देहरादून: उत्तराखंड में अधिकारी बिना होमवर्क के ही कैबिनेट बैठक तक प्रस्ताव पहुंचा रहे हैं. हैरत की बात यह है कि इन प्रस्तावों का ना तो जमीनी आकलन किया जा रहा है और ना ही तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है. ऐसे में मंत्रिमंडल के सामने ऐसे प्रस्ताव आने पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने नाराजगी जाहिर की है. मुख्यसचिव राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को इस मामले में पत्र लिखा है. जिसमें अफसरों को सख्त हिदायत दी गई है.
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अफसरों को लिखे अपने पत्र में कहा कि अक्सर देखा जा रहा है कि विभिन्न विभागो में प्रस्तावित या गतिमान योजनाओं का जमीनी स्तर पर परीक्षण या आकलन किए बिना ही मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव विचार के लिए प्रस्तुत किए जा रहे हैं. जिससे वास्तविक उद्देश्य प्राप्त नहीं हो पाते हैं. मुख्य सचिव का ये पत्र नौकरशाही की कार्य क्षमता और लापरवाह रवैये पर सवाल खड़े करने के लिए काफी है. ऐसे में अधिकारियों को समुचित कार्यवाही करने के लिए कहा गया है.
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि सभी विभाग अपनी मौजूदा योजनाओं का आंकलन करते हुए एक जैसी योजनाओं को मर्ज करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करें. इस दौरान नई योजना बनाते समय भी दूसरे विभागों की एक जैसी योजनाओं का भी परीक्षण करने के लिए कहा गया है. जिससे दो विभागों के वित्तीय प्रस्ताव के बीच कोई विसंगति ना हो. योजनाओं में वित्तीय अनुशासन और मितव्ययिता पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश जारी किए गए. मुख्य सचिव ने रोड कटिंग के स्पष्ट मानक बनाने के निर्देश जारी करते हुए जिलाधिकारी की अनुमति के बिना किसी भी विभाग द्वारा सड़क को बार-बार क्षति न पहुंचने के भी निर्देश दिए हैं.
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