भोपाल। मोदी लहर में भी एमपी की जिस एक लोकसभा सीट ने कांग्रेस का हाथ नहीं छोड़ा. एमपी की उस छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर जीत के लिए बीजेपी हाईकमान लगातार अपनी रणनीति बदल रहा है. प्लान बी फेल हुआ तो प्लान सी की तैयारी. बूथ पर मजबूती मोदी सरकार की योजनाओं का प्रचार. हिंदुत्व कार्ड के अलावा अब बीजेपी छिंदवाड़ा में साइकॉलॉजिकल दांव चल रही है. सैयद जफर जैसे नेता जिनकी कांग्रेस में शिनाख्त ही कमलनाथ के करीबी के तौर पर होती है. उनका पार्टी छोड़ना इसका पहला कदम है. बाकी विकास की गारंटी से लेकर राम के अपमान तक छिंदवाड़ा में बीजेपी बूथ तक जीत के लिए हर प्रयोग आजमा रही है. लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के 48 घंटे बाद जिस सीट को लेकर बीजेपी में सबसे ज्यादा मंथन हुआ वो छिंदवाड़ा ही सीट ही है.
24 का चुनाव और छिंदवाड़ा की चुनौती
एमपी में प्रबुद्ध जन सम्मेलन में आए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिस एक सीट को लेकर अपने उद्बोधन में चिंता जताई थी. वो एमपी की छिदवाड़ा सीट है. उन्होंने कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 28 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली, लेकिन जिस इस सीट पर कसर रह गई, इस बार उसे भी पूरा करना है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के एक साल पहले छिंदवाड़ा का सियासी मिजाज बदलने में जुटी बीजेपी इस सीट पर जीत के लिए हर बार फार्मूले बदलने में भी कोताही नहीं बरत रही. गिरीराज सिंह जैसे हिंदूवादी चेहरे ने बीजेपी के लिए छिंदवाड़ा में मोर्चा संभाला. केन्द्रीय मंत्री एल मुरुगन भी आए.
छिंदवाड़ा अकेली ऐसी सीट है. जहां जीत के लिए पार्टी स्थानीय नेतृत्व के भरोसे नहीं रही, लेकिन विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट की सातों सीटें कांग्रेस के खाते में जाने के बाद बीजेपी ने फिर रणनीति बदली है. अब पार्टी मनोवैज्ञानिक दांव चल रही है.
बीजेपी का नया प्लान, कैसे कमजोर हुए कमलनाथ
बीजेपी बूथ की मजबूती सबसे ज्यादा योजनाओं का लाभ छिंदवाड़ा में आम लोगों तक पहुंचाने के साथ अब इस प्लान पर चल रही है कि इस इलाके के सबसे बड़े चेहरे को कैसे कमजोर किया जाए. कमलनाथ के बीजेपी में जाने की अटकलें आधा काम कर चुकी है. अब जिस तरह से उनके मजबूत करीबी कमलनाथ का साथ छोड़ रहे हैं. बीजेपी ये संदेश देने में कामयाब होगी कि कमलनाथ अब राईट च्वाइस नहीं रहे. सैयद जफर तो साये की तरह कमलनाथ के साथ माने जाते थे. इनके अलावा भी कमलनाथ कैंप के बुंदेलखंड की नेता डॉ मनीषा दुबे का कांग्रेस का छोड़ना. बीजेपी ये बताने में कामयाब रही है कि डूबते जहाज से अब सब बाहर आना चाहते हैं.
भोपाल में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की बैठक में शामिल हुईं मंत्री संपत्तिया उइके कहती हैं कि कमलनाथ के आजू बाजू के सारे लोग अब बीजेपी की सदस्यता ले रहे हैं. कमलनाथ कमजोर पड़ते जा रहे हैं. तय मानिए सत्तर साल का इतिहास इस बार बदलेगा और छिंदवाड़ा में कमलनाथ नहीं कमल खिलेगा.
सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों में नंबर एक छिंदवाड़ा
बीजेपी ने रणनीति के तहत छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा सरकारी योजनों के लाभार्थी बनाए. बीजेपी उम्मीदवार विवेक साहू बंटी कहते हैं 'प्रदेश में नंबर एक का जिला है, छिंदवाड़ा. जहां आम लोगों को सबसे ज्यादा सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है. बैठक में रणनीति तैयार हुई है कि अब चुनाव के ठीक पहले इन लाभार्थियों से संपर्क करके उन्हें मोदी सरकार की वजह से उनकी जिंदगी में आए बदलाव को अंडरलाइन करवाया जाए.'
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छिंदवाड़ा में केवल एक उपचुनाव में खिला कमल
1997 के उपचुनाव में एक बार केवल पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हराया था. बाकी 1951 से अब तक हुए चुनाव में एक भी बार इस सीट पर बीजेपी जीत दर्ज नहीं करा पाई. चाहे हिंदुत्व की आंधी हो या मोदी लहर. छिंदवाड़ा का वोटर देश की हवा से अलग कमलनाथ के आगे नहीं जा पाए. लेकिन इस बार क्या जनादेश बदल सकता है. बीजेपी उम्मीदवार विवेक बंटी साहू कहते हैं, 'अबकि बार चार सौ पार फिर मोदी इस बार का नारा है. छिंदवाड़ा में भी कमल खिलेगा ये तय है.'