकुल और यूपीसीएल की बहुत सी हाईटेंशन और लो टेंशन लाइन भी हैं, जिसको देखते हुए यूपीसीएल और पिटकुल से बातचीत कर समन्वय बनाया जाए.

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ड्रोन पॉलिसी का अधिक प्रचार-प्रसार करने का आदेश: उत्तराखंड सरकार ने ड्रोन पॉलिसी बना तो दी है, लेकिन अभी तक ड्रोन के क्षेत्र में निवेश के लिए ड्रोन पॉलिसी को बहुत ज्यादा हाईलाइट नहीं किया गया है. जिसके चलते मुख्य सचिव ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए कि ड्रोन के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिए जाने को लेकर ड्रोन पॉलिसी का अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए. साथ ही प्रदेश के युवाओं को ड्रोन के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिए जाने और रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर भी काम करने की जरूरत है. इसके लिए प्रदेश के सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में ड्रोन संबंधित तमाम कोर्स भी कराए जा सकते हैं.

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