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छिंदवाड़ा के किसान ने पत्थर को बना दिया पारस, पथरीली जमीन भी उगल रही सोना - CHHINDWARA STRAWBERRY FARMING

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक किसान ने खेती में कमाल कर दिया है. किसान कैलाश पवार ने पथरीली जमीन को पारस बना दिया.

CHHINDWARA STRAWBERRY FARMING
छिंदवाड़ा के किसान ने पत्थर को बना दिया पारस (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

छिंदवाड़ा: पथरीली जमीन पर मेहनत की इबारत, खुदा ने भी देखी मेहनतकश की तिजारत, यह लाइन उस अन्नदाता के लिए है, जिसने पत्थर का सीना चीर कर जमीन को हरा भरा कर दिया और खुद भी करोड़ों रुपए का मालिक बन बैठा है. जिस जमीन पर बारिश में घास भी मुश्किल से उगती थी. वहां पर अब स्ट्रॉबेरी की बगीचे लहलहा रहे हैं. जानिए इस मेहनतकश किसान की कहानी...

पथरीली जमीन पर कर दिया चमत्कार

खेती और किसान जब नाम आता है, तो अधिकतर घाटे का सौदा और बेबसी लिए किसान का चेहरा आंखों के सामने नजर आता है. अगर उसकी जमीन पथरीली हो तो मानो उपज तो दूर की बात, लागत निकालना भी मुश्किल होता है, लेकिन इन सब बातों को झूठा साबित करते हुए भुताई के किसान कैलाश पवार ने इतिहास रचा है.

Farmer Kailash Pawar 6 Lakh Profit
कैलाश पवार ने की स्ट्रॉबेरी की खेती (ETV Bharat)

किसान कैलाश ने अपनी जमीन के 5-6 एकड़ पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. उन्होंने लगभग 1,30,000 पौधे लगाए. जिनकी फसल 70 दिनों के भीतर तैयार हो गई. स्ट्रॉबेरी की तुड़ाई मार्च के अंत तक चलती है और इसकी सप्लाई जबलपुर, नागपुर, इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में की जाती है.

6 लाख का होता है मुनाफा

किसान कैलाश पवार ने ईटीवी भारत को बताया कि "वे तकरीबन 17 हेक्टेयर जमीन में खेती करते हैं. कई दिनों से सब्जी की परंपरागत खेती भी करते आ रहे हैं, लेकिन लगातार सब्जी की फसलों में आ रही बीमारी घाटे का सौदा साबित हो रही थी. कुछ नया करने की सोच के चलते उन्हें किसी ने स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जानकारी दी. फिर उन्होंने रतलाम से स्ट्रॉबेरी के पौधे लाकर खेतों में लगाया.

Chhindwara Strawberry Cultivation
छिंदवाड़ा में स्ट्रॉबेरी की खेती (ETV Bharat)

किसान कैलाश पवार ने बताया कि एक एकड़ में लगभग 22000 पौधे लगाए जाते हैं. इसके साथ ही जमीन की मरम्मत और दूसरी लागत सहित कुल 6 लाख रुपए तक प्रति एकड़ का खर्च आता है. अगर फसल ₹200 किलो भी बिकती है तो कम से कम 12 लाख रुपए की आवक होती है. इस तरह से कुल मिलाकर एक एकड़ में ₹6 लाख की बचत स्ट्रॉबेरी की खेती से हो रही है.

किसान की मेहनत और तकनीक ने पत्थर को बनाया पारस

जिस जमीन में बरसात के मौसम में ठीक से घास और खरपतवार भी नहीं उगती थी. उस जमीन पर अब किसान की मेहनत और तकनीक के जरिए स्ट्रॉबेरी के बगीचे लहरा रहे हैं. बेहतरीन स्ट्रॉबेरी के फल चमचमा रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए किसान ने ड्रिप इरीगेशन के साथ-साथ मल्चिंग तकनीक का उपयोग भी किया है, ताकि कम पानी में खरपतवार का बेहतर नियंत्रण हो सके.

CHHINDWARA STRAWBERRY CULTIVATION
स्ट्रॉबेरी (ETV Bharat)

इतना ही नहीं किसान कैलाश पवार ने अपने खेतों में ऑटोमेशन सिस्टम लगा रखा है. जिसके चलते अपने मोबाइल और कंप्यूटर में ही वे खेतों में कितना पानी सिंचाई करना है. कब किस खाद और कीटनाशक की जरूरत है, पता करने के बाद उसकी जरूरत पूरी करते हैं.

करोड़पति किसान देश भर में फलों की मांग

पहले पथरीली जमीन के कारण किसान का टर्न ओवर 80 लाख रुपये था. जिसमें लाभ केवल 30 लाख रुपये होता था, लेकिन अब स्ट्रॉबेरी और सब्जियों के उत्पादन से उनका टर्नओवर 2 से 2.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. लाभ के रूप में उन्हें 1 करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं. कैलाश पवार कहते हैं कि सरकार की योजनाओं और कृषि विभाग के मार्गदर्शन से हमें न सिर्फ खेती के जोखिम कम करने में मदद मिली, बल्कि अपनी आय को कई गुना बढ़ाने का अवसर भी मिला.

छिंदवाड़ा जिले में स्ट्रॉबेरी के बेहतर क्लाइमेट

उपसंचालक कृषि जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि "छिंदवाड़ा जिले में परंपरागत खेती के अलावा किसान अलग-अलग व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. इनमें से एक स्ट्रॉबेरी की खेती है. जिसके लिए जिले में अनुकूल वातावरण है. आमतौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए कम तापमान की जरूरत होती है. इस लिहाज से अब छिंदवाड़ा का क्लाइमेट बेहतर साबित हो रहा है. स्ट्रॉबेरी की फसल आलू की तरह ही क्यारी बनाकर खुले में या फिर पॉली हाउस में भी की जा सकती है.

छिंदवाड़ा: पथरीली जमीन पर मेहनत की इबारत, खुदा ने भी देखी मेहनतकश की तिजारत, यह लाइन उस अन्नदाता के लिए है, जिसने पत्थर का सीना चीर कर जमीन को हरा भरा कर दिया और खुद भी करोड़ों रुपए का मालिक बन बैठा है. जिस जमीन पर बारिश में घास भी मुश्किल से उगती थी. वहां पर अब स्ट्रॉबेरी की बगीचे लहलहा रहे हैं. जानिए इस मेहनतकश किसान की कहानी...

पथरीली जमीन पर कर दिया चमत्कार

खेती और किसान जब नाम आता है, तो अधिकतर घाटे का सौदा और बेबसी लिए किसान का चेहरा आंखों के सामने नजर आता है. अगर उसकी जमीन पथरीली हो तो मानो उपज तो दूर की बात, लागत निकालना भी मुश्किल होता है, लेकिन इन सब बातों को झूठा साबित करते हुए भुताई के किसान कैलाश पवार ने इतिहास रचा है.

Farmer Kailash Pawar 6 Lakh Profit
कैलाश पवार ने की स्ट्रॉबेरी की खेती (ETV Bharat)

किसान कैलाश ने अपनी जमीन के 5-6 एकड़ पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. उन्होंने लगभग 1,30,000 पौधे लगाए. जिनकी फसल 70 दिनों के भीतर तैयार हो गई. स्ट्रॉबेरी की तुड़ाई मार्च के अंत तक चलती है और इसकी सप्लाई जबलपुर, नागपुर, इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में की जाती है.

6 लाख का होता है मुनाफा

किसान कैलाश पवार ने ईटीवी भारत को बताया कि "वे तकरीबन 17 हेक्टेयर जमीन में खेती करते हैं. कई दिनों से सब्जी की परंपरागत खेती भी करते आ रहे हैं, लेकिन लगातार सब्जी की फसलों में आ रही बीमारी घाटे का सौदा साबित हो रही थी. कुछ नया करने की सोच के चलते उन्हें किसी ने स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जानकारी दी. फिर उन्होंने रतलाम से स्ट्रॉबेरी के पौधे लाकर खेतों में लगाया.

Chhindwara Strawberry Cultivation
छिंदवाड़ा में स्ट्रॉबेरी की खेती (ETV Bharat)

किसान कैलाश पवार ने बताया कि एक एकड़ में लगभग 22000 पौधे लगाए जाते हैं. इसके साथ ही जमीन की मरम्मत और दूसरी लागत सहित कुल 6 लाख रुपए तक प्रति एकड़ का खर्च आता है. अगर फसल ₹200 किलो भी बिकती है तो कम से कम 12 लाख रुपए की आवक होती है. इस तरह से कुल मिलाकर एक एकड़ में ₹6 लाख की बचत स्ट्रॉबेरी की खेती से हो रही है.

किसान की मेहनत और तकनीक ने पत्थर को बनाया पारस

जिस जमीन में बरसात के मौसम में ठीक से घास और खरपतवार भी नहीं उगती थी. उस जमीन पर अब किसान की मेहनत और तकनीक के जरिए स्ट्रॉबेरी के बगीचे लहरा रहे हैं. बेहतरीन स्ट्रॉबेरी के फल चमचमा रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए किसान ने ड्रिप इरीगेशन के साथ-साथ मल्चिंग तकनीक का उपयोग भी किया है, ताकि कम पानी में खरपतवार का बेहतर नियंत्रण हो सके.

CHHINDWARA STRAWBERRY CULTIVATION
स्ट्रॉबेरी (ETV Bharat)

इतना ही नहीं किसान कैलाश पवार ने अपने खेतों में ऑटोमेशन सिस्टम लगा रखा है. जिसके चलते अपने मोबाइल और कंप्यूटर में ही वे खेतों में कितना पानी सिंचाई करना है. कब किस खाद और कीटनाशक की जरूरत है, पता करने के बाद उसकी जरूरत पूरी करते हैं.

करोड़पति किसान देश भर में फलों की मांग

पहले पथरीली जमीन के कारण किसान का टर्न ओवर 80 लाख रुपये था. जिसमें लाभ केवल 30 लाख रुपये होता था, लेकिन अब स्ट्रॉबेरी और सब्जियों के उत्पादन से उनका टर्नओवर 2 से 2.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. लाभ के रूप में उन्हें 1 करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं. कैलाश पवार कहते हैं कि सरकार की योजनाओं और कृषि विभाग के मार्गदर्शन से हमें न सिर्फ खेती के जोखिम कम करने में मदद मिली, बल्कि अपनी आय को कई गुना बढ़ाने का अवसर भी मिला.

छिंदवाड़ा जिले में स्ट्रॉबेरी के बेहतर क्लाइमेट

उपसंचालक कृषि जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि "छिंदवाड़ा जिले में परंपरागत खेती के अलावा किसान अलग-अलग व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. इनमें से एक स्ट्रॉबेरी की खेती है. जिसके लिए जिले में अनुकूल वातावरण है. आमतौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए कम तापमान की जरूरत होती है. इस लिहाज से अब छिंदवाड़ा का क्लाइमेट बेहतर साबित हो रहा है. स्ट्रॉबेरी की फसल आलू की तरह ही क्यारी बनाकर खुले में या फिर पॉली हाउस में भी की जा सकती है.

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