भोपाल। लोकसभा चुनाव के पहले कमलनाथ को एक और बड़ा झटका लगा है. उनके समर्थक विधायक के बाद छिंदवाड़ा नगर पालिका के महापौर विक्रम अहाके ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने उन्हें मुख्यमंत्री निवास पर पार्टी की सदस्यता दिलाई. 2 दिन पहले ही छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक कमलेश शाह बीजेपी में शामिल हुए थे.
प्रदेश के सबसे युवा महापौर हैं विक्रम, 18 साल बाद कांग्रेस की कराई थी छिंदवाड़ा में वापसी
कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में नगर निगम महापौर का चुनाव जीतकर विक्रम अहाके ने 18 साल बाद छिंदवाड़ा में कांग्रेस की वापसी कराई थी. विक्रम अहाके महापौर पद पर चुने जाने वाले प्रदेश के सबसे युवा महापौर थे. उनकी उम्र सिर्फ 31 साल है. विक्रम बेहद गरीब आदिवासी परिवार से आते हैं और लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े रहे हैं. बीजेपी में आने की वजह उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों से प्रभावित होना बताया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में विकास के लिए डबल और ट्रिपल इंजन की सरकार होना जरूरी है. बीजेपी में आने के बाद अब क्षेत्र में और तेजी से विकास संभव होगा, साथ ही केंद्र की तमाम योजनाओं को बेहद मजबूती से क्षेत्र में लागू कराएंगे.
कमलनाथ के गढ़ को लगातार कमजोर कर रही बीजेपी
कमलनाथ की खास समर्थकों को तोड़कर बीजेपी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कमलनाथ को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है. पिछले दिनों ही भाजपा ने अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह को बीजेपी में शामिल कर कमलनाथ को जोरदार झटका दिया था. कमलेश शाह कमलनाथ के कट्टर समर्थक माने जाते रहे थे. अमरवाड़ा विधायक के पहले छिंदवाड़ा में तीन पूर्व विधायक 40 पार्षद सरपंच सहित कई पदाधिकारियों को बीजेपी पार्टी ज्वाइन कर चुकी है. उधर, अब छिंदवाड़ा नगर निगम महापौर के पार्टी में शामिल होने से कमलनाथ को एक और झटका लगा है. हालांकि, अमरवाड़ा विधायक के शामिल होने के बाद छिंदवाड़ा जिले के सभी विधायकों ने एक स्वर में कमलनाथ की प्रति अपनी विश्वसनीय जताई थी.
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छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा ने विवेक बंटी साहू को चुनाव मैदान में उतारा है. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में सिर्फ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट ही है जहां बीजेपी को लगातार हार का सामना करना पड़ता है. कमलनाथ इस सीट से 9 बार सांसद और दो बार विधायक बन चुके हैं. 1980 के बाद सिर्फ एक बार 1997 की उपचुनाव में ही भाजपा के सुंदरलाल पटवा कमलनाथ को हरा सके हैं.