लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर पीएम मोदी के पसंदीदा अफसर दुर्गा शंकर मिश्र का जिस तरह से कार्यकाल इस बार नहीं बढ़ाया गया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खास अफसरों में से एक मनोज कुमार सिंह को मुख्य सचिव बनाया गया, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि साल 2027 के विधानसभा चुनाव तक योगी पॉवर फुल फॉर्म में दिखाई देगी. उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में केंद्र का दखल अब न के बराबर होगा. मुख्य सचिव की नियुक्ति से यह स्पष्ट हो गया है कि योगी आदित्यनाथ को ओवर रूल करके उत्तर प्रदेश की सत्ता नहीं चलेगी. हर बार की तरह इस बार मुख्य सचिव की नियुक्ति में केंद्र सरकार ने दखल नहीं दिया. इससे मनोज कुमार सिंह के चीफ सेक्रेटरी पद पर बैठने का रास्ता साफ हुआ.
दुर्गा शंकर मिश्र केंद्र में सचिव आवास एवं नगर विकास थे. इसके बाद उनको उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव तब बनाया गया जब उनका रिटायरमेंट होने वाला था. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अपने समूह के अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी देते रहे हैं मगर दुर्गा शंकर मिश्र के मामले में केंद्र सरकार अपनी मर्जी चलती रही और उनको एक्सटेंशन मिलते रहे.
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद यह स्पष्ट हो गया कि केंद्र सरकार का बहुत अधिक दखल होना उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए बेहतर नहीं है. इससे भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हो रहा है मगर दुर्गा शंकर मिश्र और उनके नजदीक के लोग अभी भी प्रयास में थे कि रह जाएं. मगर इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगे किसी की एक नहीं चली. मनोज कुमार सिंह जो अब तक औद्योगिक विकास आयुक्त, नोएडा एमडी के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा कर रहे थे. उनका मुख्य सचिव पद पर सुशोभित कर दिया गया है जिससे एक बात स्पष्ट हो गई है कि अब उत्तर प्रदेश की अफसर शाही में महत्वपूर्ण पदों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने ही अधिकारियों को जिम्मेदारी देते रहेंगे.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे का इस बारे में कहना है कि उत्तर प्रदेश में टिकट वितरण को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अनदेखी भारी पड़ी थी. इसलिए लोकसभा चुनाव के बाद अब बागडोर सीधे योगी आदित्यनाथ के हाथ में दे दी गई है. 2027 तक उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़े परिवर्तन अपनी मर्जी से ही करेंगे. इसका असर उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी से लेकर राजनीति तक हर जगह नजर आएगा.
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