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"जटायु" बचायेगा हरियाणा, सीएम नायब सिंह सैनी ने कई गिद्धों को खुले आसमान में छोड़ा - JATAYU CONSERVATION HARYANA

हरियाणा सरकार ने "जटायु" को बचाने की पहल की है. सीएम नायब सिंह सैनी ने कई गिद्धों को आज खुले आसमान में छोड़ा है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण केंद्र पिंजौर (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 17, 2024, 6:26 PM IST

पंचकूलाः हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पिंजौर स्थित जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र (जेसीबीसी) का दौरा किया. वर्ष 2020 के बाद इस बार सीएम ने 25 गिद्धों को खुले आसमान में छोड़ा. इसके बाद वहां आयोजित गिद्ध संरक्षण कार्यक्रम के दौरान एक पुस्तिका को विमोचन किया. इस दौरान सीएम ने कहा कि गिद्ध संरक्षण के लिए यहां जो प्रयास किया जा रहा है, वो बहुत ही सराहनीय कदम है. हर जीव-जंतु को अपना स्थान मिलना चाहिए. उनका संरक्षण करना हमारा काम है. कार्यक्रम में वन एवं वन्य जीव मंत्री राव नरबीर, भाजपा विधायक शक्ति रानी शर्मा के साथ-साथ कई वरीय अधिकारी मौजूद थे.

90 के दशक में जटायु की संख्या कम हो गई थी. इस कारण प्रकृति का संतुलन खराब हो गया था. खुले आकाश में गिद्धों का वास रहता है. मुझे खुशी है कि जटायु को छोड़ने का मौका मुझे मिला है. ये प्रजाति विलुप्त हो रही थी और जटायु हमारी संस्कृति का जाना माना नाम है. -नायब सिंह सैनी, मुख्यमंत्री, हरियाणा

गिद्ध संरक्षण केंद्र का जायजा लेते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

स्वच्छता में जटायु का अहम रोलः मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि गिद्ध वापसी कार्यक्रम सराहनीय प्रयास है. गिद्ध प्रकृति को स्वच्छ बनाने में काफी काम करते हैं. पहले गांव में एक स्थान होता था, जहां पशुओं को मौत के बाद छोड़ दिया जाता था. गिद्ध उसे साफ कर पर्यावरण को शुद्ध कर रोगों से हमारी रक्षा करते थे. बीच में इसके अस्तित्व पर संकट आ गया था.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र में कार्यक्रम को संबोधित करते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

गिद्ध संरक्षण के लिए हरियाण कर रहा है कामः हरियाणा गिद्धों के संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहा है. आने वाले समय में इसका असर दिखेगा.जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र पिंजौर (हरियाणा) में इसी स्थान से 2016 में 8 गिद्धों को छोड़ा गया था. इसके अलावा टाइगर रिजर्व में भी 20 गिद्धों को छोड़ा गया है. गिद्ध संरक्षण कार्यक्रम के तहत जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र पिंजौर में विभिन्न प्रकार के गिद्धों का सफल प्रजनन कराया गया है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र का निरीक्षण करते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

जटायु हमारी संस्कृति का हिस्साः मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि जटायु हमारी संस्कृति का जाना-माना नाम भी है. रामायण के अंदर बताया गया है कि सीताहरण के समय रावण के साथ युद्ध करने में भी जटायु की भूमिका रही है. इसके भाई संपाति(सम्पाती) ने माता सीता का पता लगाने में भी भगवान राम का सहयोग किया था.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र का निरीक्षण करते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

जेसीबीसी में गिद्धों की कुल संख्या 380: पिंजौर के इस जटायु कंजर्वेशन ब्रीडिंग केंद्र (जेसीबीसी) में मौजूदा समय में गिद्धों की कुल संख्या 380 है. इनमें सफेद पीठ वाले गिद्ध 97, लंबी चोंच वाले गिद्ध 221 और सिलेंडरनुमा यानी छोटी चोंच वाले गिद्धों की संख्या 62 है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र में सीएम नायब सिंह सैनी का स्वागत करते अधिकारी (Etv Bharat)

केंद्र में गिद्ध के अंडों की संख्या 60: जटायु कंजर्वेशन ब्रीडिंग केंद्र (जेसीबीसी) में मौजूदा समय में गिद्धों के अंडों की कुल संख्या करीब 55-60 है. यदि सभी अंडे सुरक्षित रहते हैं तो 60 अंडों के अनुसार करीब 2 महीने बाद गिद्धों की कुल संख्या 380 से बढ़कर 440 पर पहुंच सकती है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र का निरीक्षण करते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

24 वर्ष की आयु तक के हैं गिद्ध: जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र, पिंजौर में वर्तमान में सबसे अधिक उम्र के गिद्ध की आयु 24 वर्ष है. दरअसल, केंद्र की स्थापना वर्ष 2001 में हुई. लेकिन वर्ष 2004 से यहां ब्रीडिंग शुरू कराई गई. उस समय से अब तक केंद्र में मौजूद अधिकतम आयु के गिद्धों की उम्र 24 वर्ष है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र में पुस्तिका का विमोचन करते सीएम नायब सिंह सैनी व अन्य (Etv Bharat)

साल में एक गिद्ध का एक अंडा: एक गिद्ध वर्ष में एक अंडा देता है. हालांकि केंद्र में अंडे के लिए आर्टिफिशियल प्रजनन प्रक्रिया की मदद भी ली जाती है. ऐसा इसलिए कि यदि किसी कारणवश प्राकृतिक अंडा सुरक्षित न रहे तो कृत्रिम इनक्यूबेटर (आर्टिफिशियल) प्रक्रिया की मदद से गिद्धों की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य प्रभावित ना हो. एक गिद्ध अपने अंडे को करीब 55-60 दिन तक सेंकता है और फिर चूजा अंडे से बाहर आता है. वन विभाग के अधिकारी हेमंत बाजपेई ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार केंद्र में प्राकृतिक और कृत्रिम प्रक्रिया के माध्यम से करीब 405 गिद्ध हैं.

2016 में हिमालयन गिद्ध छोड़े: फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी हेमंत बाजपेई ने बताया कि पिंजौर में फॉरेस्ट विभाग की जमीन पर स्थापित किए गए गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र से वर्ष 2016 में पूर्व में रेस्क्यू किए गए 2 हिमालयन गिद्ध छोड़े गए थे, जिन पर टैग नहीं था. इसके बाद वर्ष 2020 में हरियाणा के विधायक मंत्री कंवर सिंह ने 8 सफेद गिद्ध खुले आसमान में छोड़े, जिनपर टैग लगे हैं. इसके बाद अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा 25 गिद्धों को छोड़ा गया है.

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पंचकूलाः हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पिंजौर स्थित जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र (जेसीबीसी) का दौरा किया. वर्ष 2020 के बाद इस बार सीएम ने 25 गिद्धों को खुले आसमान में छोड़ा. इसके बाद वहां आयोजित गिद्ध संरक्षण कार्यक्रम के दौरान एक पुस्तिका को विमोचन किया. इस दौरान सीएम ने कहा कि गिद्ध संरक्षण के लिए यहां जो प्रयास किया जा रहा है, वो बहुत ही सराहनीय कदम है. हर जीव-जंतु को अपना स्थान मिलना चाहिए. उनका संरक्षण करना हमारा काम है. कार्यक्रम में वन एवं वन्य जीव मंत्री राव नरबीर, भाजपा विधायक शक्ति रानी शर्मा के साथ-साथ कई वरीय अधिकारी मौजूद थे.

90 के दशक में जटायु की संख्या कम हो गई थी. इस कारण प्रकृति का संतुलन खराब हो गया था. खुले आकाश में गिद्धों का वास रहता है. मुझे खुशी है कि जटायु को छोड़ने का मौका मुझे मिला है. ये प्रजाति विलुप्त हो रही थी और जटायु हमारी संस्कृति का जाना माना नाम है. -नायब सिंह सैनी, मुख्यमंत्री, हरियाणा

गिद्ध संरक्षण केंद्र का जायजा लेते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

स्वच्छता में जटायु का अहम रोलः मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि गिद्ध वापसी कार्यक्रम सराहनीय प्रयास है. गिद्ध प्रकृति को स्वच्छ बनाने में काफी काम करते हैं. पहले गांव में एक स्थान होता था, जहां पशुओं को मौत के बाद छोड़ दिया जाता था. गिद्ध उसे साफ कर पर्यावरण को शुद्ध कर रोगों से हमारी रक्षा करते थे. बीच में इसके अस्तित्व पर संकट आ गया था.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र में कार्यक्रम को संबोधित करते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

गिद्ध संरक्षण के लिए हरियाण कर रहा है कामः हरियाणा गिद्धों के संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहा है. आने वाले समय में इसका असर दिखेगा.जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र पिंजौर (हरियाणा) में इसी स्थान से 2016 में 8 गिद्धों को छोड़ा गया था. इसके अलावा टाइगर रिजर्व में भी 20 गिद्धों को छोड़ा गया है. गिद्ध संरक्षण कार्यक्रम के तहत जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र पिंजौर में विभिन्न प्रकार के गिद्धों का सफल प्रजनन कराया गया है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र का निरीक्षण करते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

जटायु हमारी संस्कृति का हिस्साः मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि जटायु हमारी संस्कृति का जाना-माना नाम भी है. रामायण के अंदर बताया गया है कि सीताहरण के समय रावण के साथ युद्ध करने में भी जटायु की भूमिका रही है. इसके भाई संपाति(सम्पाती) ने माता सीता का पता लगाने में भी भगवान राम का सहयोग किया था.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र का निरीक्षण करते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

जेसीबीसी में गिद्धों की कुल संख्या 380: पिंजौर के इस जटायु कंजर्वेशन ब्रीडिंग केंद्र (जेसीबीसी) में मौजूदा समय में गिद्धों की कुल संख्या 380 है. इनमें सफेद पीठ वाले गिद्ध 97, लंबी चोंच वाले गिद्ध 221 और सिलेंडरनुमा यानी छोटी चोंच वाले गिद्धों की संख्या 62 है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र में सीएम नायब सिंह सैनी का स्वागत करते अधिकारी (Etv Bharat)

केंद्र में गिद्ध के अंडों की संख्या 60: जटायु कंजर्वेशन ब्रीडिंग केंद्र (जेसीबीसी) में मौजूदा समय में गिद्धों के अंडों की कुल संख्या करीब 55-60 है. यदि सभी अंडे सुरक्षित रहते हैं तो 60 अंडों के अनुसार करीब 2 महीने बाद गिद्धों की कुल संख्या 380 से बढ़कर 440 पर पहुंच सकती है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र का निरीक्षण करते सीएम नायब सिंह सैनी (Etv Bharat)

24 वर्ष की आयु तक के हैं गिद्ध: जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र, पिंजौर में वर्तमान में सबसे अधिक उम्र के गिद्ध की आयु 24 वर्ष है. दरअसल, केंद्र की स्थापना वर्ष 2001 में हुई. लेकिन वर्ष 2004 से यहां ब्रीडिंग शुरू कराई गई. उस समय से अब तक केंद्र में मौजूद अधिकतम आयु के गिद्धों की उम्र 24 वर्ष है.

Jatayu Conservation Centre Pinjore
जटायु संरक्षण व प्रजनन केंद्र में पुस्तिका का विमोचन करते सीएम नायब सिंह सैनी व अन्य (Etv Bharat)

साल में एक गिद्ध का एक अंडा: एक गिद्ध वर्ष में एक अंडा देता है. हालांकि केंद्र में अंडे के लिए आर्टिफिशियल प्रजनन प्रक्रिया की मदद भी ली जाती है. ऐसा इसलिए कि यदि किसी कारणवश प्राकृतिक अंडा सुरक्षित न रहे तो कृत्रिम इनक्यूबेटर (आर्टिफिशियल) प्रक्रिया की मदद से गिद्धों की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य प्रभावित ना हो. एक गिद्ध अपने अंडे को करीब 55-60 दिन तक सेंकता है और फिर चूजा अंडे से बाहर आता है. वन विभाग के अधिकारी हेमंत बाजपेई ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार केंद्र में प्राकृतिक और कृत्रिम प्रक्रिया के माध्यम से करीब 405 गिद्ध हैं.

2016 में हिमालयन गिद्ध छोड़े: फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी हेमंत बाजपेई ने बताया कि पिंजौर में फॉरेस्ट विभाग की जमीन पर स्थापित किए गए गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र से वर्ष 2016 में पूर्व में रेस्क्यू किए गए 2 हिमालयन गिद्ध छोड़े गए थे, जिन पर टैग नहीं था. इसके बाद वर्ष 2020 में हरियाणा के विधायक मंत्री कंवर सिंह ने 8 सफेद गिद्ध खुले आसमान में छोड़े, जिनपर टैग लगे हैं. इसके बाद अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा 25 गिद्धों को छोड़ा गया है.

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