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भारत के दिल में टाइगर 'राज', इस नेशनल पार्क में होते हैं बाघ के दीदार, 12 सालों में कुनबा दोगुना - Pench Park tiger destination

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 29, 2024, 12:55 PM IST

Updated : Jul 29, 2024, 6:38 PM IST

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर टूरिस्ट के लिए खुशखबरी है. छिंदवाड़ा जिले से लगे पेंच नेशनल पार्क में बाघों की संख्या 123 पहुंच गई है. यानी पर्यटकों को बाघ के दीदार आसानी से हो जाएंगे.

PENCH PARK TIGER DESTINATION
पेंच टाइगर रिजर्व बाघों का डेस्टिनेशन (ETV Bharat Graphics)

छिंदवाड़ा: बाघों के दीदार करने के शौकीन हैं तो उसके लिए पेंच नेशनल पार्क सबसे अच्छा डेस्टिनेशन हो सकता है. क्योंकि देश के टॉप टाईगर रिजर्वों में शामिल पेंच पार्क में पिछले बारह सालों में बाघों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है. जिसकी वजह से यहां आने वाले सैलानियों को आसानी से अठखेलियाँ करते बाघों के नजारे देखने को मिल जाते हैं. बता दें कि पेंच नेशनल पार्क भारत के सबसे लोकप्रिय वन्यजीव अभ्यारण्यों में से एक है. इस पार्क का उल्लेख 1894 की प्रसिद्ध कहानी 'द जंगल बुक' में भी मिलता है. पेंट टाइगर रिजर्व को 'मोगली' का घर भी कहा जाता है.

पेंच टाईगर रिजर्व में अब तक 123 बाघ
साल 2010 में जहां पेंच पार्क में बाघों की संख्या सिर्फ 65 थी. वहीं पिछली गणना जो साल 2022 में हुई थी, उसमें संख्या बढ़कर 123 के आसपास हो गए हैं. यानी इन पिछले 12 सालों में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई है. अखिल भारतीय बाघ आंकलन की बात करें तो पूरे देश में साल 2022 में संख्या 3682 है, जिसमें से 123 पेंच नेशल पार्क में हैं. हर चार साल में आल इंडिया सेंसस के तहत बाघों की गणना होती है, जिसके हर चार साल में हुई बाघों की गणना में इनकी संख्या बढ़ी है. साल 2022 में हुई इस गणना के बाद अब 2026 में गिनती होगी, अधिकारियों की माने तो बाघों की संख्या और बढ़ेगी. पिछले कुछ सालों में लगातार बाघों के मूवमेंट के बाद यह तो तय है कि यह आंकड़ा आने वाली गणना में बढ़ जाएगा.

हर बार इस तरह बढ़ता गया बाघों को कुनबा
पेंच नेशनल पार्क में साल 2010 की गणना में 65, साल 2014 की गणना में 69 और साल 2018 की गणना में बाघों की संख्या 87 के पास पहुंच गई थी. 2022 में इनकी संख्या 123 हो गई थी. वन विभाग के अधिकारियों की माने तो पेंच नेशनल पार्क में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है. इतना ही नहीं आने वाले दिनों में भी बाघों के शावकों को देखा गया है, जिसके बाद यह तो तय है कि आने वाली गणना में भी बाघों की संख्या में वृद्धि होना तय है.

टैरेटरी बनाने रहवासी इलाके में आ रहे बाघ
बाघों की बढ़ती संख्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टैरेटरी बनाने के लिए बाघ अब रहवासी इलाकों में पहुंच रहे हैं. पिछले कुछ सालों में सांख ग्रेटिया, बिछुआ क्षेत्र से लगे जंगलों में बाघों का मूवमेंट देखा जा रहा है. सांख ग्रेटिया के आसपास तो बाघ ने अपना ठिकाना बना लिया है. पिछले कुछ सालों में बाघों का लगातार मूवमेंट बना रहता है. पेंच नेशनल पार्क से लगी चौरई और उसके आसपास के गांव में बाघ का मूवमेंट का आम हो गया है. सबसे ज्यादा हरदुआ माल से लगए क्षेत्र में बाग का मूवमेंट रहता है.

बाघों के दीदार के लिए विदेशी सैलानियों बन रहा डेस्टिनेशन
पेंच नेशनल पार्क के लिए पड़ोसी जिले सिवनी के प्रवेश द्वार पर्यटकों को पसंद आते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में छिंदवाड़ा जिले के जमतरा गेट से भी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक की बात करें तो कुल 1877 देशी पर्यटकों ने पेंच पार्क का भ्रमण किया है. वहीं, विदेशी पर्यटकों की संख्या 73 रही. इस साल अकेले जमतरा गेट से पेंच पार्क प्रबंधन के 10,90,070 रुपए की आय हुई है. सिवनी जिले के टुरिया और कर्माझिरी गेट के अलावा छिंदवाड़ा जिले के जमतरा गेट से पर्यटक को पार्क की सैर कराई जाती है. पेंच नेशनल पार्क के उपसंचालक रजनीश सिंह ने बताया कि, ''पेंच नेशनल पार्क में वर्ष 2022 को हुई गणना में बाघों की संख्या 123 आई है. वन्यप्राणियों के अनुकुल मौसम और वन्य प्राणी संरक्षण के लिए लोगों में जागरुकता भी इसकी वजह है.''

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जंगल में ही होगा किंग टाइगर का रोज ब्रेकफास्ट, चीतल बनेंगे बाघों का नया शिकार

कुनबा बढ़ाने में कॉलर वाली बाघिन का विशेष रहा योगदान
कॉलर वाली बाघिन का मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने में अहम योगदान रहा था. बाघिन का जन्म सितंबर 2005 में हुआ था. सबसे पहले मात्र ढाई साल की उम्र में बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था. इसके बाद आठ बार में कॉलर वाली बाघिन ने 29 शावकों को जन्म दिया था. बाघिन ने एक बार में सबसे ज्यादा पांच शावकों को जन्म दिया था. इस बाघिन ने अंतिम सांस 15 जनवरी 2023 को ली थी. अब यहां की पाटदेव बाघिन (T-4) अगली 'सुपर टाइग्रेस मॉम' बन रही है. वह 9 साल के अंदर पांच बार में कुल 20 शावकों को जन्म दे चुकी है. पिछले साल अपने चार शावकों के साथ टाइगर रिजर्व में घूमती नजर आई थी टी-4 बाघिन पेंच की ही 'कॉलर वाली' बाघिन की बेटी है.

छिंदवाड़ा: बाघों के दीदार करने के शौकीन हैं तो उसके लिए पेंच नेशनल पार्क सबसे अच्छा डेस्टिनेशन हो सकता है. क्योंकि देश के टॉप टाईगर रिजर्वों में शामिल पेंच पार्क में पिछले बारह सालों में बाघों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है. जिसकी वजह से यहां आने वाले सैलानियों को आसानी से अठखेलियाँ करते बाघों के नजारे देखने को मिल जाते हैं. बता दें कि पेंच नेशनल पार्क भारत के सबसे लोकप्रिय वन्यजीव अभ्यारण्यों में से एक है. इस पार्क का उल्लेख 1894 की प्रसिद्ध कहानी 'द जंगल बुक' में भी मिलता है. पेंट टाइगर रिजर्व को 'मोगली' का घर भी कहा जाता है.

पेंच टाईगर रिजर्व में अब तक 123 बाघ
साल 2010 में जहां पेंच पार्क में बाघों की संख्या सिर्फ 65 थी. वहीं पिछली गणना जो साल 2022 में हुई थी, उसमें संख्या बढ़कर 123 के आसपास हो गए हैं. यानी इन पिछले 12 सालों में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई है. अखिल भारतीय बाघ आंकलन की बात करें तो पूरे देश में साल 2022 में संख्या 3682 है, जिसमें से 123 पेंच नेशल पार्क में हैं. हर चार साल में आल इंडिया सेंसस के तहत बाघों की गणना होती है, जिसके हर चार साल में हुई बाघों की गणना में इनकी संख्या बढ़ी है. साल 2022 में हुई इस गणना के बाद अब 2026 में गिनती होगी, अधिकारियों की माने तो बाघों की संख्या और बढ़ेगी. पिछले कुछ सालों में लगातार बाघों के मूवमेंट के बाद यह तो तय है कि यह आंकड़ा आने वाली गणना में बढ़ जाएगा.

हर बार इस तरह बढ़ता गया बाघों को कुनबा
पेंच नेशनल पार्क में साल 2010 की गणना में 65, साल 2014 की गणना में 69 और साल 2018 की गणना में बाघों की संख्या 87 के पास पहुंच गई थी. 2022 में इनकी संख्या 123 हो गई थी. वन विभाग के अधिकारियों की माने तो पेंच नेशनल पार्क में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है. इतना ही नहीं आने वाले दिनों में भी बाघों के शावकों को देखा गया है, जिसके बाद यह तो तय है कि आने वाली गणना में भी बाघों की संख्या में वृद्धि होना तय है.

टैरेटरी बनाने रहवासी इलाके में आ रहे बाघ
बाघों की बढ़ती संख्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टैरेटरी बनाने के लिए बाघ अब रहवासी इलाकों में पहुंच रहे हैं. पिछले कुछ सालों में सांख ग्रेटिया, बिछुआ क्षेत्र से लगे जंगलों में बाघों का मूवमेंट देखा जा रहा है. सांख ग्रेटिया के आसपास तो बाघ ने अपना ठिकाना बना लिया है. पिछले कुछ सालों में बाघों का लगातार मूवमेंट बना रहता है. पेंच नेशनल पार्क से लगी चौरई और उसके आसपास के गांव में बाघ का मूवमेंट का आम हो गया है. सबसे ज्यादा हरदुआ माल से लगए क्षेत्र में बाग का मूवमेंट रहता है.

बाघों के दीदार के लिए विदेशी सैलानियों बन रहा डेस्टिनेशन
पेंच नेशनल पार्क के लिए पड़ोसी जिले सिवनी के प्रवेश द्वार पर्यटकों को पसंद आते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में छिंदवाड़ा जिले के जमतरा गेट से भी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक की बात करें तो कुल 1877 देशी पर्यटकों ने पेंच पार्क का भ्रमण किया है. वहीं, विदेशी पर्यटकों की संख्या 73 रही. इस साल अकेले जमतरा गेट से पेंच पार्क प्रबंधन के 10,90,070 रुपए की आय हुई है. सिवनी जिले के टुरिया और कर्माझिरी गेट के अलावा छिंदवाड़ा जिले के जमतरा गेट से पर्यटक को पार्क की सैर कराई जाती है. पेंच नेशनल पार्क के उपसंचालक रजनीश सिंह ने बताया कि, ''पेंच नेशनल पार्क में वर्ष 2022 को हुई गणना में बाघों की संख्या 123 आई है. वन्यप्राणियों के अनुकुल मौसम और वन्य प्राणी संरक्षण के लिए लोगों में जागरुकता भी इसकी वजह है.''

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जंगल में ही होगा किंग टाइगर का रोज ब्रेकफास्ट, चीतल बनेंगे बाघों का नया शिकार

कुनबा बढ़ाने में कॉलर वाली बाघिन का विशेष रहा योगदान
कॉलर वाली बाघिन का मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने में अहम योगदान रहा था. बाघिन का जन्म सितंबर 2005 में हुआ था. सबसे पहले मात्र ढाई साल की उम्र में बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था. इसके बाद आठ बार में कॉलर वाली बाघिन ने 29 शावकों को जन्म दिया था. बाघिन ने एक बार में सबसे ज्यादा पांच शावकों को जन्म दिया था. इस बाघिन ने अंतिम सांस 15 जनवरी 2023 को ली थी. अब यहां की पाटदेव बाघिन (T-4) अगली 'सुपर टाइग्रेस मॉम' बन रही है. वह 9 साल के अंदर पांच बार में कुल 20 शावकों को जन्म दे चुकी है. पिछले साल अपने चार शावकों के साथ टाइगर रिजर्व में घूमती नजर आई थी टी-4 बाघिन पेंच की ही 'कॉलर वाली' बाघिन की बेटी है.

Last Updated : Jul 29, 2024, 6:38 PM IST
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